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Last Modified: मंगलवार, 16 जनवरी 2018 (12:37 IST)

क्यों सुबह जल्दी उठने की कोशिश नहीं करनी चाहिए?

क्यों सुबह जल्दी उठने की कोशिश नहीं करनी चाहिए? - Early morning rising
'अर्ली टू बेड और अर्ली टू राइज़ मेक्स अ पर्सन हेल्दी, वेल्दी ऐंड वाइज़।' अंग्रेज़ी की ये कहावत बहुत पुरानी है। जिसका मतलब है कि जल्दी सोकर तड़के उठना बहुत फ़ायदेमंद होता है। ये आदत इंसान को सेहतमंद, दौलतमंद और अक़्लमंद बनाती है।
 
एप्पल कंपनी के सीईओ टिम कुक सुबह पौने चार बजे उठते हैं। फिएट कंपनी के सीईओ सर्जियो मार्शियोन सुबह 3.30 बजे और मशहूर ब्रिटिश कारोबारी रिचर्ड ब्रैनसन सुबह पौने छह बजे उठ जाते हैं। ज़ाहिर है ये लोग बहुत कामयाब हैं। तो, क्या इनकी कामयाबी का राज़ सुबह उठने में छुपा है?
 
सुबह उठने वाले सभी लोग ज़िंदगी में बहुत सफल होते हैं?
इसमें कोई दो राय नहीं कि सुबह उठने के कई फ़ायदे होते हैं। तड़के उठकर आप वर्ज़िश करके, नाश्ता करके, दफ़्तर के लिए तैयार होकर कुछ काम भी निपटा डालते हैं। तो, क्या वो लोग जो देर से उठते हैं, कम कामयाब होते हैं? जो देर तक सोते रहते हैं, क्या उनके काम अधूरे रह जाते हैं? क्या वाक़ई ऐसा ऐसा कि देर तक सोने वाले ज़िंदगी में न तो सफल हो पाते हैं, न सेहतमंद?
 
अगर आपके ज़हन में भी ये ख़याल है, तो इसे निकाल दीजिए। क्योंकि एक तजुर्बे से मालूम हुआ है कि दुनिया दो हिस्सों में बंटी है। आधे लोग ऐसे हैं, जिन्हें सुबह उठना पसंद है। वहीं बाक़ी के आधे लोग देर तक सोना और रात में देर तक जागना पसंद करते हैं। अब ऐसा तो नहीं है कि देर तक सोने वाली दुनिया की आधी आबादी ज़िंदगी में नाकाम है।
 
दुनिया भर के इंसानों में क़रीब एक चौथाई ऐसे हैं, जो सुबह उठना पसंद करते हैं। वहीं क़रीब-क़रीब इतने ही लोग रात में देर तक जागना पसंद करते हैं। रिसर्च से पता चला है कि सुबह उठने वाले लोग ज़्यादा सहयोगी मिज़ाज के होते हैं। वो किसी भी घटना का सही विश्लेषण कर पाते हैं। इनके मुक़ाबले रात में देर तक जागने वाले कल्पनाशीलता के मामले में बाज़ी मार ले जाते हैं। वो अकेले ज़्यादा वक़्त बिताना पसंद करते हैं।
 
सुबह जल्दी उठने के फायदे
कई बार हुए रिसर्च ये साबित कर चुके हैं कि सुबह उठने वाले आत्मप्रेरित होते हैं। वो लगातार काम करते हैं। दूसरों की बात भी वो ज़्यादा मानते हैं। वो बहुत बड़े टारगेट रखते हैं। वो भविष्य की योजनाएं ज़्यादा बेहतर बनाते हैं। सुबह उठने वाले अपनी सेहत का भी ज़्यादा ख़याल रखते हैं। रात में देर तक जगने वालों के मुक़ाबले, सुबह उठने वाले शराब कम पीते हैं। डिप्रेशन के भी कम ही शिकार होते हैं।
 
वहीं, रात में देर तक जागने वाले याददाश्त के मोर्चे पर बीस बैठते हैं। अक़्ल के मामले में भी वो सुबह उठने वालों से बेहतर होते हैं। उनकी काम करने की रफ़्तार भी ज़्यादा होती है। रात में देर तक जागने वाले नए प्रयोग करने में भी खुले दिमाग़ से काम लेते हैं। रात में देर तक जागने वाले सुबह उठने वालों की तरह ही सेहतमंद, अक़्लमंद और ज़्यादा दौलतमंद भी होते हैं।
 
साफ़ है कि सुबह जल्दी उठने का टारगेट सेट करना कोई फ़ायदे का सौदा नहीं। आपका मन कुछ देर और सोने का है, तो सो जाइए। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की वैज्ञानिक कैथरीना वुल्फ़ कहती हैं कि हर इंसान के शरीर में एक क़ुदरती घड़ी है। उनकी नींद और सोना-जागना उसी हिसाब से चलता है। इसे सिर्काडियन क्लॉक कहते हैं। इसी घड़ी के हिसाब से हमारे शरीर को सोने-जागने का मन होता है।
 
जबरन सुबह उठाने के नुकसान
अब किसी को ज़बरदस्ती उसकी बॉडी क्लॉक के ख़िलाफ़ जाकर सुबह उठने या देर तक जागने को कहा जाएगा, तो उसका बुरा असर ही होगा। शरीर से ज़बरदस्ती कभी भी फ़ायदेमंद नहीं होती। कैथरीना कहती हैं कि लोगों को उनकी सिर्काडियन क्लॉक यानी शरीर की जैविक घड़ी के हिसाब से ही चलने दिया जाए, तो उनका परफॉर्मेंस बेहतर होता है।
 
किसी देर रात तक जागने वाले को सुबह उठने को मजबूर करेंगे, तो वो अलसाया हुआ रहेगा। काम में उसका मन कम लगेगा। दिमाग़ का भी वो अच्छे से इस्तेमाल नहीं कर पाएगा। उनका वज़न बढ़ सकता है। सेहत ख़राब हो सकती है।
 
कैथरीना वुल्फ़ कहती हैं कि लोगों की सुबह जल्दी उठने या रात में देर तक जागने की आदत अक्सर उन्हें अपने मां-बाप से मिलती है। ये हमारे डीएनए में ही होता है कि हम आगे चलकर सुबह जल्दी उठने की आदत पाएंगे, या रात में देर तक जागेंगे।
 
वैसे उम्र के साथ भी ये आदत बदलती है। बच्चे अक्सर सुबह उठ जाते हैं। बीस साल के बाद देर तक जागने की आदत पड़ने लगती है। पचास के क़रीब पहुंचते-पहुंचते ये आदत फिर सुबह उठने में बदल जाती है।
 
रातभर जागने वाले भी हैं सफल
और, ऐसा नहीं है कि हर कामयाब इंसान सुबह उठता है। बॉक्स कंपनी के सीईओ आरोन लेवी, बज़फीड के सीईओ जोनाह पेरेटी, आयरलैंड के उपन्यासकार जेम्स जॉयस, अमरीकी लेखिका गर्ट्रूडे स्टेन, फ्रेंच उपन्यासकार गुस्ताव फ्लोबर्ट ये सब के सब देर तक सोया करते थे और रात में जागते रहते थे।
 
अब तक किसी भी रिसर्च से ये बात पक्के तौर पर साबित नहीं हो पाई है कि सुबह उठना कामयाबी का शर्तिया नुस्खा है। आपके शरीर के हॉरमोन अक्सर आपकी बॉडी क्लॉक के हिसाब से रिलीज़ होते हैं। आदत बदलने से हॉरमेन का तालमेल बिगड़ सकता है। क्योंकि रात में देर तक जागने वाला सुबह उठेगा, तो उसके शरीर को तो यही लगेगा कि वो सो रहा है। उसके हॉरमेन देर से रिलीज़ होंगे। इसका सेहत पर बहुत बुरा असर पड़ सकता है।
 
लेकिन, तमाम देशों में देर तक सोने वालों को आलसी, कामचोर और बाग़ी कहा जाता है। इसीलिए बहुत से लोग मजबूरी में सुबह उठने की कोशिश करते हैं। हां, सुबह उठने के कई फ़ायदे ज़रूर हैं। आपको क़ुदरती रौशनी मिलती है। सूरज की रौशनी में रहने से आपके शरीर को विटामिन डी की भरपूर ख़ुराक मिल जाती है। आप कई काम जल्दी निपटा लेते हैं। लेकिन, अगर आपको देर तक सोने में ज़्यादा मज़ा आता है, तो चादर तानिए और आराम से सो जाइए।
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