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स्कैम 2003: द तेलगी स्टोरी रिव्यू: पैसा कमाने वाला नहीं बनाने वाला घोटालेबाज तेलगी

Scam 2003 The Telgi Story web series review | स्कैम 2003: द तेलगी स्टोरी रिव्यू: पैसा कमाने वाला नहीं बनाने वाला घोटालेबाज तेलगी
Scam 2003 The Telgi Story : हंसल मेहता ऐसे घोटालों पर वेबसीरिज बना रहे हैं जिन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था को हिला दिया था। 'स्कैम 1992' शेयर बाजार के हर्षद मेहता पर आधारित थी। 'स्कैम 2003: द तेलगी स्टोरी' नकली स्टॉम्प पेपर छापने वाले अब्दुल करीम तेलगी पर आधारित है जिसने सिस्टम को हिला दिया था। यह सीरिज संजय सिंह की किताब 'तेलगी स्कैम: रिपोटर्स की डायरी' से प्रेरित है। 
 
रेल में ग्राहकों को इस अंदाज में तेलगी फल बेचता है शौकत (तलत अजीज) उसे मुंबई बुला लेते हैं। मायानगरी मुंबई में तेज दिमाग तेलगी हमेशा दो को चार नहीं बल्कि दो को दो सौ करने में लगा रहता है। आखिरकार उसके दिमाग में नकली स्टॉम्प पेपर छापने की बात आती है और इस राह में आने वाली हर अड़चन को वह दूर कर देता है। 
 
भ्रष्टाचार की दीमक के कारण सड़ चुके सिस्टम पर तेलगी इस कदर प्रहार करता है कि सब कुछ छिन्न भिन्न हो जाता है। वह जो चाहता है वह करता है। यकीन करना मुश्किल है, लेकिन तेलगी नासिक में सरकारी प्रेस में छपने वाले स्टॉम्प पेपर की छपाई को रूकवा कर अपने स्टॉम्प पेपर बेचता है और बात हजार करोड़ तक पहुंच जाती है। 
 
नेता, पुलिस और सरकारी अधिकारियों को वह नोटों का लालच दिखा कर उनके गले में पट्टा बांध देता है। वह कम से संतुष्ट होने वालों में नहीं है। नोट उसे कमाना नहीं बल्कि बनाना है। 
 
इस सीरिज के पांच एपिसोड में दिखाया गया है कि किस तरह एक छोटे से गांव से आया युवक किस तरह से भारतीय अर्थव्यवस्था को चौपट कर देता है। हर मुश्किल का जवाब उसके पास है और जोखिम लेने से वह कभी पीछे नहीं हटता। 
 
कहानी वहां तक पहुंच चुकी है कि तेलगी अपने लालच के कारण बहुत ऊपर तक जा पहुंचा है, लेकिन अब उसके बुरे दिन शुरू होने वाले हैं। बाकी की कहानी के एपिसोड्स नवंबर में स्ट्रीम होंगे। 
 
निर्देशक तुषार हीरानंदानी ने तेलगी की कहानी को मनोरंजक तरीके से पेश किया है। आप तेलगी के बारे में या स्टॉम्प पेपर के बारे में अधिक जानकारी नहीं भी रखते हैं तो भी मनोरंजन के नाम पर ये सीरिज देख सकते हैं। 
 
तुषार ने सीरिज को तेजी से दौड़ाया है। तेलगी ने जिस तरह के कारनामे करता है उस पर यकीन करना मुश्किल हो जाता है, लेकिन हकीकत में ऐसा हुआ है। ये बात सोचने लायक है कि किस कदर भ्रष्टाचार फैला हुआ है कि तेलगी बेखौफ हो कर अपना काम कर गया। लेकिन बात में गहराई की कमी थोड़ी खलती है और कहीं-कहीं तेलगी को एक हीरो की तरह पेश किया गया है। 
 
सीरिज की कास्टिंग जोरदार है। अब्दुल करीम तेलगी का किरदार गगन देव ने क्या खूब अदा किया है। बड़े से बड़ा कम चुटकियों में करने का आत्मविश्वास, पैसा कमाने की धुन, स्ट्रीट स्मार्टनेस, लालच जैसे तेलगी के सारे गुण और अवगुण को वे अपने अभिनय से सामने लाकर रख देते हैं। वे सीरिज देखने की बड़ी वजह हैं। पहला सीज़न अच्छा बन पड़ा है और दूसरे सीज़न का इंतजार है। 
  • निर्देशक : तुषार हीरानंदानी 
  • सीजन : 1, एपिसोड : 5 
  • ओटीटी: सोनी लिव 
 
 
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