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Last Modified: बुधवार, 31 अगस्त 2016 (11:23 IST)

'किसी से मत पूछिए आप क्या काम करते हैं'

'किसी से मत पूछिए आप क्या काम करते हैं' - What work shouldn't ask people
- एलिना डिज़िक (बीबीसी कैपिटल)
 
किसी अजनबी से जब पहली मुलाकात होती है तो सबसे पहले हम दुआ सलाम के साथ उसका हाल-चाल जानते हैं। फिर बातों का सिलसिला शुरू होता है। और बातों ही बातों में ये जानने में दिलचस्पी बढ़ने लगती है कि आखिर बंदा काम क्या करता है, क्योंकि हम ये मानते हैं कि किसी भी इंसान का पेशा उसे समाज में एक अलग पहचान दिलाता है।
लेकिन जानकारों का कहना है किसी से भी पहली ही मुलाकात में उसके पेशे के बारे में सवाल मत पूछिए। करियर एक्सपर्ट मानते हैं कि बड़े-बड़े कामयाब लोग भी अपने पेशे और सामाजिक पहचान में अंतर रखना चाहते हैं। वो ऐसा अपने डर की वजह से करते हैं कि अगर कभी उनकी नौकरी नहीं रही तो भी वो अपनी पहचान के लोगों में खुद को कम नहीं आंकेंगे।
 
लोग उन्हें बेरोजगार समझ कर उनकी इज्जत करना कम नहीं कर देंगे। लेकिन ऐसा कर पाना भी आसान नहीं है। आज हर कर्मचारी का ज़्यादा वक्त उसके ऑफिस में ही गुज़रता है ऐसे में आप अपनी पेशेवर पहचान ज़्यादा वक्त तक नहीं छुपा सकते।
 
बिज़नेस एथिक्स के प्रोफेसर अल-गिन कहते हैं कि जब आप अपनी दूसरी दिलचस्पियों को अहमियत नहीं देते तो आप अपने रोज़गार से जुड़ी पहचान पर ज़्यादा निर्भर होते हैं। फिर अगर आपकी नौकरी चली जाती है तो आपके सामने अपनी पहचान का संकट खड़ा हो जाता है।
 
कोई भी इंसान आपके पेशे के बारे में जानकर दरअसल आपकी सामाजिक स्थिति के बारे में जानना चाहता है। मनोवैज्ञानिक हो शी वाई मानते हैं कि एशियाई देशों में अक्सर किसी शख्स की सामाजिक स्थिति जानने के लिए लोग उसके घर-परिवार और संपत्ति के बारे में सवाल करते हैं।
इसके बाद ही लोग किसी इंसान की कमाई के ज़रिए को जानने के इच्छुक होते हैं।
 
हो शी कहते हैं कभी भी अपने पेशे के बारे में बढ़ा-चढ़ा कर मत बताइए। ऐसा करके आप एक झूठ के जाल में फंस जाते हैं। कई बार ये आपके लिए बोझ साबित हो सकता है। आप दबाव महसूस करने लगते हैं कि अगर ये नौकरी आपके पास नहीं रही तो लोग क्या सोचेंगे। ये आपके और आपके करियर दोनों के लिए अच्छा नहीं है।
 
अमेरिका के मैसाचुसेट्स में मनोविज्ञान की प्रोफेसर सूसन क्रॉस व्हिटबोर्न का कहना है कि अपने सोशल स्टेटस को बनाए रखने के लिए खुद की बहुमुखी पहचान बनाए रखना ज़रूरी है। अगर आप किसी एक ही पहचान के मोहताज बने रहते हैं तो वो पहचान खोने पर दुख ज़्यादा होता है। आप डिप्रेशन में भी जा सकते हैं। इसीलिए दूसरे पेशे के लोगों के साथ भी चर्चा करनी चाहिए।
 
सूसन के मुताबिक़ जो लोग अपने ऑफिस और काम का ज़्यादा मज़ा लेते हैं, ऐसे लोग अपना ज़्यादा से ज़्यादा वक्त ऑफिस में बिताना चाहते हैं। ऐसा करके उन्हें एक अलग पहचान मिलती है। इस पहचान को वो छोड़ना नहीं चाहते। इसीलिए जब ऐसे लोगों की नौकरी नहीं रहती है तो उन्हें दुख ज़्यादा होता है। जबकि जो लोग सिर्फ पैसा कमाने के लिए ऑफिस जाते हैं उन्हें नौकरी खोने या अपनी पेशेवर पहचान खोने का डर कम होता है।
 
अमेरिका के आईटी प्रोफ़ेशनल फ्रांस्वा डोमार्ड का कहना है कि आप कंपनी के नाम और अपने जॉब टाइटल की फिक्र करने की बजाय अपना हुनर निखारने पर ध्यान दीजिए। अगर आप काम अच्छा करते हैं तो वही आपकी पहचान है। फिर अगर आप किसी बड़ी कंपनी से छोटी कंपनी में भी जाते हैं तो आपकी पहचान पर इसका कोई असर नहीं पड़ता।
 
इसी तरह सूसन कहती हैं कि अपने शौक़ की क़दर कीजिए। अपने आफिस के काम के अलावा थोड़ा वक्त अपने शौक़ पर दीजिए, वो भी आपको एक अलग पहचान दिलाता है। जैसे अगर आप किसी बैंक में काम करते हैं और अच्छा लिख भी लेते हैं तो आपकी पहचान सिर्फ एक बैंकर की नहीं है। बल्कि एक लेखक के तौर पर भी लोग आपको पहचानेंगे।
 
तो बेहतर होगा कि आप अपने शौक़, अपनी हॉबीज़ पर भी ध्यान दें। उससे जुड़े लोगों से मिलें। ख़ुद की नई पहचान बनाने की कोशिश करें।
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