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Written By समय ताम्रकर

हेट स्टोरी 3 : फिल्म समीक्षा

हेट स्टोरी 3 : फिल्म समीक्षा - Hate Story 3, Zarine Khan, Daisy Shah, Hindi Film, Samay Tamrakar
हेट स्टोरी सीरिज की फिल्मों में बदले की कहानी, बोल्ड सीन और अपशब्दों वाले संवाद होते हैं। हेट स्टोरी 3 में संवादों का तीखापन हटा दिया गया है और इसकी जगह हिट संगीत ने ली है। बदले की कहानी को उतार-चढ़ाव और सस्पेंस के साथ पेश किया गया है जिसका आइडिया विदेशी फिल्मों से लिया गया है। इस सीरिज की खासियत ये भी होती है कि ट्रेलर में ही सब कुछ बता दिया जाता है कि किस तरह की फिल्म देखने को मिलेगी और दर्शन उसी मानसिकता के साथ फिल्म को देखने जाता है। 
 
पिछली दो फिल्मों में ज्यादा लोकप्रिय चेहरे नहीं थे। इस बार एक-एक फिल्म पुरानी ज़रीन खान और डेज़ी शाह हैं जो इसलिए जानी-पहचानी हैं क्योंकि सलमान खान के साथ असफल फिल्मों के जरिये वे लांच हुईं। लंबे समय बेरोजगार इन हीरोइनों ने बोल्ड किरदार निभाकर दर्शकों को चौंकाया है और अपने करियर में जान फूंकने की कोशिश की है। 
आदित्य दीवान (शरमन जोशी) एक सफल उद्योगपति है। मलेशिया से डेलिगेट्स मिलने आने वाले हैं, 500 करोड़ रुपये की डील होना है, जैसी बातें सुनने को मिलती है जिससे अंदाजा होता है कि अरबों-खरबों का उसका व्यवसाय है। उसकी खूबसूरत पत्नी सिया (ज़रीन खान) हमेशा उसकी बगल में नजर आती है। 
 
एक महंगी ऑडी कार गिफ्ट में देकर आदित्य को सौरव सिंघानिया (करण सिंह ग्रोवर) चौंकाता है। वह बिना ब्याज का करोड़ों रुपये आदित्य को ऑफर करता है। आदित्य मेहरबानी की वजह पूछता है तो वह बदले में आदित्य की पत्नी सिया के साथ एक रात बिताना चाहता है। आदित्य यह ऑफर ठुकरा देता है तो सौरव उसके बिज़नेस को अपने चालाक दिमाग से तहस-नहस कर देता है। 
 
सौरव कौन है? उसकी क्या असलियत है? यह आदित्य को पता नहीं चलता। अपनी सेक्रेटरी काव्या (डेज़ी शाह) को वह यह जिम्मा सौंपता है, लेकिन वह भी मारी जाती है। सौरव क्यों आदित्य का बुरा चाहता है? उसकी असलियत क्या है? इसका खुलासा फिल्म में अंतिम मिनटों में होता है। 
 
विक्रम भट्ट ने कहानी लिखी है जिसमें उतार-चढ़ाव है। फिल्म के किरदार इस तरह लिखे गए हैं कि कौन किसे बेवकूफ बना रहा है, कौन सही है कौन गलत, यह बात दर्शकों के दिमाग में लगातार चलती रहती है। हालांकि यदि फिल्म ध्यान से देखी जाए तो शुरुआत में ही संकेत मिल जाता है कि सौरव की असलियत क्या है।
 
कहानी के साथ दिक्कत यह है कि जब सस्पेंस खुलता है तो वो दर्शकों को पूरी तरह संतुष्ट नहीं करता, लेकिन अच्छी बात यह है कि तब तक आप 90 प्रतिशत फिल्म आप देख चुके होते हैं और इस दौरान फिल्म आपकी उत्सुकता बनाए रखती है। काव्या को मार डालने की खास वजह नहीं मिलती? एक शक्तिशाली और धनाढ्य उद्योगपति सौरव के बारे में क्यों कुछ पता नहीं लगा पाता? जैसे कुछ सवाल अनुत्तरित रह जाते हैं। 
 
सिया के साथ रात गुजारने वाली बात भी सिर्फ चौंकाने के लिए रखी गई है और कहानी से उसका कोई विशेष ताल्लुक नहीं है। फिल्म में बीच-बीच में हिट गाने लगातार आते रहते हैं। गानों का फिल्मांकन बोल्ड है और उस दर्शक वर्ग को लुभाता है जिनके लिए इस फिल्म का निर्माण किया गया है। 
 
 
एक्टिंग डिपार्टमेंट में फिल्म बेहद लचर है। डेज़ी शाह और एक्टिंग में 36 का आंकड़ा है। ज़रीन खान संवादों के अनुरूप चेहरे पर भाव नहीं ला पाती। वे सिर्फ सजी-संवरी गुड़िया लगी। आदित्य की भूमिका में शरमन मिसफिट लगे। न उनसे ढंग की एक्टिंग हुई है और न ही वे अरबपति कारोबारी लगे। चीखने-चिल्लाने वाले सीन में तो वे एकदम बेदम लगे। करण सिंह ग्रोवर अपनी शख्सियत के बूते शरमन पर हावी रहे, हालांकि उनका अभिनय भी औसत ही रहा।
 
निर्देशक के बतौर विशाल पंड्या ने ड्रामे, बोल्ड सीन और गानों के बीच संतुलन बनाए रखा है, लेकिन वे कलाकारों से अभिनय नहीं करवा पाए। संगीत फिल्म का प्लस पाइंट है और सारे गाने पहले ही हिट हो चुके हैं। 
 
कुल मिलाकर 'हेट स्टोरी 3' उस दर्शक वर्ग को संतुष्ट करती है जो इस तरह की फिल्में पसंद करता है, लेकिन अन्य दर्शकों के लिए यह औसत दर्जे की है। 
 
 
बैनर : टी सीरिज
निर्माता : भूषण कुमार
निर्देशक : विशाल पंड्या
संगीत : अमाल मलिक, मीत ब्रदर्स, बैनमैन
कलाकार : ज़रीन खान, डेज़ी शाह, शरमन जोशी, करण सिंह ग्रोवर
सेंसर सर्टिफिकेट : ए * 2 घंटे 11 मिनट 35 सेकंड 
रेटिंग : 2/5