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Written By समय ताम्रकर

नवीन निश्चल : गरीबों के राजेश खन्ना

नवीन निश्चल : गरीबों के राजेश खन्ना -
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बात लगभग 41 वर्ष पुरानी है जब निर्माता-निर्देशक मोहन सहगल ने अपनी फिल्म ‘सावन भादो’ के जरिये दो नए कलाकारों को अवसर दिया। अभिनेत्री रेखा कुछ साउथ की फिल्म कर चुकी थीं और हिंदी फिल्मों में पदार्पण कर रही थी। उनके नायक थे नवीन निश्चल।

मोहन सहगल को उनके शुभचिंतकों ने कहा कि यह जोड़ी बेमेल है। उस समय अभिनेत्री बनने के लिए पहली आवश्यकता होती थी कि रंग गोरा हो। रेखा साँवली होने के साथ-साथ बदसूरत दिखाई देती थी। दूसरी ओर नवीन एकदम गोरे-चिट्टे थे और उनकी त्वचा दमकती थी।

मोहन ने किसी की बात नहीं सुनी और वही किया जो उनके दिल को अच्छा लगा। सावन भादो रिलीज हुई और बॉक्स ऑफिस पर सफल फिल्म साबित हुई। नवीन को पहली ही फिल्म में कामयाबी मिली और बॉलीवुड को नया हीरो मिल गया।

नवीन के घर निर्माताओं की लाइन लग गई और नवीन ने बिना सोचे समझे ढेर सारी फिल्में साइन कर ली। 1971 में 6 फिल्में रिलीज हुई, जिसमें से बुड्ढा मिल गया को ही औसत सफलता मिली। नवीन को समझ में आ गया कि उन्होंने गलती की है, लेकिन इसका उनके करियर पर गंभीर असर हुआ।

गरीबों का राजेश खन्ना
नवीन ने पहली फिल्म की सफलता के बाद लगातार असफलता देखी। इसके बाद उन्होंने विक्टोरिया नं. 203 और धर्मा जैसी सुपरहिट फिल्में दी। चेतन आनंद की फिल्म हँसते जख्म (1973) में उनके अभिनय की सराहना हुई। इसमें वे प्रिया राजवंश के साथ नजर आए और फिल्म के गाने आज भी गुनगुनाए जाते हैं।

नवीन ने जब करियर आरंभ किया था तब वह दौर रोमांटिक फिल्मों का था। राजेश खन्ना सुपरस्टार थे और लोग उनके दीवाने थे। नवीन निश्चल के अभिनय में राजेश खन्ना की झलक देखने को मिलती है। इसलिए उन्हें उन निर्माताओं ने साइन कर लिया जो राजेश को अपनी फिल्मों में नहीं ले सकते थे। इसलिए उन्हें गरीबों का राजेश खन्ना कहा जाने लगा।

एक्शन फिल्मों ने किया कबाड़ा
नवीन का अभिनय रोमांटिक और फैमिली ड्रामा में ज्यादा सहज नजर आता था। ऐसा लग रहा था कि वे बतौर हीरो लंबी पारी खेल सकेंगे, लेकिन अचानक हिंसात्मक फिल्मों की बॉलीवुड में भरमार हो गई।

शोले और जंजीर जैसी फिल्मों की कामयाबी से निर्माता-निर्देशकों का ध्यान एक्शन फिल्मों की ओर चला गया और नवीन जैसे अभिनेता हाशिये पर चले गए। एक्शन भूमिकाओं में नवीन फिट नहीं बैठते थे। लिहाजा नवीन ने चरित्र भूमिकाएँ निभाना शुरू की और परदे पर वे नजर आते रहे। उनका अभिनीत टीवी धारावाहिक ‘देख भाई देख’ भी काफी पॉपुलर हुआ था।

पत्नियों ने नहीं पटी
नवीन निश्चल का पारिवारिक जीवन कलहपूर्ण रहा और इसका असर भी उनके करियर पर हुआ। उनकी दोनों पत्नियों से नहीं पटी। उनकी दूसरी पत्नी गीतांजली ने वर्ष 2006 में फाँसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। नवीन और उनके भाई प्रवीण पर उन्होंने प्रताड़ना का आरोप लगाया था। इससे नवीन को गहरा धक्का पहुँचा था।

नवीन का कहना था कि उनकी दूसरी पत्नी बेहद मूडी थी और उन्हें घर से भी बाहर निकाल चुकी थी। गीतांजली की भी यह दूसरी शादी थी। नीलू कपूर, नवीन की पहली पत्नी थी जो फिल्म निर्देशक शेखर कपूर की बहन है। नवीन का नाम जब एक फिल्म अभिनेत्री से जोड़ा जाने लगा और बात हद से बढ़ गई तो नीतू ने उनसे तलाक ले लिया। 19 मार्च 2011 को नवीन का मुंबई में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया।

प्रमुख फिल्में
सावन भादो (1970), बुड्ढा मिल गया (1971), विक्टोरिया नं. 203 (1972), धर्मा (1973), हँसते जख्म (1973), धुँध (1973), दो लड़के दोनों कड़के (1979), द बर्निंग ट्रेन (1980), होटल (1981), अनोखा बंधन (1982), देश प्रेमी (1982), सोने पे सुहागा (1988), राजू बन गया जेंटलमैन (1992), आशिक आवारा (1993), आस्था (1997), खोसला का घोसला (2006) ब्रेक के बाद (2010)