शुक्रवार, 22 अगस्त 2025
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. दिवस विशेष
  3. जयंती
  4. bal gangadhar tilak jayanti life lesson to learn from bal gangadhar tilak
Written By WD Feature Desk
Last Modified: बुधवार, 23 जुलाई 2025 (12:52 IST)

Bal Gangadhar Tilak Jayanti 2025: क्यों आज भी प्रासंगिक हैं तिलक के विचार? पढ़े उनसे सीखने वाली खास बातें

Bal Gangadhar Tilak in Hindi
Bal Gangadhar Tilak in Hindi: हर साल 23 जुलाई को हम उस महान स्वतंत्रता सेनानी, विचारक और क्रांतिकारी नेता को याद करते हैं, जिनके एक नारे ने भारत में आजादी की लौ जला दी थी, “स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है, और मैं इसे लेकर रहूंगा।” जी हां, हम बात कर रहे हैं लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की, जिनकी सोच, नेतृत्व और बलिदान ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा दी। साल 2025 में जब हम तिलक जयंती मना रहे हैं, तो यह केवल एक दिन का उत्सव नहीं, बल्कि उस आत्मबल, राष्ट्रभक्ति और नेतृत्व क्षमता को याद करने का अवसर है, जो हर भारतीय युवा को प्रेरित करती है। आइए जानते हैं तिलक से जुड़ी कुछ ऐसी प्रेरणादायक बातें, जो आज भी हमारे जीवन में बहुत मायने रखती हैं।
 
शिक्षा और विचारों की शक्ति में भरोसा
बाल गंगाधर तिलक केवल एक स्वतंत्रता सेनानी ही नहीं थे, बल्कि एक जबरदस्त विद्वान भी थे। उन्होंने गणित और संस्कृत में गहरी शिक्षा प्राप्त की थी और युवाओं को हमेशा शिक्षा को अपना सबसे बड़ा हथियार मानने की प्रेरणा दी। उनका मानना था कि यदि देश को आजाद कराना है, तो सबसे पहले नागरिकों को शिक्षित करना होगा। आज के दौर में जब युवा सोशल मीडिया में व्यस्त हैं, तब तिलक की यह सोच बेहद महत्वपूर्ण है – “अशिक्षित समाज कभी जागरूक और स्वतंत्र नहीं हो सकता।”
 
राष्ट्रीय एकता के लिए सांस्कृतिक चेतना
तिलक ने जिस समय देशभक्ति की अलख जगाई, उस समय अंग्रेजों की नीति ‘फूट डालो और राज करो’ अपने चरम पर थी। तिलक ने गणेशोत्सव और शिवाजी उत्सव जैसे सांस्कृतिक पर्वों को सामाजिक और राष्ट्रीय चेतना का माध्यम बनाया। इन उत्सवों के जरिए उन्होंने अलग-अलग वर्गों को एक मंच पर लाकर यह बताया कि जब लोग अपनी संस्कृति के लिए एकजुट होते हैं, तो वे अपनी आज़ादी के लिए भी लड़ सकते हैं। आज जब समाज में वर्ग और विचारधाराओं के आधार पर मतभेद बढ़ रहे हैं, तिलक का यह दृष्टिकोण हमारी सोच को फिर से जोड़ने का काम कर सकता है।
 
निर्भीक नेतृत्व और असहयोग की भावना
तिलक पहले ऐसे नेता थे जिन्होंने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ खुलकर आवाज उठाई और राष्ट्र को बताया कि स्वतंत्रता भीख में नहीं मिलती, उसे छीनना पड़ता है। उन्होंने ‘होम रूल लीग’ की स्थापना कर भारत में आत्मनिर्भर शासन की मांग को एक जन आंदोलन में बदला। आज जब युवा नेतृत्व की बात होती है, तो तिलक का यह निर्भीक और दूरदर्शी दृष्टिकोण उदाहरण बन सकता है – बिना डर के, सिस्टम के खिलाफ खड़े होना और लोगों को एक साथ लाना।
 
पत्रकारिता और अभिव्यक्ति की आजादी 
बहुत कम लोगों को पता है कि तिलक ने ‘केसरी’ और ‘मराठा’ जैसे समाचार पत्रों के माध्यम से जनता को जागरूक किया। जब अंग्रेजों ने प्रेस पर सेंसरशिप लगाई, तब भी तिलक ने अपनी लेखनी से शासन की पोल खोलने का काम किया। आज जब सोशल मीडिया और न्यूज़ मीडिया में सूचनाओं की बाढ़ है, तब हमें तिलक से यह सीख लेनी चाहिए कि अभिव्यक्ति की आज़ादी जिम्मेदारी के साथ कैसे इस्तेमाल की जाए।
 
आज के युवाओं के लिए संदेश
तिलक की जयंती केवल इतिहास का पुनरावलोकन नहीं है, बल्कि यह एक मौका है खुद से सवाल पूछने का – क्या हम सच में आजादी के मूल्यों को समझ रहे हैं? क्या हमारी पीढ़ी देश के लिए वैसा ही जज़्बा रखती है जैसा तिलक जैसे नेताओं में था? जब हम उन्हें नमन करते हैं, तो केवल फूल अर्पित करना काफी नहीं, बल्कि उनके विचारों को अपनाना ही असली श्रद्धांजलि है।
 

अस्वीकरण (Disclaimer) : सेहत, ब्यूटी केयर, आयुर्वेद, योग, धर्म, ज्योतिष, वास्तु, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार जनरुचि को ध्यान में रखते हुए सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। इससे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।