गुरुवार, 25 अप्रैल 2024
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Written By समय ताम्रकर

मौसम : फिल्म समीक्षा

Mausam Movie Review | मौसम : फिल्म समीक्षा
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बैनर : इरोज इंटरनेशनल मीडिया लि., विस्तार रेलीगर फिल्म फंड, सिनर्जी
निर्माता : शीतल विनोद तलवार, सुनील ए. लुल्ला
निर्देशक : पंकज कपूर
संगीत : प्रीतम
कलाकार : शाहिद कपूर, सोनम कपूर, अनुपम खेर, अदिती शर्मा, सुप्रिया पाठक
सेंसर सर्टिफिकेट : यू * 2 घंटे 45 मिनट * 20 रील
रेटिंग : 2.5/5

यदि निर्देशक को अपने द्वारा फिल्माए गए दृश्यों से मोह हो जाए तो यह बात फिल्म के लिए खतरनाक साबित होती है। वह इन दृश्यों को काटने का साहस जुटा नहीं पाता। और यही एक वजह है जिससे मौसम फिल्म की लंबाई 165 मिनट हो गई। इस वजह से फिल्म ठहरी हुई लगती है।

यदि यह फिल्म एक घंटे छोटी कर दी जाए तो न केवल फिल्म की गति तेज हो जाएगी बल्कि दर्शकों का ध्यान भी फिल्म की कमियों की ओर नहीं जाएगा। 20-ट्वेंटी के इस युग में दर्शक को इतनी देर बांध कर रखना बहुत ही मुश्किल काम है।

निर्देशक पंकज कपूर ने फिल्म की कहानी भी लिखी है और उसमे इतने सारे संयोग डाल दिए हैं मानो लगता है कि एकता कपूर का कोई पुराना टीवी धारावाहिक देख रहे हैं। इससे कहानी ने अपनी विश्वसनीयता खो दी है।

शुरुआत में जब तक कहानी पंजाब में रहती है फिल्म अच्छी लगती है। पुराने दौर का रोमांस देखना सुखद लगता है जब प्रेमियों के दिल की बात जुबां पर आने में लंबा वक्त लगता था। अपनी प्रेमिका के दीदार के लिए प्रेमी घंटों खड़ा रहता था। प्रेम में शालीनता रहती थी।

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यह हिस्सा पंकज कपूर ने खूबसूरती से फिल्माया है, लेकिन जैसे ही कहानी स्कॉटलैंड में शिफ्ट होती है निर्देशक और लेखक की फिल्म पर से पकड़ छूट जाती है। दस वर्ष से भी ज्यादा लंबे समय में फैली इस कहानी को पंजाब से स्कॉटलैंड, स्कॉटलैंड से पंजाब, फिर स्कॉटलैंड से लेकर अहमदाबाद तक घुमाया गया है और वास्तविकता का पुट देने के लिए इस दौरान हुए बड़े घटनाक्रमों को भी जोड़ा गया है, लेकिन बहुत ज्यादा दिखाने की चाह में बात नहीं बन पाई।

मल्लुकोट में रहने वाला हरिंदर सिंह उर्फ हैरी (शाहिद कपूर) एअर फोर्स में शामिल होना चाहता है। उसके गांव में कश्मीर में चल रहे आतंकवाद के कारण आयत (सोनम कपूर) अपनी आंटी के पास रहने आती है। दोनों एक-दूसरे को चाहने लगते हैं। इसके पहले की बात और आगे बढ़े आयत अचानक एक दिन अपने परिवार के साथ गांव छोड़कर चली जाती है।

इसी बीच हैरी एअर फोर्स में शामिल हो गया है और काम के सिलसिले में स्कॉटलैंड जाता है। सात वर्ष बाद वहां उसकी मुलाकात आयत से होती है। बात थोड़ी आगे बढ़ती है कि कारगिल युद्ध छिड़ जाता है जिसके कारण हैरी को अचानक भारत लौटना पड़ता है। हैरी यह बात आयत को बता भी नहीं पाता। हैरी की तलाश में आयत सके गांव मल्लुकोट आती है, लेकिन हैरी का कुछ पता नहीं चलता। युद्ध में हैरी घायल हो जाता है और उसक इलाज चलता है।

हैरी के नाम एक खत लिखकर आयत गांव में रहने वाली लड़की रज्जो को दे आती है। रज्जो यह खत हैरी तक नहीं पहुंचाती क्योंकि वह भी हैरी को चाहती है। शरीर के बांए हिस्से में लकवे से ग्रस्त हैरी अपनी स्विट्जरलैंड में रहने वाली बहन को कहता है कि वह स्कॉटलैंड में आयत के घर जाए। वह जाती है तो पता चलता है कि आयत ने स्कॉटलैंड छोड़ दिया है।

कुछ महीनों बाद स्विट्जरलैंड में हैरी को आयत दिखाई देती है। वह अपने कजिन और उसके बच्चे के साथ है। हैरी समझता है कि आयत ने शादी कर ली है और वह बिना बात किए अपने गांव लौट जाता है। 9/11 की घटना के कारण आयत भारत लौट आती है अहमदाबाद में रहने लगती है। एक शादी में हैरी पंजाब से अहमदाबाद जाता है। अहमदाबाद में दंगे छिड़ जाते हैं और इसी दौरान आयत और हैरी फिर मिल जाते हैं।

इस कहानी को पढ़कर आप समझ ही गए होंगे कि कितने सारे संयोग इसमें शामिल हैं। इसके अलावा भी कई संयोग हैं मसलन जब हैरी, आयत के घर फोन लगाती है तो उसके घर पर कोई नहीं होता और जब आयत ऐसा करती है तो हैरी के घर पर कोई नहीं होता।

हैरी, आयत के घर जाता है या आयत, हैरी के घर, दोनों को हमेशा ताला मिलता है। यह भी समझ के परे है कि जब हैरी को आयत स्कॉटलैंड में देखती है तो उससे छिपती क्यों है, जबकि उसे तो खुश होना चाहिए कि उसका प्रेमी उसे सात वर्ष बाद दिखाई दिया।

इसी तरह हैरी का आयत को उसके कजिन के साथ देख कर यह मान लेना कि आयत ने शादी कर ली है बहुत ही कमजोर प्रसंग है। स्कॉटलैंड हो या अहमदाबाद, अचानक दोनों का आमने-सामने हो जाना भी जंचता नहीं है। क्लाइमैक्स तो ऐसा लगता है मानो एक्शन फिल्म का दृश्य देख रहे हो। इंटरवल के बाद फिल्म दोहराव का शिकार हो जाती है और वही के वही किस्से लगातार दोहराए जाते हैं।

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लेखक के बजाय निर्देशक के रूप में पंकज का काम बेहतर है। कई दृश्य ऐसे हैं जो दिल को छूते है, लेकिन पूरी फिल्म के लिए यह बात नहीं कही जा सकती है। फिल्म की गति उन्होंने बेहद धीमी रखी है जिससे दर्शकों का धैर्य जवाब देने लगता है।

शाहिद कपूर का अभिनय उम्दा है, खासतौर पर एअर फोर्स में शामिल होने के पहले। सोनम कपूर की मासू‍मियत और खूबसूरती उनके किरदार को सूट करती है। प्रीतम का संगीत उम्दा है और ‘टशन’ और ‘ये कैसा इश्क है’ सुनने लायक है। बिनोद प्रधान की सिनेमाटोग्राफी तारीफ के काबिल है। हर शॉट उन्होंने सूझबूझ के साथ फिल्माया है।

कुल मिलाकर इस प्रेम कहानी में कुछ ऐसे दृश्य हैं जो दिल को छूते हैं, लेकिन पूरी फिल्म के बारे में यह बात नहीं कही जा सकती।