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FLOP : 'जज़्बा' की असफलता के 4 कारण

FLOP : 'जज़्बा' की असफलता के 4 कारण - Jazbaa, Aishwarya Rai Bachchan, Irfan Khan, Sanajy Gupta
ऐश्वर्या राय बच्चन की वापसी का इंतजार न केवल उनके प्रशंसक बल्कि फिल्म उद्योग भी कर रहा था। 40 वर्ष पार होने के बावजूद ऐश्वर्या की खूबसूरती और स्टारडम कायम है। 'जज़्बा' को बॉक्स ऑफिस पर सफलता नहीं मिली। फिल्म की असफलता के लिए ऐश्वर्या के बजाय उनके इस फिल्म को चुनने के निर्णय को गलत ठहराया जा रहा है। पेश है फिल्म की असफलता के चार मुख्‍य कारण
 
लचर स्क्रिप्ट 
कोरियन फिल्म 'सेवेन डेज़' से प्रेरित होकर 'जज़्बा' को बनाया गया है। फिल्म में शबाना आजमी के किरदार की बेटी की बलात्कार के बाद हत्या कर दी जाती है। अपराधी को फांसी की सजा तय है। इसके बावजूद शबाना उसे अपने हाथों से मारना चाहती है। अपराधी को निर्दोष साबित करने के लिए शबाना चाहती है कि देश की प्रमुख वकील ऐश्वर्या राय उसका केस लड़े। फिल्म में दिखाया गया है कि ऐश्वर्या वो वकील है जो अपराधियों का केस लड़ कर उन्हें छुड़ाती है। नैतिकता से उन्हें कोई मतलब नहीं है। शबाना चाहती तो सीधे ऐश्वर्या के पास जाकर केस लड़ने को कह सकती थी, लेकिन वे ऐश्वर्या की बेटी का अपहरण कर उसे केस लड़ने के लिए मजबूर करती है। दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि शबाना कातिल को छुड़ाना ही चाहती थीं तो उन्हें जज पर दबाव डालना था क्योंकि हो सकता है कि ऐश्वर्या केस हार जाती। स्क्रिप्ट की इतनी बड़ी गलती को फिल्म से जुड़े लोग कैसे नजरअंदाज कर गए, आश्चर्य की बात है। 

एक्टिंग
ऐश्वर्या राय बच्चन और इरफान खान ने फिल्म में लीड रोल निभाया है और दोनों का अभिनय उस स्तर तक नहीं पहुंच पाया जिसके लिए वे जाने जाते हैं। इरफान खान बेहतरीन अभिनेता हैं, लेकिन 'जज़्बा' में वे विश्वसनीय नहीं लगे। कई दृश्यों में उनकी असहजता नजर आती है। यही हाल ऐश्वर्या का है। वे सुंदर तो लगी हैं, लेकिन रोने या चीखने-चिल्लाने के उनके दृश्य दिल को नहीं छू पाते। जब फिल्म के मुख्य कलाकार स्वाभाविक अभिनय नहीं कर पाते तो दर्शक परदे पर चल रहे घटनाक्रम को बनावटी मानता है और फिल्म से कनेक्ट नहीं हो पाता। 
 
 

स्टार वैल्यू
फिल्म में एकमात्र सितारा ऐश्वर्या राय बच्चन हैं। उनके अपोजिट इरफान खान को चुना है। इस बात में कोई शक नहीं है कि इरफान अत्यंत ही प्रतिभावान अभिनेता हैं, लेकिन उनकी स्टार वैल्यू इतनी नहीं है कि वे अपने दम पर भीड़ खींच सके। यदि फिल्म में ऐश्वर्या के अपोजिट कोई नामी सितारा होता तो संभव था कि फिल्म को बॉक्स ऑफिस पर अच्छी शुरुआत मिलती तो अच्छी शुरुआत के बल पर ही यह फिल्म सफल हो सकती थी। 

निर्देशन 
संजय गुप्ता ने फिल्म निर्देशित की है और बतौर निर्देशक उन्होंने स्क्रिप्ट की कमियों पर ध्यान नहीं दिया। कलाकारों से अच्‍छा अभिनय नहीं लिया। थ्रिलर फिल्म में वे न तो थ्रिल पैदा कर सके और न ही उस मां के दर्द को ठीक से पेश कर सके जिसकी बेटी का अपहरण कर लिया गया हो। संजय गुप्ता का कमजोर निर्देशन फिल्म को ले डूबा।
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