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Last Modified: गुरुवार, 9 जनवरी 2020 (06:36 IST)

Exclusive Interview : इन दिनों मेरी फिल्मों पर भी सवाल उठने लगे हैं- अजय देवगन

Exclusive Interview : इन दिनों मेरी फिल्मों पर भी सवाल उठने लगे हैं- अजय देवगन - Ajay Devgn, Tanhaji The Unsung Warrior, Interview of Ajay Devgn
“हम फ़िल्मों दर्शकों के लिए बनाते है। जब दर्शक बदलता है तो हमें भी फ़िल्म बदलना पड़ती हैं। एक समय था जब सोने की तस्करी बहुत हुआ करती थी तो हमें वैसी फ़िल्में बनानी पड़ी। 
 
60 के दशक में सास-बहू पर बहुत फिल्में बनीं। अस्सी के दशक में करप्शन पर खूब बनी फिल्में देखने को मिलीं। अगर लोग बदलते हैं तो फिल्मों में भी बदलाव होगा। 
 
अभी जो दर्शक हैं वो इतनी तरह की फ़िल्में देख रहे हैं तो उन्हें जो पसंद आए ऐसे विषय ढूँढना पड़ते हैं।” अजय देवगन ने यह बातें तान्हाजी द अनसंग वॉरियर के प्रमोशनल इंटरव्यू के दौरान बताईं। 


 
“इन दिनों मेरी फिल्म पर भी सवाल उठने लगे हैं। अब इसके झंडे पर उठाए गए सवाल की ही बात कर लो। कई गुट होते हैं जो कहते हैं कि ये हमारे आदमी थे तो दूसरे बोलते हैं कि ये हमारे आदमी थे। लेकिन कोई नहीं कहता कि तान्हाजी देश के आदमी थे और देश के लिए बहुत बड़ा काम करके चले गए।”
 
आपने क्या सीखा तान्हाजी से? 
मैं क्या कहूं? आप और मेरे जैसे लोग तो इनकी बराबरी के है ही नहीं। ये लोग देश के लिए मर मिटने के लिए हरदम तैयार रहते थे। ये खास गणों के साथ ही पैदा होते हैं। ये लोग बनाए नहीं जाते बल्कि ऐसे ही विलक्षण पैदा होते हैं। इनके बारे में पढ़ेंगे तो समझ आएगा कि ये हमें जो भारत सौंप गए हैं हम उसी बात के लिए शुक्रिया कर दें या फिर उसी भारत को सम्हाल ले तो वही बहुत हो जाएगा।


 
3-डी होने के कारण क्या शूट में कोई अंतर आया? 
इस तरह का 3-डी अभी तक देश में नही हुआ होगा। दर्शकों ने भी नहीं देखा होगा। हमें इस तकनीक की वजह से बहुत ज़्यादा प्लानिंग करनी पड़ी थी। हर सीन में बहुत मेहनत लगी। खुशी की बात यह है कि हमारे पूरे शूट में सिर्फ हिंदुस्तानियों ने काम किया। सिर्फ कुछ सीन के लिए मेरे विदेशी आर्टिस्ट स्टंट करने आए थे। ये वो लोग हैं जो मेरे साथ शिवाय में भी काम कर चुके हैं।
 
इस फिल्म के लिए क्या रिसर्च करना पड़ा? 
यह काम मेरे निर्देशक ओम राउत ने किया। वे कई इतिहासकारों से मिले। उनके द्वारा उस समय और हालातों को जाना। वैसे भी तान्हाजी के बारे में ज्यादा लिखा नहीं गया है। सब आंशिक तौर पर मिला। कहीं तान्हाजी का ज़िक्र मिला, तो कहीं उनकी पत्नी के बारे में लिखा गया। वे कैसे बात करते होंगे? कैसे काम करते होंगे? ये सब विचार के आधार पर ही लिखना पड़ा। 
 
तान्हाजी के किसी वंशज से मिले? 
हां। तान्हाजी की 13वीं पीढ़ी और तान्हाजी के भाई सूर्या के वंशजों से मिला। बहुत सारी बातें भी हुईं। उन्होंने बहुत मदद की। वे सेट पर भी आए। लोग तानाजी उन्हें पुकारते हैं, लेकिन असली नाम तान्हाजी था जो मैंने खुद उनके पास के प्रमाण पत्रों में देखा। 
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