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निदा फाज़ली : कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता

निदा फाज़ली : कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता - निदा फाज़ली : कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता
निदा फाज़ली की यूं तो शायर के रूप में पहचान है, लेकिन हिंदी फिल्मों के लिए उन्होंने गाने भी लिखे। वे उन गीतकारों में से रहे जिन्होंने अपनी गुणवत्ता से कभी समझौता नहीं किया। पैसों के लिए उन्होंने फिल्मों के लिए गीत लिखे, लेकिन कभी भी जनता की पसंद या जरूरत के मुताबिक सस्ते और बाजारू गीत नहीं लिखे। उन्हें कम काम करना मंजूर था, संघर्ष करना मंजूर था, लेकिन वे कभी झुके नहीं। 
 
निदा फाज़ली ने अपने बढ़ते खर्चों के खातिर फिल्मों में लिखना मंजूर किया। उस दौर में कई नामी गीतकार थे। संगीतकारों की गीतकारों से जोड़ी बनी हुई थी, इसलिए निदा का संघर्ष और लंबा हुआ।  
 
'आप तो ऐसे न थे' फिल्म के लिए लिखे गए निदा के गीत सुपरहिट रहे। 'तू इस तरह से मेरी जिंदगी में शामिल है' आज भी सुना जाता है। निदा के गीत और उषा खन्ना के संगीत का ही कमाल था कि यह फिल्म कमजोर होने के बावजूद सफल रही। 
 
'रजिया सुल्तान' के लिए जां निसार अख्तर गीत लिख रहे थे, लेकिन फिल्म पूरी होने के पहले ही उनकी मृत्यु हो गई। दो गीत लिखे जाने बाकी थे। फिल्म के निर्देशक कमाल अमरोही ने निदा से ही गीत लिखवाए। 
 
हरजाई, आहिस्ता आहिस्ता, सरफरोश, नाखुदा, सुर, इस रात की सुबह नहीं जैसी फिल्मों में निदा के गीत आते रहे, हिट होते रहे और ये बात पुख्ता होती रही कि उनके लिखे गीतों का स्तर हमेशा ऊंचा रहा। 
 
निदा फाज़ली द्वारा लिखे लोकप्रिय गीत 
* कभी पलकों पे आंसू हैं (हरजाई) 
* तेरे लिए पलकों की झालर बुनूं (हरजाई) 
* होश वालों को खबर क्या (सरफरोश)
* तू इस तरह से मेरी जिंदगी में शामिल है (आप तो ऐसे ना थे) 
* नज़र से फूल चुनती है (आहिस्ता आहिस्ता)
* जिंदगी है कि बदलता मौसम (एक नया रिश्ता) 
* चुप तुम रहो चुप हम रहें (इस रात की सुबह नहीं) 
* मेरे तेरे नाम नए हैं (इस रात की सुबह नहीं) 
* कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता (आहिस्ता आहिस्ता) 
* जब से करीब होके चले (लीला) 
* मेरी आंखों ने चुना है (तरकीब) 
* मोती हो तो बांध के रख लू (दौलत) 
* ना वो इंकार करती है (हिमालय पुत्र) 
* ये धूप इक सफर (धूप) 
* घर से मस्जिद बहुत है दूर (तमन्ना) 
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