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कई दिनों तक परिवार ने खाना नहीं खाया था : गोविंदा

पहला चेक देख चार रातों तक सो नहीं पाया था

कई दिनों तक परिवार ने खाना नहीं खाया था : गोविंदा - Govinda, Pehlaj Nihlani, Rangeela Raja, Interview of Govinda
'मैंने जबसे राजनीति छोड़ी है तब से कॉन्ट्रोवर्शियल बातों के बारे में बात करना भी छोड़ दिया है। अब 'रंगीला राजा' के प्रमोशन के दौरान मैं अगर 'मी टू' के बारे में बोलूंगा तो लोगों को ये न लगने लगे कि मैं फिर राजनीति का रास्ता पकड़ने वाला हूं।'
 
अपनी फिल्म 'रंगीला राजा' के के बारे में गोविंदा ने 'मी टू मूवमेंट' के बारे में अपने विचार रखते हुए 'वेबदुनिया' संवाददाता रूना आशीष से कहा कि हमारे देश में कुछ गिनकर 40-45 लोग ही होंगे जिनके नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जाने जाते हैं। वे देश की पहचान बन जाते हैं और विदेशों में हमारे देश की छवि वे शख्सियतें बना देती हैं। जब ऐसा कोई आक्षेप उन पर लगता है, तो सबसे पहले देश का छवि को नुकसान पहुंचता है। बाहर के देश वाले सोचने लग जाते हैं कि इस देश में ऐसा ही सब होता रहता है। मुझे ये बात पसंद नहीं। ऐसे विषय में गोपनीयता बरती जानी चाहिए और ये मुमकिन भी है।
 
तो गोपनीयता और जुर्म समान पलड़े पर आ जाएंगे?
नहीं, बिलकुल नहीं। जिसको जिस अंदाज में अपने साथ हुई बात कहना है, वो कह सकता है। साथ ही जिसे जिसके बारे में कहना है वो आपस में कहते रहें लेकिन जरा प्राइवेट में हो तो अच्छा है, क्योंकि उसमें हमारे देश का नाम नहीं उछलेगा। आपस में जो कहना हो, कहिए। ये बात मुमकिन है, क्योंकि क्या है कि जब बात तय होना होगी वो तो हो जाएगी लेकिन तब तक तो इसी बात का रोना होगा।
 
आप 25 साल बाद पहलाज निहलानी के साथ काम कर रहे हैं। उनकी सबसे पहली बात क्या याद है आपके जेहन में?
उनका दिया हुआ मेरा पहला चेक। मैं चेक को देखकर चार रातों तक सो नहीं पाया था। मैं मन ही मन सोच रहा था कि अरे मैं तो हीरो बन गया हूं। मैं सोचता रहा कि अब ऐसा क्या काम करूं कि गरीबी वापस न देखनी पड़े। उस समय पहलाजजी मुझे कहते कि एक दिन तू बड़ा आदमी बनेगा, स्टार बनेगा और बहुत पैसा कमाएगा और मुझे ज्यादा समझ नहीं आता था। मुझे बस हर हाल में उस गरीबी से बचना था, जो मैं देखकर आया था। मैं गरीबी से डर गया था।
 
कैसे थे वो डरावने दिन?
बहुत गरीबी भरे थे। खाने-पीने की भी नौबत नहीं बची थी। कई दिनों तक हमारे पूरे परिवार ने पूरा खाना नहीं खाया था। सब्जी तो खाई ही नहीं थी, क्योंकि वो महंगी पड़ती थी, तो हम दाल-रोटी खाते थे। और मुझे लगता था कि दाल में दाल ही न हो तो सिर्फ पानी के साथ कैसे खाई जाए?
 
अपनी बातों को जारी रखते हुए गोविंदा बोले कि एक दिन जब मैं 13 साल का था तो मेरी मां ने पूजा वाली जगह पर मुझे बुलाकर बैठाया और गले में माला पहनाते हुए कहा कि आज से पूरे घर की जिम्मेदारी तेरी हुई। सबका ध्यान अब तुझे ही रखना होगा। अब 13 साल की उम्र वाली जो मेरी समझ थी उस हिसाब से मैंने भी मां को कह दिया कि मां जैसे भी हो, मैं घर के लिए काम कर लूंगा। और जीवनभर वो करूंगा, जो तू मुझे कहेगी और सिखाएगी। मैं तो शुक्रगुजार हूं फिल्म इंडस्ट्री का कि इसमे मुझे कितने अच्छे दिन दिखाए। खाना-पीना। स्टारडम सब दिया है।
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