• Webdunia Deals
  1. सामयिक
  2. बीबीसी हिंदी
  3. बीबीसी समाचार
  4. 5 ways to stop Corona
Written By BBC Hindi
Last Modified: बुधवार, 25 मार्च 2020 (12:55 IST)

कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के 5 सबसे कारगर उपाय

कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के 5 सबसे कारगर उपाय - 5 ways to stop Corona
कोरोना वायरस का संक्रमण दुनिया भर में तेजी से फैल रहा है। पूरी दुनिया में इसे लेकर पैनिक की स्थिति देखने को मिल रही है। हर दिन हज़ारों नए मामले सामने आ रहे हैं जबकि सैकड़ों लोगों की मौत हो रही है। दुनिया भर के कई शहरों और पूरे देश में लॉकडाउन की स्थिति देखने को मिल रही है।
 
दुनिया भर में हवाई उड़ानें, अंतरराष्ट्रीय इवेंट और सालाना जलसे रद्द किए जा रहे हैं। यूरोप इस बीमारी का नया केंद्र बनकर उभरा है जबकि लैटिन अमेरिका, अमेरिका और मध्य पूर्व के देशों में संक्रमण फैलने की दर प्रतिदिन बढ़ रही है। 25 मार्च तक कोरोना वायरस के संक्रमण से लगभग 19 हजार लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 4,23,000 से ज्यादा संक्रमण देखने को मिले हैं।
 
हालांकि कुछ देश इस वायरस के संक्रमण के प्रसार पर अंकुश लगा पाने में कामयाब रहे हैं। अजीब संयोग यह है कि ये वैसे देश हैं जो भौगोलिक तौर पर चीन से नजदीक स्थित एशियाई देश हैं। इस वायरस की शुरुआत चीन से ही हुई थी। लेकिन चीन के पड़ोसी देश इस वायरस के संक्रमण पर अंकुश लगाने में कामयाब दिख रहे हैं।
 
जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी में महामारी रोगों के विशेषज्ञ टॉलबर्ट नेन्सवाह ने बीबीसी को बताया, "कुछ देश हैं जिन्होंने इसे फैलने पर अंकुश लगाया है, उनसे हम सबको सीखना चाहिए। मैं केवल चीन की बात नहीं कर रहा, जिसने आक्रामक तौर तरीकों से इस पर अंकुश लगाया है। हालांकि उन तौर तरीकों को लोकतांत्रिक देशों में लागू करना संभव नहीं होगा। लेकिन दूसरे देश भी हैं जिन्होंने दूसरे कारगर तरीकों का इस्तेमाल किया है।"
 
कोरोना वायरस के संक्रमण : उदाहरण के लिए चीन के पड़ोस में 2.36 करोड़ की आबादी वाले ताइवान में 24 मार्च तक कोरोना वायरस संक्रमण के 215 मामले सामने आए थे जबकि केवल दो मौतों की पुष्टि हुई थी।
 
75 लाख की आबादी वाले हॉन्गकॉन्ग में 386 मामले सामने आए हैं और दो महीनों के दौरान चार लोगों की मौत हुई है। हालांकि, बीते एक सप्ताह के दौरान यहां संक्रमण के मामले में तेज़ी आई है। अकेले 24 तारीख़ को 101 नए मामले सामने आए हैं।
 
12 करोड़ की आबादी वाले जापान में 24 मार्च तक 1140 मामले सामने आए हैं, जबकि दक्षिण कोरिया में 9037 मामले सामने आए हैं। इन दोनों देशों में हाल के सप्ताह में संक्रमण और मौत, दोनों मामलों में कमी देखने को मिली है।
 
महामारी रोगों के विशेषज्ञ टॉलबर्ट नेन्सवाह के मुताबिक़, इन देशों ने कोरोना वायरस के संक्रमण पर अंकुश लगाने के लिए कारगर प्रावधानों को तेजी से लागू किया।
 
1. जांच, जांच और फिर से जांच : विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक़ इस महामारी के प्रसार को रोकने की दिशा में सबसे अहम कारक इसकी शुरुआती पहचान है। बीबीसी ने जिन विशेषज्ञों से बात की, वे भी इसकी पुष्टि करते है। नेन्सवाह के मुताबिक, "कितने लोग संक्रमित हैं, ये जाने बिना आप ना तो इसके असर के बारे में जान सकते हैं और ना ही आप कारगर क़दम उठा सकते हैं।"
 
अमेरिका की टेंपल यूनिवर्सिटी के इपिडिमिलॉजी की प्रोफ़ेसर क्रायस जॉनसन इससे सहमत हैं। उनके मुताबिक यह सबसे ज्यादा अंतर पैदा करने वाला कारक है, जिन देशों ने जांच कराने पर जोर दिया वहां नए मामलों में कमी देखने को मिली, जिन देशों में जांच कराने पर जोर नहीं दिया गया वहां संक्रमण के मामले तेजी से बढ़े।
 
क्रायस ने बीबीसी से बताया, "दक्षिण कोरिया ने प्रतिदिन 10 हजार लोगों का परीक्षण किया, इसका मतलब यह है कि अमेरिका ने पूरे महीने में जितने लोगों की जांच की, उससे ज्यादा लोगों की जांच दक्षिण कोरिया ने दो दिन में कर ली थी।"
 
विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टेड्रोस एढॉनॉम गेब्रेयेसुस ने भी कहा है कि इस महामारी को रोकने में सबसे अहम कारक शुरुआती लक्षण वाले लोगों की जांच ही है। उन्होंने हाल ही में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "हम सभी देशों को यही संदेश दे रहे हैं- जांच, जांच, जांच। हर देश को सभी संदिग्ध मामलों की जांच करनी चाहिए- इससे आंख मूंदकर वे इस महामारी का सामना नहीं कर सकते।"
 
ज़्यादातर जगहों में गंभीर लक्षण देखे जाने के बाद ही कोरोना संक्रमण की जांच की जा रही है, इसको लेकर भी विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक ट्रेडोस ने दुनिया भर के देशों को चेताया है। उन्होंने कहा जिनमें शुरुआती लक्षण भी पाए जाएं उनकी जांच होनी चाहिए, तभी इसके संक्रमण पर अंकुश लगाना संभव होगा।
 
2. संक्रमित मरीज को एकांत में रखना : प्रोफ़ेसर क्रायस जॉनसन बताती हैं, "मरीजों की पहचान, जांच और उन्हें एकांत में रखने की दिशा में दक्षिण कोरिया और चीन ने शानदार काम किया है।" उनके मुताबिक जांच से संक्रमित शख्स को एकांतवास में भेजने में मदद मिलती है, साथ ही महामारी के प्रसार पर भी अंकुश लगता है। इतना ही नहीं इससे नए मामलों की जल्दी पहचान होने में भी मदद मिलती है।
 
क्रायस जानसन के मुताबिक चीनी अधिकारियों ने नए मामलों की पहचान के लिए अत्यधिक सक्रियता दिखाई और इसके चलते ही संक्रमण के मामलों में वहां कमी देखने को मिली है। क्रायस जॉनसन ने बताया कि उच्च ज्वर से पीड़ित लोगों को फ़ीवर क्लीनिक भेजा गया और उनके फ्लू और कोविड-19 की जांच की गई। अगर टेस्ट में कोविड-19 पॉज़िटिव पाया गया तो उन्हें एकांतवास में रखा गया, इसे क्वारंटाइन होटल्स कहा जाता था, ताकि वे अपने परिवार वालों के संपर्क में नहीं आ सकें।"
 
ताइवान, सिंगापुर और हॉन्गकॉन्ग ने दूसरा रास्ता अपनाया- वहां संदिग्ध मरीजों को उनके घरों में भी एकांतवास में रखा गया। इस नियम को तोड़ने वालों पर तीन हज़ार डॉलर जुर्माने का प्रावधान किया गया।
 
नेन्सवाह के मुताबिक इस रणनीति के चलते वे संभावित मरीजों पर नज़र रखने में कामयाब हुए। नेन्सवाह ने ये भी बताया है कि ताइवान और सिंगापुर में संक्रमित लोगों के संपर्क में आने वाले लोगों पर नज़र रखी गई। ऐसा संक्रमित लोगों से बातचीत के आधार पर किया गया।
 
उन्होंने कहा कि 12 मार्च को हॉन्ग कॉन्ग में 445 संदिग्ध मामले सामने आए थे, लेकिन वहां इन सभी लोगों के संपर्क में आने वाले लोगों को मिलाकर 14,900 लोगों की जांच की गई, 19 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए थे।
 
3. तैयारी और त्वरित कार्रवाई : नेन्सवाह खुद पश्चिम अफ्रीका में इबोला वायरस के संक्रमण पर अंकुश लगाने वाली टीम का हिस्सा रह चुके हैं। उनके मुताबिक़ किसी भी वायरस पर अंकुश लगाने का सबसे प्रभावी तरीका, संक्रमण फैलने से पहले त्वरित रफ्तार से अंकुश लगाने के लिए कारगर क़दम उठाना होता है।
 
उन्होंने कहा कि ताइवान और सिंगापुर जैसे देशों ने नए मामलों की पहचान और उन्हें अलग-थलग रखने के लिए त्वरित कार्रवाई की, यह महामारी के संक्रमण पर अंकुश लगाने वाला निर्णायक कदम साबित हुआ।
 
अमेरिकी मेडिकल एसोसिएशन जर्नल में प्रकाशित एक लेख में कहा गया है कि ताइवान में कोरोना संक्रमण की रोकथाम में कामयाबी की सबसे बड़ी वजह इस देश का ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए तैयार होना था। ताइवान में ऐसी किसी महामारी पर अंकुश लगाने के लिए 2003 में ही कमांड सेंटर स्थापित किया गया था।
 
इस सेंटर के तहत कई रिसर्च करने वाली संस्था और सरकारी एजेंसी काम करती हैं। इसकी स्थापना सार्स के ख़तरे के दौरान की गई थी और इसके बाद इसने ऐसी चुनौतियों से निपटने का कई बार अभ्यास किया है और कई शोध किए हैं।
 
नेन्सवाह बताते हैं कि कारगर कदम उठाने के लिए तैयार होना और शुरुआती चरण में ही प्रभावी तरीकों को अपनाना महत्वपूर्ण रहा। यूरोप और अमरीका में, हम देख रहे हैं कि देशों में ना तो तैयारी थी और कारगर कदम उठाने में भी देरी हुई।
 
मध्य जनवरी में कोरोना वायरस के पर्सन टू पर्सन संक्रमण फैलने का मामला सामने आया था, इससे पहले ही ताइवान ने वुहान से आने वाले सभी यात्रियों की स्क्रीनिंग शुरू कर दिया था। हॉन्गकॉन्ग ने अपने सभी बंदरगाहों पर ज्वर मापने वाले स्टेशन को तीन जनवरी से ही चालू कर दिया था।
 
यहां विदेश से आने वाले सभी यात्रियों को 14 दिनों तक एकांत में रखने की व्यवस्था भी की गई। वहीं चिकित्सकों से बुखार-श्वसन संबंधी मुश्किलों और वुहान के इलाक़े से लौटने वाले सभी मरीजों के बारे में रिपोर्ट करने का आदेश दिया था। नेन्सवाह के मुताबिक़, हॉन्ग कॉन्ग में भी समय रहते उठाए गए क़दम कारगर साबित हुए।
 
4. सोशल डिस्टैंसिंग : नेन्सवाह बताते हैं कि जब एक बार संक्रमण आपके देश में प्रवेश कर गया तब रोकथाम का कोई उपाय कारगर नहीं रह जाता है। ऐसी स्थिति आने पर आबादी को इसकी चपेट में आने से बचाने का सबसे प्रभावी तरीका सोशल डिस्टैंसिंग है- ऐसा हॉन्गकॉन्ग और ताइवान के उदाहरणों से भी जाहिर होता है।
 
हॉन्गकॉन्ग ने जनवरी महीने में ही अपने लोगों को 'वर्क फ्रॉम होम' करने को कहा, सभी स्कूलों को बंद कर दिया गया और सभी तरह के सामाजिक आयोजनों पर रोक लगा दी गई।
 
द स्ट्रेट टाइम्स समाचार पत्र के मुताबिक सिंगापुर ने अपने स्कूलों को बंद नहीं किया लेकिन छात्रों और अकैडमिक स्टाफ की प्रतिदिन जांच और निगरानी की व्यवस्था अपनाई।
 
5. साफ़ सफ़ाई के प्रति जागरूकता बढ़ाना : विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने की दिशा में नियमित तौर पर हाथ धोना और स्वच्छता से रहना बेहद ज़रूरी कदम है। नेन्सवाह बताते हैं कि कई एशियाई देशों को 2003 के सार्स संकट से सीखने को मिला था। इन्हें मालूम था कि साफ़ सफ़ाई से लोग बीमार नहीं होते और दूसरों में संक्रमण फैलने की आशंका भी कम होती है।
 
सिंगापुर, हॉन्गकॉन्ग और ताइवान की गलियों में 'एंटी बैक्ट्रियल जेल' वाले स्टेशन मौजूद हैं, जहां से लोग खुद को सैनिटाइज़ कर लेते हैं। इसके अलावा इन देशों में मास्क पहनने का चलन भी है। हालांकि कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिहाज से मास्क पहनना हमेशा कारगर तरीका नहीं है, लेकिन इसकी मदद से छींकने और खांसने के चलते होने वाले संक्रमण के ख़तरे को कम किया जा सकता है।
ये भी पढ़ें
भारत में कैदियों की रिहाई का रास्ता खोल सकता है कोरोना