शुक्रवार, 7 फ़रवरी 2025
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Written By Author पं. अशोक पँवार 'मयंक'

षष्‍टम का सूर्य शत्रु नाशक

जानें षष्‍टम सूर्य के प्रभाव

षष्‍टम का सूर्य शत्रु नाशक -
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सूर्य का षष्ट भाव में होना यह दर्शाता है कि उस जातक के शत्रु नहीं होंगे या किसी कारण हुए भी तो उस जातक का कुछ बिगाड़ नहीं पाएँगे। विद्या व सं‍तान के मामलों में बाधा का कारण भी बनता है।

* मेष लग्न में षष्टम भाव का सूर्य पंचमेश होकर मित्र बुध की कन्या राशि में होगा।

* वृषभ लग्न में छठवाँ सूर्य नीच का होकर सुखेश होने के कारण सुख में माता के मामलों में, स्थायीत्व के मामलों में भूमि-भवन के मामलों में बाधा का कारण भी रहेगा। ऐसे जातक को रोग नहीं होते।

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* मिथुन लग्न में छठे स्थान का सूर्य वृश्चिक मंगल की राशि में होकर तृतीयेश होने से पराक्रम के द्वारा सफलता का करक होगा व शत्रुओं का नाश करेगा।

* कर्क लग्न में छठवाँ सूर्य धनु का होकर धनेश भी होगा जो स्वराशिस्थ होगा। एक मार्केश व दूसरा षष्टेश होने से धन, वाणी व कुटुम्बियों से परेशानी का कारण बनता है। वैसे नाना-मामा से लाभकारी रहेगा।

* सिंह लग्न में छठें स्थान का सूर्य अपने पुत्र शनि की राशि मकर में होने से निरोगी रखेगा लेकिन कर्जदार भी बनाएगा व नाना-मामा के लिए भी कष्टकारी रहेगा।

* कन्या लग्न में छठाँ सूर्य वही शनि की राशि कुंभ में द्वादशेश होने से बाहरी संबंध उत्तम रहेंगे, लेकिन षष्ट भाव से संबंधित मामलों में कष्ट रहेगा।

* तुला लग्न में ऐसा सूर्य एकादशेश होकर गुरु की मीन राशि में होने से ज्यादा कष्टकारी न होकर कुछ न कुछ लाभकारी भी रहेगा।

* वृश्चिक लग्न में छठाँ सूर्य दशमेश होकर उच्च का होने से उस जातक को चर्म रोग व अन्य बीमारी का कारण भी बनेगा लेकिन कर्ज व शत्रु नहीं होने देगा। नाना-मामा से लाभकारी भी बनाएगा।

* धनु लग्न में षष्टम सूर्य भाग्येश होकर शत्रु शुक्र की राशि वृषभ में होने से भाग्य में रुकावट डालेगा। धर्म-कर्म में भी अरुचि पैदा करेगा।

* मकर लग्न में छठवाँ सूर्य अष्टमेश होकर बुध की राशि मिथुन में होने से विपरीत राजयोगकारी रहेगा। अतः सूर्य के उत्तम परिणाम मिलेंगे।

* कुंभ लग्न में सूर्य सप्तमेश होकर चन्द्र की राशि कर्क में सम होने से फल में मिली-जुली स्थिति रहेगी।

* मीन लग्न में सूर्य अपनी ही राशि सिंह में होने से प्रबल रूप से शत्रुहन्ता होगा। अशुभ परिणाम मिलते हों तो उस जातक को बड़ों की सहायता करना चाहिए व लाल कुत्ता पालना चाहिए। सूर्य को प्रातः चाँदी के कलश में दूध-मिश्री मिला जल प्रति रविवार को सूर्योदय के समय चढ़ाएँ।