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Written By समय ताम्रकर

एबीसीडी 2 : फिल्म समीक्षा

एबीसीडी 2 : फिल्म समीक्षा - ABCD2 Film Review
डांस को लेकर भारत में जो दीवानगी इस समय है, पहले कभी नहीं देखी गई। टीवी पर प्रसारित होने वाले डांस रियलिटी शो ने इसमें अहम भूमिका निभाई है। टीनएजर्स में इस दीवानगी को देखते हुए गली-गली में डांस सिखाने वाले स्कूल खुल गए और यह कमाई का बड़ा जरिया बन गया। डांस पसंद करने वालों का एक बड़ा दर्शक वर्ग तैयार हो गया जिसे ध्यान में रख कर कोरियोग्राफर रेमो डिसूजा ने 'एनी बडी केन डांस एबीसीडी' निर्देशित की थी। यह कमजोर फिल्म थी, लेकिन डांस के कारण यह फिल्म सफल सिद्ध हुई। यही वजह है कि इसके सीक्वल 'एबीसीडी2' में रेमो को बड़ा बजट मिला। लास वेगास में फिल्म का बड़ा हिस्सा शूट किया गया। वरुण धवन और श्रद्धा कपूर जैसे सितारे इसमें काम करने के लिए राजी हो गए।
एबीसीडी में रेमो ने अपने संघर्ष के अनुभव के आधार पर बनाई थी तो 'एबीसीडी 2' बनाने की प्रेरणा उन्हें नालासोपारा के एक डांस ग्रुप से मिली जो अपने ऊपर लगे 'चीटर्स' के दाग को धोकर लास वेगास का हिपहॉप प्रतियोगिता जीतना चाहते हैं। सुरेश (वरुण धवन) इस ग्रुप का लीडर है। विष्णु (प्रभुदेवा) कई मिन्नतों के बाद इस ग्रुप का गुरु बनता है। पहले वे बंगलौर में क्वालीफाई राउंड में हिस्सा लेते हैं। बाद में लास वेगास जाने के लिए 25 लाख रुपये का इंतजाम कर वहां पहुंचते हैं जहां कई देशों के दिग्गज डांसर्स से उनका मुकाबला होता है। कहानी में ट्वीस्ट तब आता है जब विष्णु रुपये लेकर गायब हो जाता है। इसके अलावा कई बाधाएं उनके रास्ते में आती हैं जिनका वे डटकर मुकाबला करते हैं। 
 
रेमो डिसूजा ने कोरियोग्राफी, लेखन और निर्देशन की तिहरी जिम्मेदारी निभाई है। कहानी उनकी ही है और स्क्रीनप्ले उन्होंने तुषार हीरानंदानी के साथ मिलकर लिखा है। 'एबीसीडी 2' का सबसे कमजोर पक्ष इसका लेखन ही है। रेमो को लिखने का मोह छोड़ देना चाहिए क्योंकि वे नया नहीं सोच पा रहे हैं। 'एबीसीडी 2' में कहानी जैसी कोई बात है नहीं और यह लगभग 'एबीसीडी' की तरह है। इंटरवल तक तो उन्होंने किसी तरह खींच लिया, लेकिन बाद में यह फिल्म बिखर जाती है और फिर क्लाइमैक्स में ही संभलती है। 
 
रेमो का लेखन एक पैकेज की तरह है कि तीन इमोशनल सीन, चार कॉमेडी सीन और डांस डालकर दर्शकों को खुश कर दो। विष्णु के पैसे लेकर गायब होना और उसकी पर्सनल लाइफ वाला ट्रेक निहायत ही कमजोर साबित हुआ है। ऐन मौके पर विनी (श्रद्धा कपूर) के पैर में चोट लगना और उसकी जगह लॉरेन को लाना भी केवल फिल्म की लंबाई बढ़ाता है। 
 
रेमो ने बार-बार डांसर्स के सामने मुसीबत खड़ी की और तुरंत ही उसका समाधान हाजिर किया। यह सारी बातें इतनी सतही हैं कि दर्शकों को छूती नहीं है। अच्छा तो यह होगा कि रेमो फिल्म किसी और से लिखवाए और खुद निर्देशन करें। 
 
पिछली फिल्मों से तुलना की जाए तो निर्देशक के रूप में रेमो का विकास हुआ है। अब वे कलाकारों से अच्छा अभिनय लेने लगे हैं और फिल्म पर पकड़ भी बनाने लगे हैं। सीन को बेहतर तरीके से फिल्माने लगे हैं। अपने लेखन की कमजोरी को उन्होंने कुशल निर्देशन से बचाने की कोशिश भी की है। जहां फिल्म कमजोर पड़ी वहीं पर उन्होंने एक बेहतरीन डांस डालकर दर्शकों को खुश किया है। साथ ही उनका प्रस्तुतिकरण इस तरह का है कि बीच-बीच में मनोरंजन का डोज देकर दर्शकों को उन्होंने पूरी फिल्म से जोड़ कर रखा है। क्लाइमैक्स में उन्होंने 'वंदे मातरम' को जोड़ देशभक्ति वाला कार्ड कुशलता से खेला है। 
 
रेमो मूलत: कोरियोग्राफर हैं और कोरियोग्राफी इस फिल्म का मजबूत पक्ष है। उन्होंने प्रभुदेवा, वरुण, धर्मेश, पुनीत, लॉरेन  जैसे कलाकारों की एंट्री एक बेहतरीन डांस के साथ रख दर्शकों को खुश किया है। 'हैप्पी ऑवर' में प्रभुदेवा का डांस देखने लायक है। 'बेजुबान फिर से' और 'वंदे मातरम' की कोरियोग्राफी बेहतरीन है। भव्य सेट होने के कारण आंखों को गाने देखने में अच्छे लगते हैं। 
 
 
थ्री-डी इफेक्ट्स फिल्म का सबसे मजबूत पक्ष है। कहा जा सकता है कि बॉलीवुड में 'एबीसीडी 2' के पहले इतने बेहतरीन थ्री-इफेक्ट्स कभी नहीं देखे गए। कई सीन थ्री-डी इफेक्ट्स के कारण प्रभावित करते हैं। इसके लिए तकनीशियन बधाई के पात्र हैं। यदि आप फिल्म देखना चाहें तो थ्री-डी में ही देखे, इससे मजा निश्चित रूप से बढ़ जाता है। 
 
चूंकि फिल्म एक ग्रुप की कहानी है, इसलिए लीड रोल में होने के बावजूद वरुण धवन को ज्यादा फुटेज नहीं दिया गया है। वे ग्रुप का एक हिस्सा ही नजर आते हैं। एक्टिंग से ज्यादा वे डांस के द्वारा प्रभावित करते हैं। श्रद्धा कपूर को ज्यादा अवसर नहीं मिले हैं। यूं भी रेमो की फिल्मों में महिला किरदार के लिए कम ही जगह रहती है। डांस ग्रुप में वे एकमात्र महिला सदस्य रहती हैं। बाद में लॉरेन आकर जुड़ती हैं। लॉरेन के डांस तारीफ के काबिल हैं। प्रभुदेवा ने खुल कर अभिनय नहीं किया है। शायद भाषा की समस्या उनके सामने रहती है। धर्मेश, पुनीत, राघव को डांस और अभिनय का अवसर भी मिला है। 
 
'एबीसीडी 2' में कुछ दिक्कते हैं, इसके बावजूद यह फिल्म अपनी टारगेट ऑडियंस को खुश करती है। 
 
बैनर : यूटीवी मोशन पिक्चर्स, वाल्ट डिजनी पिक्चर्स
निर्माता : सिद्धार्थ रॉय कपूर
निर्देशक : रेमो डिसूजा
संगीत : सचिन-जिगर
कलाकार : वरुण धवन, श्रद्धा कपूर, प्रभुदेवा, राघव जुयाल, पुनीत पाठक, धर्मेश येलांदे, लॉरेन, प्राची शाह
सेंसर सर्टिफिकेट : यू * 2 घंटे 34 मिनट 
रेटिंग : 3/5