चेहरा भी बोलता है ग्रह की भाषा
किसी भी व्यक्ति का चेहरा उसके जन्म समय के ग्रहों की शुभाशुभ स्थिति को बताने वाला होता है। आपकी आकर्षक आँखें लग्न से द्वितीय व द्वादश भाव के शुभ होने के संकेत हैं वहीं इन भाव के स्वामियों की भी शुभ स्थिति दर्शाते हैं। लग्न स्वयं को दर्शाता है तो मंगल रक्ता व हड्डी का कारक होता है। उसकी शुभ स्थिति चेहरे के लावण्य व दाँतों की खूबसूरती को बयाँ करने वाला होता है। वहीं आपकी लंबाई, स्लीमता, फिगर आदि को भी ग्रहों की पहचान होना संभव है।जिनकी पत्रिका में द्वितीय व द्वादश भाव में शुभ ग्रहों की स्थिति यथा शुक्र, चंद्र, गुरु, सूर्य, मंगल हों तो आँखें सुंदर होती हैं। वहीं इन भावों के स्वामी केतु, शनि, शनि-मंगल या राहु-केतु से दृष्ट या युति संबंध हों तो आँखें आकर्षक नहीं होगी। चश्मा भी लग सकता है। शुक्र-केतु द्वितीय या द्वादश भाव में हों तो आँखों को चोट लग सकती है। शनि-केतु साथ हों व मंगल भी इनमें से किसी भाव में हो तो आँखों की ज्योति कमजोर होने से चश्मा लगता है।मंगल व लग्नेश की शुभ स्थिति हो तो उस जातक का रक्त शुद्ध होने से उसका चेहरा लावण्यमय होगा व उसके दाँत सुंदर होंगे। मंगल राहु से ग्रस्त हो या शनि से दृष्टि संबंध करता हो या युति हो तो दाँत सुंदर न होकर मटमैले हो सकते हैं। मंगल-गुरु साथ होने पर आकर्षक चेहरा, गोल व आँखें भी सुंदर तथा गोल होती हैं। |
किसी भी व्यक्ति का चेहरा उसके जन्म समय के ग्रहों की शुभाशुभ स्थिति को बताने वाला होता है। आपकी आकर्षक आँखें लग्न से द्वितीय व द्वादश भाव के शुभ होने के संकेत हैं वहीं इन भाव के स्वामियों की भी शुभ स्थिति दर्शाते हैं। |
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जिस जातक के लग्नेश व द्वितीयेश द्वादशेश शुक्र-शनि से संबंध रखते हों तो उनका चेहरा सुंदर और आँखें कँटीली होंगी। वृषभ, तुला, कुंभ लग्न वाली स्थितियाँ अक्सर इकहरे शरीर की होती हैं। इन लग्नों पर शुभ ग्रहों की स्थिति आकर्षक बनाती है। वहीं इनमें बैठे ग्रहों की स्थिति यदि स्वग्रही हो या मित्र ग्रह हो या उच्च का हो तो ऐसा जातक सुंदर होता है। यदि लग्न में लग्नेश के साथ केतु हो या इन पर शनि की दृष्टि हो तो सुंदर होते हुए भी कुछ न कुछ कमी रह जाती है।सप्तम सप्तमेश व शुक्र से फिगर के बारे में जाना जा सकता है। यदि इस भाव में शनि, बुध साथ हों तो सामान्य स्वतंत्र सूर्य हो तो आकर्षक फिगर होता है। सूर्य-मंगल, सूर्य-मंगल-शुक्र हो तो उस युवती का फिगर सुंदर और आकर्षक होता है। स्त्री की सुंदरता में फिगर का बहुत बड़ा योगदान होता है। इससे नारी के आकर्षक में चार चाँद लग जाते हैं। मंगल स्वतंत्र हो तो फिगर शुष्क होता है। गुरु-शुक्र की स्थिति फिगर को कुछ ज्यादा बड़ा बना देती है। सप्तमेश शनि के साथ हो तो फिगर शुष्क होते हैं। सप्तम भाव में बुध या बुध-शुक्र हों तो फिगर सामान्य रहता है। सप्तम भाव व सप्तमेश शुभ हो व अशुभ ग्रहों से दृष्ट न हो तो फिगर का आकर्षण अधिक रहता है।शुक्र-मंगल-गुरु जितने शुभ होंगे उतना ही आकर्षक चेहरा, स्लिमता, सुंदरता, मनमोहक आँखें, आकर्षक यौवन होगा। जिन जातकों का गोल चेहरा हो तो गुरु-चंद्र की लग्न पर दृष्टि पड़ती है, ऐसा आभास दिखाई देता है। शुक्र लग्न में स्वतंत्र होकर अशुभ ग्रहों से पीडि़त न हो तो ऐसा जातक सुंदर होता है। इस प्रकार किसी को भी देखकर उस जातक के जन्म समय पर पड़ने वाले ग्रहों के बारे में लगभग अंदाजा लगाया जा सकता है।