• Webdunia Deals
  1. मनोरंजन
  2. बॉलीवुड
  3. आलेख
  4. Nirvana Film Festival commemorates an Indian love story in France and celebrates Indian culture
Last Modified: गुरुवार, 13 जून 2024 (11:58 IST)

फ्रांस में एक भारतीय प्रेम कहानी की याद में निर्वाण फिल्म फेस्टिवल और भारतीय संस्कृति की धूम

Nirvana Film Festival commemorates an Indian love story in France and celebrates Indian culture - Nirvana Film Festival commemorates an Indian love story in France and celebrates Indian culture
Nirvana Film Festival: दक्षिणी फ्रांस के ऐतिहासिक शहर सेंट ट्रोपे में आयोजित निर्वाण फिल्म फेस्टिवल में बड़ी संख्या में फ्रेंच दर्शकों ने भारतीय फिल्मों में रूचि दिखाई है। 19वीं सदी के तीसरे दशक में अविभाजित पंजाब में एक अद्भुत प्रेम कहानी घटित हुई थी जिसकी यादें आज भी सेंट ट्रोपे शहर के एक बाग में सुरक्षित हैं। यहां महाराजा रणजीत सिंह, फ्रेंच कमांडर ज्यां फ्रांसुआ अलार्ड और उनकी भारतीय पत्नी बन्नू पान देई की मूर्तियां उस प्रेम कहानी की याद दिलाती रहती है।
 
19वीं सदी के तीसरे दशक में पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह के कमांडर रहे ज्यां फ्रांसुआ अलार्ड के वंशज हेनरी अलार्ड और उनके बेटे फ्रेडरिक अलार्ड की पहल पर सेंट ट्रोपे की मेयर सिल्वी सीरी, फ्रांस में भारत के राजदूत जावेद अशरफ, फ्रेंच अभिनेत्री मारियान बोर्गो, हिंदुजा उद्योग समूह (यूरोप) के अध्यक्ष प्रकाश पी हिंदुजा के सहयोग से भारत के चर्चित लेखक पत्रकार डॉ भुवन लाल ने फ्रांस में सिनेमा के माध्यम से भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार के लिए यह फेस्टिवल शुरू किया है।
 
इस बार भारतीय फिल्म निर्देशक आशुतोष गोवारिकर, जे एंथनी जोसेफ, लीना यादव, मशहूर सिनेमैटोग्राफर असीम बजाज, फिल्म निर्माता कैप्टन गुलाब सिंह, हालीवुड की मशहूर वितरक मारी एडलर और ब्रिटिश सांसद लार्ड रैमी रेंजर की यहां खास उपस्थिति रहीं। कैप्टन गुलाब सिंह ने जोर देकर कहा कि इस तरह के फेस्टिवल दुनिया के उन देशों में जरूर होने चाहिए जिनके साथ भारत के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रिश्ते हैं।
 
ज्यां फ्रांसुआ अलार्ड फ्रांस के शासक नेपोलियन बोनापार्ट की सेना में एक कमांडर थे। नेपोलियन की मृत्यु के बाद मार्च 1822 में वे ईरान - अफगानिस्तान होते हुए महाराज रणजीत सिंह के दरबार में लाहौर पहुंचे थे और उनकी सेना को अंग्रेजों से लड़ने के लिए आधुनिक ढंग से फ्रेंच शैली में प्रशिक्षण दिया था। उन्हें फारसी भाषा का अच्छा खासा ज्ञान था। उन्होंने हिमाचल प्रदेश की राजकुमारी बन्नू पान देई से मार्च 1826 में प्रेम विवाह किया था। हेनरी अलार्ड और उनके बेटे फ्रेडरिक अलार्ड उन्ही ज्यां फ्रांसुआ अलार्ड के वंशज हैं जो भारत से बेइंतहा मुहब्बत करते हैं और चाहते हैं कि दोनों देशों में आपसी रिश्ते लगातार मजबूत होते रहें।
 
निर्वाण फिल्म फेस्टिवल में भारतीय सिनेमा के साथ साथ भारतीय नृत्य- संगीत, योग और ध्यान, फैशन शो और खान पान को भी शामिल किया गया है। इसलिए फ्रेंच भाषा में इस फेस्टिवल का नाम रखा गया है - 'निर्वाण डि फेस्टिवल डेला कल्चर एट डु सिनेमा इंडियन।' यह फेस्टिवल कान फिल्म समारोह के तुरंत बाद आयोजित किया जाता है। फ़्रेंच रिवेरा में सेंट ट्रोपे शहर समुद्र किनारे कान शहर से करीब नब्बे किलोमीटर दूर है जहां सड़क या समुद्री मार्ग से एक से डेढ़ घंटे में पहुंचा जा सकता है। यह समारोह पिछले साल शुरू किया गया था लेकिन दूसरे साल में हीं यह इतना लोकप्रिय हो गया कि हर शो फ्रेंच दर्शकों से हाउसफुल हो गया।
 
निर्वाण फिल्म फेस्टिवल का शुभारंभ रघुनाथ मनेत की नई फ्रेंच फिल्म 'रिटर्न टु पांडिचेरी' के प्रीमियर से हुई जिसमें उनके साथ मशहूर फ्रेंच अभिनेत्री मारियान बोर्गो ने मुख्य भूमिका निभाई है। इस फिल्म में केवल एक ही पेशेवर कलाकार हैं फ्रेंच अभिनेत्री मारियान बोर्गो जिन्होंने बहुत उम्दा काम किया है। बाकी सभी दूसरे लोग ऐसे हैं जिन्होंने जिंदगी में कभी अभिनय नहीं किया है और यह उनकी पहली फिल्म है। 
 
यह रघुनाथ की भी पहली फीचर फिल्म है। इससे पहले वे 'डांस ऑफ शिवा' नामक वृत्त चित्र और दो शार्ट फिल्में - कर्मा और योग सेवेंथ चक्र बना चुके हैं। रघुनाथ मनेत भारतीय मूल के फ्रेंच वीणा वादक और नर्तक (भरतनाट्यम) है और पेरिस में रहते हैं। वे यहां फ्रेंच युवाओं को भारतीय नृत्य और संगीत की शिक्षा देते हैं। फिल्म के प्रदर्शन से पहले रघुनाथ मनेत और उनके शिष्यों ने मनोहारी नृत्य और संगीत प्रस्तुत किया जो भारतीय पौराणिक कथाओं पर आधारित था। अच्छी बात यह थी कि सारी कार्यवाही फ्रेंच में हुई और अंग्रेजी भाषा का कम से कम प्रयोग किया गया।  
 
दूसरी फिल्मों में पिछले साल भारत से ऑस्कर पुरस्कार की आधिकारिक प्रविष्ठि जे एंथनी जोसेफ की मलयाली फिल्म '2018- एवरीवन इज ए हीरो', लीना यादव की हिंदी फिल्म 'पार्च्ड' और आशुतोष गोवारिकर की हिंदी फिल्म 'स्वदेश' फ्रेंच सबटाइटल्स के साथ दिखाई गई। इन सभी फिल्मों के निर्देशक भी यहां मौजूद थे। दरअसल पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह और नेपोलियन बोनापार्ट के कमांडर रहे ज्यां फ्रांसुआ अलार्ड की दोस्ती की याद में हर साल जुलाई महीने में सेंट ट्रोपे शहर में एक भव्य सिक्ख फेस्टिवल भी होता है। निर्वाण फिल्म फेस्टिवल उसी का एक विस्तार है।
 
रघुनाथ मनेत की फिल्म 'रिटर्न टु पांडिचेरी' विदेशियों द्वारा भारतीय अनाथ/ गरीब बच्चों को गोद लेने, उन बच्चों में बढ़ रहे पहचान के संकट (आइडेंटिटी क्राइसिस), डांस थिरैपी, भारतीय संस्कृति की आध्यात्मिकता, शास्त्रीय नृत्य आदि कई मुद्दों पर एक साथ बात करती है। फिल्म का एक सबसे सशक्त पक्ष उसकी सिनेमैटोग्राफी है। वेलु प्रभाकरण का कैमरा पांडिचेरी के खूबसूरत समुद्र, वहां की गलियां और जन जीवन के साथ चरित्रों के मनोभावों को भी प्रभावी ढंग से दिखाता है। 
 
वैसे तो फिल्म में अक्सर भगवान शिव को समर्पित नृत्य के माध्यम से दैनंदिन दुःखों से मुक्ति के प्रसंग भरे पड़े हैं, पर कभी कभी दिल का दर्द आंसू बनकर निकल हीं आता है। फिल्म का हर चरित्र सीने में दर्द को दबाए अपनी जीवन यात्रा में लीन हैं।  यह फिल्म मनुष्य के सांस्कृतिक पहचान की खोज को केंद्र में लाती है। फिल्म में हम देखते हैं कि रघुनाथ मनेत पांडिचेरी में अनाथ बच्चों का एक नृत्य स्कूल चलाते हैं। वहां रह रही दस साल की एक अनाथ बच्ची रूबी को फ्रांस की दो संभ्रांत और अमीर औरतें, मारियान बोर्गो और केरीन, गोद लेती हैं और उसे लेकर पेरिस आ जाती है। 
 
पेरिस में रूबी, मारियान और केरीन खुश हैं और यहा किसी चीज की कमी नहीं है। समस्या तब खड़ी होती है जब रूबी बीस साल की होती हैं और उसे अपनी पहचान के संकट से गुजरना पड़ता है। उसकी यादों में बचपन के दृश्य कौंधने लगते हैं। वह अपनी दत्तक माताओं से कहती हैं कि उसे उसके अपने शहर पांडिचेरी जाना है और अपने वास्तविक माता पिता से मिलना है। मारियान और केरीन उसे लेकर पांडिचेरी आती है। रघुनाथ मनेत के नृत्य स्कूल में आते ही रूबी की दुनिया बदलने लगती है। यहां उसे पता चलता है कि वह एक खानाबदोश (जिप्सी) मां की संतान हैं। उसकी मां उसे रघुनाथ मनेत के अनाथालय के दरवाजे पर छोड़ गई थी। 
 
यहां रूबी की दोस्ती एक युवक से होती है पर उसका प्रेम उसे कोई राहत नहीं दे पाता। दूसरी ओर उसके बचपन का दोस्त दस साल से उसका इंतजार कर रहा है। यहां हम फ़्लैश बैंक में उन दोनों के बचपन की कुछ अद्भुत छवियां देखते हैं। थोड़ी देर के लिए रूबी अपने नृत्य गुरु रघुनाथ के प्रति भी आकर्षित होती है पर वहां भी उसे निराशा ही हाथ लगती है। रघुनाथ शिव की नृत्य अराधना में इतना डूब चुका है कि उसके जीवन में किसी दूसरे के लिए कोई जगह नहीं बची है। अंततः रूबी की दोनों दत्तक माएं निराश होकर पेरिस लौट रहीं हैं और अंतिम दृश्य में हम देखते हैं कि रूबी अपने बचपन के दोस्त के साथ मोटरसाइकिल पर कहीं जा रही है।
 
दक्षिणी फ्रांस के समुद्री शहर सेंट ट्रोपे में भारतीय संस्कृति का निर्वाण फिल्म फेस्टिवल होना बहुत मायने रखता है। यह छोटा सा शहर दुनिया भर के सेलेब्रिटी को आकर्षित करता रहा है। यहा के बंदरगाह पर दुनिया भर के अमीरों के निजी जहाज लंगर डाले दिख जाएंगे। यहां हॉलीवुड और यूरोप की कई बड़ी फिल्मों की शूटिंग होती रहीं हैं। विश्व प्रसिद्ध चित्रकार पिकासो से लेकर आधुनिक चित्रकारों तक, अर्नेस्ट हेमिंग्वे से लेकर ज्यां पाल सार्त्र जैसे लेखक, आर्सन वेल्स, मोनाको की महारानी और हॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री ग्रेस कैली से लेकर लियोनार्डो डिकैप्रियो, क्वेंटिन तारंतिनों और आज के सुपरस्टार टाम क्रूज़ तक ने इस शहर को बहुत प्यार दिया है। इन सारी भव्यता के बीच इस शहर में फ्रेंच कमांडर ज्यां फ्रांसुआ अलार्ड और हिमाचल की राजकुमारी बन्नू पान देई की प्रेम कहानी आज भी सांस ले रही है।
ये भी पढ़ें
कोटेशन गैंग के साथ सनी लियोनी दिखाएंगी पैन इंडिया स्टार के रूप में अपनी अभिनय क्षमता