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Written By भाषा
Last Modified: मुंबई , बुधवार, 23 मार्च 2011 (18:18 IST)

जापान संकट: कार कंपनियों के लिए चुनौती

जापान भूकंप
कच्चे माल की बढ़ती लागत से पहले से परेशान कार बनाने वाली घरेलू कंपनियों को अब प्रमुख उपकरणों की कमी समेत अन्य चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इससे इस साल उनके प्रदर्शन पर असर पड़ सकता है।

कच्चे माल की बढ़ती लागत को तो वे ग्राहकों पर टाल सकते हैं, लेकिन कंपनियों को उपकरणों की कमी से जूझना पड़ रहा है जो उनके लिए बड़ी समस्या है। खासकर 11 मार्च को जापान में आए भूकंप और सुनामी के बाद से यह समस्या और गंभीर हो गई है। पुन: रिजर्व बैंक द्वारा हाल में प्रमुख नीतिगत दरों में वृद्धि से भी कंपनियाँ परेशान हैं। नीतिगत दरों में वृद्धि से वाहनों के लिए ऋण महँगा हो सकता है।

जनरल मोटर्स इंडिया के उपाध्यक्ष पी बालेन्द्रन ने कहा कि निश्चित रूप से उद्योग के समक्ष समस्याएँ हैं, लेकिन हमें लगता है यह कुछ दिनों की समस्या है। आने वाला दिन बेहतर होगा। उन्होंने कहा कि उपकरणों की कमी से उद्योग के समक्ष समस्या बढ़ी है। खासकर जापान में भूकंप और सुनामी के बाद से स्थिति और बिगड़ी है क्योंकि बड़े पैमाने पर उपकरण वहीं से आते हैं। इससे कार कंपनियों के लिए बिक्री लक्ष्य हासिल करना आसान नहीं होगा।

बालेन्द्रन ने कहा कि रिजर्व बैंक द्वारा नीतिगत दरों में वृद्धि से वाहन ऋण बढ़ने की संभावना है। इससे कार खरीदने वाले अपनी योजना कुछ समय के लिए टाल सकते हैं। महिंद्रा एंड महिंद्रा का भी मानना है कि जापान संकट और रिजर्व बैंक की अल्पकालिक दरों में वृद्धि का उद्योग पर अल्पकालिक असर पड़ेगा।

महिंद्रा एंड महिंद्रा के अध्यक्ष (वाहन) पवन गोयनका ने कहा कि पिछले कछ समय से कच्चे माल की लागत बढ़ी है। अब जापान संकट और रिजर्व बैंक की नीतिगत दरों में वृद्धि से उद्योग की समस्या और बढ़ गई है। उल्लेखनीय है कि रिजर्व बैंक ने हाल ही में रेपो और रिवर्स रेपो में 0.25, 0.25 प्रतिशत की वृद्धि की है। इससे ऋण महँगा हो सकता है।

होंडा सिएल कार्स इंडिया और टाटा मोटर्स कच्चे माल की बढ़ती लागत को कम करने के लिए पहले ही एक अप्रैल से कीमत बढ़ाने का संकेत दे चुकी है। कुछ और कंपनियाँ इस प्रकार का कदम उठा सकती हैं।

अतुल ऑटो के निदेशक विजय केडिया ने कहा कि जापान से कुछ उपकरणों का आयात अल्पकाल में प्रभावित होगा। उद्योग के लिए कच्चे माल की बढ़ती लागत के साथ बढ़ती माँग को पूरा करना एक बड़ी चुनौती है।

दरों में वृद्धि पर उन्होंने कहा कि आने वाले सप्ताह में इससे माँग पर असर पड़ सकता है। फोर्ड इंडिया के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक माइकस बानेहाम ने भी कहा कि उद्योग के समक्ष चुनौती है। हालाँकि उन्होंने विश्वास जताया कि उद्योग इससे जल्दी ही पार पा लेगा। (भाषा)