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Last Modified: बुधवार, 11 अक्टूबर 2023 (16:10 IST)

अमिताभ अभिनय का ही नहीं, किस्सों का भी खजाना

अमिताभ अभिनय का ही नहीं, किस्सों का भी खजाना | Happy Birthday Some stories about Amitabh Bachchan
आज बालीवुड के शहंशाह, बिग बी और सबसे बढ़कर सदी के महानायक अमिताभ बच्चन उम्र की 81वीं पायदान पर खड़े हैं। आज देश-विदेश में जश्न मनेगा। हो सकता है इस बार करोड़पति के सेट पर तो नहीं, लेकिन घर पर जया बच्चन उन्हें परिवार की परंपरा के अनुसार लापसी (एक तरह का हलवा) ही खिलाएं, और रूप के साथ अदाकारी की जादूगरनी रेखा के विश करने के फोन का इंतज़ार अमिताभ मोबाइल की हर घंटी बजने के साथ करेंगे। आज मीडिया में अमिताभ के लिए पूरा पैकेज छपेगा या आएगा, लेकिन इसके बाबजूद ऐसे कई रोचक तथ्य हैं जो लोगों को कम ही मालूम हैं।
 
जैसे भारत में पोलियो का उन्मूलन करवाने में टीवी के माध्यम से अमिताभ ने भी निर्णायक कही जा सकने वाली भूमिका निभाई है। अमिताभ एक शो बनाते थे 'दो बूंद ज़िंदगी की' इस शो के निर्माण में हर काम सिर्फ बिग बी ने ही किया था, और वो भी निशुल्क। पहला एपिसोड जब स्क्रीन पर आया तो दर्शकों ने कहा 'भाषण देने लगे हैं अमिताभ' बात गले ही नहीं उतर रही थी। कारण जानने के लिए एक पॉकेट रिफ्रेंडम हुआ पता चला कि चूंकि इसके डायलॉग दिल से लिखे हुए नहीं लगते, और उनमें सपाट बयानी है, इसलिए लोग कान नहीं धरते। 
 
पिक्चराइजेशन भी बीमारी की भयावता को पूरी तरह से उजागर नहीं करता। बिग बी का सितारा यदि एक तरह पूरी तरह से फिर आसमान पर राज करने लगा तो इसका एक मात्र कारण आज भी यह है कि वे किसी भी कीमत कभी हार नहीं मानते, भले बहुत भावुक भी हों। कहा जाता है कि ये संस्कार उन्हें अपनी स्वर्गवासी मां तेजी बच्चन से मिले, जो धर्म से सिख थीं, और अमिताभ के पिता नामचीन साहित्यकार डॉ. हरिवंश राय बच्चन की पहली पत्नी श्यामा के निधन के बाद डॉक्टर बच्चन की लिखी एक कविता ही पढ़कर उनसे शादी का फैसला ले चुकी थीं।
 
खैर, अमिताभ फिर कुर्सी-मेज़ पर बैठे नए संवाद लिख-लिखकर कई शॉट्स लिए, मगर बात थी कि बन ही नहीं पा रही थी। बहुत काग़ज़ फाड़े, सोचा-विचारा फिर हुआ कुछ यूं कि दर्शकों को डांट-डपट लगाते हुए घर के एक जिम्मेदार सदस्य की तरह समझाया भी यकीन माने इस शो के भी इलाहबादी बिटुआ महानायक हो गए। कदाचित इसी कारण कहा जाता रहा है कि बिग बी वन मैन फिल्म इंडस्ट्री हैं। उनकी फिल्में भले बॉक्स ऑफिस पर असफल हो जाएं लेकिन अपनी लागत तो निकाल ही लेती हैं। हिंदी फिल्मों के पहले सुपरडुपर हिट रोमांटिक हीरो राजेश खन्ना अमिताभ की सर ए आम मज़ाक उड़ा दिया करते थे। जब अमिताभ ने कारपोरेट स्तर पर अपनी कंपनी बनाई, तो उसके बैनर के तले बने कोई भी फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कोई खास कमाल नहीं दिखा पाई। एक फिल्म में लीड एक्ट्रेस रोल में थी स्व. राजेश खन्ना की पत्नी डिंपल कापड़िया। अमिताभ उनकी फीस नहीं चुका पाए, लेकिन डिंपल तो ठहरी एक हीरा कारोबारी की बेटी। वे न सिर्फ़ साहूकारों की तरह अमिताभ को फोन आने लगे, बल्कि उनके (डिंपल) वसूली मैनेजर तक तकाज़े के लिए अमिताभ के घर जाने लगे। 
 
लेकिन जो बड़े होते हैं, उन्हें अपने से छोटों का छुटपन बर्दाश्त करना ही पड़ता है। लिहाजा अमिताभ ने लगातार हुए इस अपमान पर कभी उफ तक नहीं की। अपना वक्त बदलने पर उन्होंने न सिर्फ़ डिंपल कापड़िया की अटकी हुई फीस चुकाई, बल्कि जब राजेश खन्ना का कैंसर से निधन हो गया, तो डिंपल के पास सबसे पहले आमिताभ ही पहुंचे थे। उनकी अंतिम यात्रा में पुत्र अभिषेक के साथ सिर्फ़ पैदल ही नहीं चले, बल्कि उस दिन की शाम का खाना टिफिन कैरियर से अभिषेक और ऐश्वर्या रॉय के हाथों डिंपल के निवास पर भेजा।
 
अपनी अदायगी का लोहा अमिताभ ने उन स्व. राजकुमार से भी मनवा दिया था, जिनके झक्की स्वभाव के कारण लगभग पूरा बी टाउन उनसे बचकर चलने में ही अपनी भलाई समझता था। बिग बी शुरू से ही बड़े दिल वाले बने रहे जब उनकी पहली हिट फिल्म जंजीर में बेस्ट एक्टिंग का अवार्ड स्व. ऋषि कपूर को मिला तो अमिताभ ने एक राज अपने सीने में हरदम के दफ्न किए रखा। और वो बकौल ऋषि कपूर के ही कहा था कि उन्हें (ऋषि कपूर) उक्त पुरस्कार तीस हजार रुपए रिश्वत देने के कारण मिला था। हां, एक बार खाने की मेज पर चावल न परोसने को लेकर अमिताभ प्रसिद्ध पत्रकार करण थापर के सामने ही जया बच्चन पर गुस्सा कर बैठे थे। वे कोविड़ 19 के दौरान कंगना रनौट की भी लू उतार चुके हैं जो हर फटे में पैर फंसाने में माहिर हैं। 
 
एक बार रोमांस किंग शाहरुख खान ने भी अमिताभ की मज़ाक उड़ा दी थी, लेकिन फिल्म ब्लैक के प्रीमियर शो के खत्म होने पर शाहरुख खान ने सभी के सामने अमिताभ के पैर छूकर माफ़ी मांगी थी। हिंदी पत्रकारिता के महानायक माने जाने वाले डॉक्टर धर्मवीर भारती के आज भी खासकर युवाओं में पढ़े जाने वाले रोमांटिक उपन्यास 'गुनाहों का देवता0 पर अमिताभ और उनकी खास जोड़ीदार रही रेखा को लेकर एक फिल्म भी बनना शुरू हुई थी। मोहम्मद रफी की आवाज़ में इस फिल्म का एक गाना भी रिकॉर्ड कर लिया गया था। शूटिंग अमिताभ के जन्मस्थल प्रयागराज (इलाहाबाद) में ही हो रही थी, लेकिन अज्ञात कारणों से उक्त फिल्म पूरी तरह आज तक नहीं बन पाई। जान लेना रोचक होगा कि डॉक्टर भारती, अमिताभ के पिताश्री डॉक्टर बच्चन के जिगरी थे। तब भारतीजी के संपादन में मुंबई से साप्ताहिक 'धर्मयुग' निकला करता था। इसी बीच डॉक्टर भारती का आकस्मिक निधन हो गया। 
 
श्मशानघाट पर उमड़ी भीड़ को देख कर अन्य लोगों को लगा कि इतने बड़े संपादक का देहावसान हुआ है, तो भीड़ का श्रद्धावश आना स्वाभाविक ही है, लेकिन आगे पता चला कि ये जमावड़ा तो इसलिए हुआ है कि डॉक्टर भारती को श्रद्धासुमन अर्पित करने वहां अमिताभ बच्चन भी आने वाले हैं। पीछे की कहानी यह है कि अमिताभ के बालीवुड में पैर जमाने के लिए तब साप्ताहिक धर्मयुग में उनके लगातार दिए गए दो इंटरव्यू की भूमिका भी अहम मानी गई थी। इन इंटरव्यूस के टाइटल थे 'अमिताभ आख्यान 1' और 'अमिताभ आख्यान 2'। मज़ा यह था कि उक्त सवाल-जवाब पुष्पा भारती ने किए थे, जो डॉक्टर भारती की दूसरी पत्नी थी। वे अपनी पहली पत्नी कांता को तलाक़ दे चुके थे। उक्त इंटरव्यू डॉक्टर भारती के मुंबई स्थित निवास पर ही हुए थे।
 
अमिताभ और श्रीदेवी को लेकर एक फिल्म बनी थी 'खुदा गवाह'। इस मूवी की अधिकांश शूटिंग अफगानिस्तान में हुई थी, क्योंकि वहां तालिबान आंदोलन, तो जोरों पर था मगर सरकार लोकतांत्रिक थी। तब वहां के तत्कालीन राष्ट्र प्रमुख ने अमिताभ और श्रीदेवी को अपने विशाल सरकारी आवास में करीब एक महीने तक बतौर विशेष मेहमान ठहराया था, किंतु गजब की बात यह थी कि तालिबान का एक दूत शूटिंग स्थल पर विशेष हेलीकाफ्टर से अमिताभ को गुलाब का फूल भेंट करने आया था। जब बोफोर्स तोप सौदे के घोटाले में अमिताभ का भी नाम आ गया तो वह अक्सर घर में ही कैद होकर रहते। रात बारह एक के बाद उनके कुछ मित्र उन्हें अपनी कार में घुमाने ले जाते। हालांकि कोर्ट ऑफ इंग्लैंड ने उन्हें तमाम आरोपो से बरी कर दिया, किंतु बस तभी से अमिताभ मीडिया शाय हो गए हैं। वे कई बार कह चुके हैं, कि मीडिया से तो मैं डरता हूं। अब या तो वे इंटरव्यू देते ही नहीं और देते भी हैं तो पहले लिखित में प्रश्न मांग लेते हैं और उनके दिए गए सभी उत्तरों को रिकॉर्ड कर लेते हैं। 
 
पनामा पेपर्स में भी उनके सहित अभिषेक, ऐश्वर्या का नाम आ चुका है। वे अपने बुरे समय में जब एक-एक पैसे के लिए सोचा करते थे, तो तभी एक दिन वह खुद फिल्मकार स्व. यश चोपड़ा से पैदल चलकर काम मांगने गए। नोट करें कि उनकी यश जी से फिल्म सिलसिला के कुछ सींस को लेकर सालों से बातचीत बंद थी। यश चोपड़ा ने उन्हें मोहब्बते फिल्म की स्क्रिप्ट थमा दी। और लगभग तभी उन्हें स्टार टीवी ने कौन बनेगा करोड़पति गेम शो का ऑफर दे दिया। इस शो की बुनियादी परिकल्पना भी अमिताभ की थी। फिर तो अमिताभ की पुन: चल निकली। और अमिताभ ने पूरे नब्बे करोड़ रु का कर्ज उतार कर ही दम लिया।
 
किस्सों का ये क्रम दम नहीं ले सकता लेकिन अमिताभ बच्चन उस शख्स का नाम है, जिसने करोड़पति कार्यक्रम के तहत संपूर्ण भारतीय समाज में ज्ञानी होने की भावना को न सिर्फ नए सिरे स्थापित किया, बल्कि बोलचाल की आम हिंदी भाषा को आमफहम बनाने में कलेजा निकाल कर रख दिया, जबकि उनका पूरा बैक ग्राउंड अंग्रेजियत का है। बालीवुड के अति वाचाल अभिनेता और नेता शत्रुघ्न सिन्हा उन्हें अगले राष्ट्रपति के रूप में देखना चाहते हैं, जबकि खबर रहे कि 1984 में अमिताभ इलाहबाद से लोकसभा का चुनाव भारी मतों से जीतने के बावजूद दो ढाई साल में उक्त सदस्यता से इस्तीफा देकर सियासत से सदा के लिए राम-राम कर चुके थे।
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