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उरी - द सर्जिकल स्ट्राइक : फिल्म समीक्षा

उरी - द सर्जिकल स्ट्राइक : फिल्म समीक्षा - Uri The Surgical Strike, Review in Hindi, Vicky Kaushal, Samay Tamrakar
उरी - द सर्जिकल स्ट्राइक के नाम से ही मालूम चल जाता है कि इस फिल्म का विषय क्या है और इसमें क्या दिखाया गया है। ज्यादा पुरानी बात नहीं है। सितंबर 2016 में भारतीय सेना ने पीओके मेंं घुसकर आतंकियों को मार गिराया था, जिसके चर्चे महीनों तक होते रहे थे। इस घटना को कैसे अंजाम दिया गया यह निर्देशक आदित्य धर ने अपनी फिल्म के जरिये दिखाया है। 
 
आदित्य को लगा कि वे केवल इस घटना पर ही पूरी फिल्म नहीं बना सकते हैं, इसलिए उन्होंने कुछ घटनाओं को फिल्म में जोड़ा। जैसे कि फिल्म की शुरुआत में मणिपुर में आतंकियों को मार गिराने का घटनाक्रम दिखाया गया। मेजर विहान सिंह शेरगिल (विकी कौशल) उम्दा तरीके से इस घटना को अंजाम देते हैं। उनके साथ करण कश्यप (मोहित रैना) भी इस मिशन में शामिल थे जो कि विहान की बहन नेहा के पति हैं। 
 
विहान की मां बीमार है और इसके लिए वह दिल्ली शिफ्ट हो जाता है। उरी कैम्प पर आतंकी हमला होता है और करण मारा जाता है। इस हमले से पूरे देश में गुस्सा है। प्रधानमंत्री इसका मुंहतोड़ जवाब देना चाहते हैं और सर्जिकल स्ट्राइक की योजना बनती है। विहान को जब यह बात पता चलती है तो वह इस मिशन में शामिल हो जाता है। 
 
किस तरह से प्लान बनाया जाता है? किसकी मदद ली जाती है? किस तरह से इस मिशन को पूरा किया गया? यह फिल्म में प्रमुखता के साथ दिखाया गया है। 
 
आदित्य धर ने ही स्क्रिप्ट लिखी है। उन्होंने सेना की इस शौर्य गाथा को दिखाने के लिए थोड़ा नाटकीयता का सहारा भी लिया। बीमार मां, शहीद की विधवा और जीजा की मौत का बदला जैसी भावनाओं को दर्शाया है, तो कुछ निरर्थक रोल भी देखने को मिलते हैं, मिसाल के तौर पर यमी गौतम का किरदार। 
 
आदित्य यदि इस घटना को थोड़ा विस्तृत में बताते तो  बात ज्यादा समझ में आती क्योंकि कई दर्शकों को इस बारे में पूरी तरह जानकारी नहीं है। फिल्म में कमी इस बात की महसूस होती है कि फिल्म में तनाव ही नहीं है। एक इतने बड़े मिशन को देखते समय दर्शक रोमांच और तनाव महसूस करना चाहता है, जो फिल्म में नदारद है। 
 
फिल्म का दूसरा हाफ बेहतर है और आखिरी का आधा घंटा रोमांच से भरा है। मशीनगन, बहादुर सैनिक, हेलिकॉफ्टर, ड्रोन टेक्नॉलॉजी और नाइट विज़न डिवाइसेस जैसी वॉर फिल्म के लिए जरूरी बातें यहां नजर आती हैं, जिससे फिल्म देखने का मजा बढ़ जाता है। चूंकि यह एक सत्य घटना पर आधारित फिल्म है इसलिए दर्शक एक विशेष जुड़ाव फिल्म से महसूस करते हैं और यही बात फिल्म में पूरे समय बांध कर रखती है। आदित्य की इस बात के लिए तारीफ की जा सकती है कि कुछ कमजोरियों के बावजूद वे दर्शक को फिल्म से जोड़े रखते हैं।
 
विकी कौशल एक आर्मी मेजर की तरह लगे हैं और उनका अभिनय सधा हुआ है। खासतौर पर एक्शन दृश्यों में वे शानदार रहे हैं। एनएसए के चीफ गोविंद की भूमिका में परेश रावल जमे हैं। छोटी सी भूमिका में मोहित रैना असर छोड़ते हैं। यमी गौतम और कीर्ति कुल्हारी को कम स्क्रीन टाइम मिला है। प्रधानमंत्री के रोल में रजित कपूर असहज नजर आए। 
 
मितेश मीरचंदानी की सिनेमाटोग्राफी शानदार है और फिल्म को एक अलग ही लुक देती है। वी पैनिकर की एडिटिंग तारीफ के काबिल है। 
 
रोंगटे खड़े कर देने वाले लम्हे और टेंशन की फिल्म में कमी महसूस होती है, लेकिन पॉवरफुल सब्जेक्ट फिल्म से जोड़ कर रखता है। 
 
निर्माता : रॉनी स्क्रूवाला
निर्देशक : आदित्य धीर 
संगीत : शाश्वत सचदेव 
कलाकार : विकी कौशल, यमी गौतम, परेश रावल, कीर्ति कुल्हारी 
सेंसर सर्टिफिकेट : यूए * 2 घंटे 18 मिनट 16 सेकंड 
रेटिंग : 3/5 
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