मोनोक्लोनल एंटीबॉडी थेरेपी लेने वाले पहले Corona मरीज बने 65 वर्षीय बुजुर्ग
नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के 65 साल के कोरोनावायरस (Coronavirus) मरीज पहले ऐसे व्यक्ति बन गए हैं, जिन्हें यहां अपोलो अस्पताल में मोनोक्लोनल एंटीबॉडी थेरेपी दी गई है। यह बुजुर्ग व्यक्ति पहले से कई बीमारियों से संक्रमित थे। अस्पताल ने शुक्रवार को इसकी जानकारी दी।
अस्पताल के अधिकारियों ने बताया कि रोगी में एंटीबॉडी काक्टेल इंफ्यूजन पर अच्छी प्रतिक्रिया देखने को मिली और एक घंटे तक उनका अवलोकन करने के बाद गुरुवार को उन्हें वापस घर भेज दिया गया। इस एकल खुराक इंफ्यूजन-आधारित उपचार के हिस्से के रूप में, हल्के से मध्यम लक्षणों वाले मरीजों को कासिरिविमैब और इम्देवीमैब का मिश्रण दिया जाता है, जिसके बारे में मानना है कि इससे अस्पताल में भर्ती होने की संभावना 70 प्रतिशत तक कम हो जाती है।
किसी एक वस्तु में दूसरी चीज मिलाकर उसे और अधिक शक्तिशाली या प्रभावकारी बनाने की प्रक्रिया को इंफ्यूजन कहा जाता है। इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल ने शुक्रवार को दिल्ली में बयान जारी कर घोषणा की कि कोविड-19 के हल्के या मध्यम लक्षण वाले मरीजों को देने के लिए रॉश इंडिया का एंटीबॉडी कॉक्टेल (कासिरिविमैब एवं इम्देवीमैब) इस केंद्र पर उपलब्ध है। बयान में कहा गया है कि इस कॉक्टेल का वितरण सिप्ला लिमिटेड करती है।
इसमें कहा गया है कि रॉश इंडिया ने 24 मई को इस कॉक्टेल की शुरुआत भारत में की थी। अस्पताल के एक प्रवक्ता ने बताया कि अपोलो अस्पताल में यह थेरेपी लेने वाले दिल्ली के कोविड संक्रमित 65 वर्षीय बुजुर्ग पहले व्यक्ति बन गए हैं। उन्हें कई बीमारियां पहले से थीं, जिनमें रक्तचाप भी शामिल है।
अपोलो अस्पताल समूह के समूह चिकित्सा निदेशक अनुपम सिब्बल ने कहा, कोविड-19 रोगियों के उपचार के लिए हमें इस उन्नत उपचार को पूरे देश में उपलब्ध कराने में खुशी हो रही है।(भाषा)