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Last Modified: गुरुवार, 2 जून 2022 (19:16 IST)

सम्राट पृथ्वीराज का पहला सीन कभी नहीं भूल सकती: मानुषी छिल्लर से खास मुलाकात

सम्राट पृथ्वीराज का पहला सीन कभी नहीं भूल सकती: मानुषी छिल्लर से खास मुलाकात - Manushi Chhillar tells about her role in Samrat Prithviraj and preparations
मैं अपनी फिल्म 'सम्राट पृथ्वीराज' का पहला सीन कभी नहीं भूल सकती। मैं इस सीन में अपने माता-पिता से बात करती हूं। मैं डॉक्टर साहब यानी निर्देशक डॉ चंद्रप्रकाश द्विवेदी के पास गई और उनसे कहा, मुझे इतना आसान सीन क्यों दिया, वो भी पहले ही दिन? मुझे डॉक्टर साहब ने कहा कि अगर तुमने यह सीन आसानी से कर लिया तो आगे के सारे सीन और भी आसानी से कर लोगी। हालांकि मुझे ऐसा कुछ भी महसूस नहीं हुआ।" यह कहना है मानुषी छिल्लर का, जो कि पृथ्वीराज में संयोगिता के रूप में सिनेमा की दुनिया में अपना पहला कदम रख रही हैं। 
 
मीडिया से बात करते हुए मानुषी ने कहा कि मैं सोचती थी कि अपने डायलॉग्स की रिहर्सल कर लेना, फिल्म के बारे में पढ़ लेना, जान लेना ही सब कुछ है, लेकिन जब मैं कैमरे के सामने पहुंची तब समझ में आया कि कैमरे पर एक्टिंग करना कुछ अलग ही बात है। यहां तो बहुत सारी तकनीकी जानकारियों से गुजरना पड़ता है। आपको मालूम होना चाहिए कि साउंड क्या है, लाइट किस एंगल से आ रही है, कितने पिच पर बोलना है, इस तरह की बहुत सारी तकनीकी ज्ञान की जरूरत पड़ती है। 
 
अपनी फिल्म पृथ्वीराज के प्रमोशनल इंटरव्यू के दौरान मानुषी ने वेबदुनिया की बातों का जवाब देते हुए कहा- "मैंने पृथ्वीराज और संयोगिता की प्रेम कहानी सबसे पहले अमर चित्र कथा कॉमिक बुक में पढ़ी थी। हालांकि इस प्रेम कहानी के भी अलग-अलग वर्णन हैं। यहां तक कि पृथ्वीराज ने मोहम्मद गौरी को कैसे हराया था इस बात के भी अलग अलग वर्णन मिलते हैं। लेकिन इन सब बातों को दरकिनार रखते हुए अगर कहानी के सार पर आते हैं तो आपको समझ में आ जाता है कि लेखक क्या कहना चाहता है। मुझे तो मेरी नानी ने भी इस प्रेम कहानी के बारे में बताया था हालांकि उनके लिए रोमांस का वर्णन कुछ और था। उन्होंने मुझे बताया था कि कैसे संयोगिता और पृथ्वीराज ने स्वयंवर से भाग कर शादी कर ली थी। 
आज जिस परिवेश में हम पले बढ़े हैं पृथ्वीराज और संयोगिता की बात जरूर होती रही है। फिर हमने अपने रिफरेंस के लिए पृथ्वीराज रासो इस किताब पर ध्यान दिया। मैंने जो भी कैरेक्टर निभाया है उसे मैंने कहीं से अलग नहीं बनाया। और फिर, हमारे साथ डॉक्टर साहब थे,  जो इतने सालों से इसी विषय पर रिसर्च कर रहे हैं। उनसे ज्यादा रिसर्च मुझे नहीं लगता किसी और ने इस विषय पर अभी तक की होगी। जब मैं मिस वर्ल्ड बनी थी, तब मेरे पास बिल्कुल समय नहीं था, लेकिन फिर भी मेरे पास 9 से 10 महीने रहे, जब मैं इस विषय के बारे में समझ सकूं झो और अपने कैरेक्टर को एक रूप में ला सकूं। 
 
संयोगिता का रोल चुनौतीपूर्ण
संयोगिता का रोल चुनौतीपूर्ण रहा। इस बात की तसल्ली थी कि जो रोल में निभा रही हूं उसके बारे में लोग जानते हैं। लोग इसके बारे में पढ़ चुके हैं। लेकिन चुनौती इसलिए थी कि किसी किताब में लिखा हो कि संयोगिता ऐसी थी, तो मैं वैसे के वैसे एक अच्छे स्टूडेंट होने के नाते उसे निभा लूं। लेकिन अलग-अलग जगह, अलग-अलग कहानियां थी। मुझे थोड़ा सा अपनी सोच को भी उस कैरेक्टर में डालना पड़ा। मेरे लिए सबसे बड़ा चैलेंज यह था कि क्या मैं डॉक्टर साहब की सोची हुई संयोगिता का रोल निभा पाऊंगी और क्या दर्शक मुझे अपना सकेंगे? 
 
डॉक्टर साहब ने कहा तुम रोमांस नहीं जानती 
अब एक वाकया सुनाती हूं। संयोगिता ने पृथ्वीराज के बारे में बातें सुनी, उसके चित्र देखे, उसका वर्णन सुना और उसे पृथ्वीराज से प्रेम हो गया। उसने ठान लिया कि वह अपने इसी पृथ्वीराज से शादी करेगी और इस बात को लेकर वह अपने माता-पिता से तक लड़ जाती है। मैंने डॉक्टर साहब से बोला कि ऐसा तो कोई लड़की कर ही नहीं सकती। जिसे देखा ही नहीं उसे प्यार कोई कैसे करें? मैं कैसे बताऊं और माता पिता के खिलाफ कैसे चली जाऊं? तब मुझे डॉक्टर साहब ने समझाया कि शायद तुम रोमांस को जानती ही नहीं हो। एक उम्र होती है जब आप अपने प्रेम को पाने के लिए हर बात से लड़ जाते हैं। मेरे लिए वह एक बड़ा विरोधाभास था। पृथ्वीराज रासो पढ़ा और बात की गहराई तक पहुंची कि कैसे संयोगिता ने बिना देखे और बिना मिले एक ऐसे व्यक्ति से इतना प्यार कर लिया और उसके होने पर इतना ज्यादा विश्वास जताया। यह विश्वास ही उनका प्यार बन गया।
 
मैं बोरिंग किस्म की लड़की
मेरी जिंदगी में कोई रोमांस नहीं है। मैं बड़ी ही बोरिंग किस्म की लड़की हूं। मैंने स्कूलिंग  एक गर्ल्स स्कूल से किया है। कॉलेज मेरा गर्ल्स कॉलेज से हुआ है। फिर मैंने जॉब किया। मेरे माता पिता और अपने किताबों के अलावा कहीं कोई रोमांस नहीं रहा है। तीन साल तो मेरे पृथ्वीराज ने ही ले लिए। कहां से किसी को रोमांस के लिए ढूंढू? हां, इतना सोचती हूं कि जब कभी हो तो मुझे लड़ाई ना लड़ना पड़े। इतना विरोधाभास का सामना ना करना पड़े। अपने मां-बाप के खिलाफ न जाना पड़े। 
 
आपका मिस वर्ल्ड होने से क्या आपको फायदा हुआ? 
फायदा तो होता है, लोग आपको जानने लगते हैं। आपकी बातें होती हैं। आपको मिस वर्ल्ड में या ऐसी ब्यूटी पैजेंट में बहुत देखरेख के साथ रखा जाता है, तो एक प्रोटेक्शन मिलता है। एक सुरक्षा की भावना आपके अंदर रहती है। और वैसे भी जब मैं इंटरव्यू दे रही हूं, तो मुझे इस बात की तसल्ली है कि यह पहली बार नहीं कर रही हूं। इसके पहले भी मैंने लोगों से बातचीत की है। मैं एकदम न्यू कमर नहीं हूं। मैं बहुत सारी चीजें जानती हूं। मीडिया में और लोगों की नजरों में हमेशा बनी रहती हूं। हां, इस बार थोड़ा सा अलग तरीके से लोगों के सामने हूं हालांकि मुझे मालूम है कि मीडिया से किस तरीके से बात करनी है।