रत्न विज्ञान : कौन-सा रत्न कब धारण करें
जानिए नवग्रह और उनके रत्न
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अशोक जैन 'सहजानंद' * सूर्य को शक्तिशाली बनाने में माणिक्य का परामर्श दिया जाता है। 3 रत्ती के माणिक को स्वर्ण की अंगूठी में, अनामिका अंगुली में रविवार के दिन पुष्य योग में धारण करना चाहिए। * चंद्र को मोती पहनने से शक्तिशाली बनाया जा सकता है, जो 2, 4 या 6 रत्ती की चांदी की अंगूठी में शुक्ल-पक्ष सोमवार रोहिणी नक्षत्र में धारण करना चाहिए।* मंगल को शक्तिशाली बनाने के लिए मूंगे को सोने की अंगूठी में 5 रत्ती से बड़ा, मंगलवार को अनुराधा नक्षत्र में सूर्योदय से 1 घंटे बाद तक के समय में पहनना चाहिए।* बुध ग्रह का प्रधान रत्न पन्ना होता है जो अधिकांश रूप में पांच रंगों में पाया जाता है। हल्के पानी के रंग जैसा, तोते के पंखों के समान रंग वाला, सिरस के फूल के रंग के समान, सेडुल फूल के समान रंग वाला, मयूर पंख के समान रंग वाला।इसमें अंतिम मयूर पंख के समान रंग वाला श्रेष्ठ माना जाता है, किंतु यह चमकीला और पारदर्शी होना चाहिए। कम से कम 6 रत्ती वजन का पन्ना सबसे छोटी उंगली में प्लेटिनम या सोने की अंगूठी में बुधवार को प्रात:काल उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में धारण करना चाहिए।* गुरु (बृहस्पति) के लिए पुखराज 5, 6, 9 या 11 रत्ती का सोने की अंगूठी में तर्जनी अंगुली में गुरु-पुष्य योग में सायं समय धारण करने का परामर्श ग्रंथों में उपलब्ध होता है। * शुक्र ग्रह को शक्तिशाली बनाने के लिए हीरा (कम से कम 2 कैरेट का) मृगशिरा नक्षत्र में बीच की अंगुली में धारण करना चाहिए।* शनि ग्रह की शांति के लिए नीलम 3, 6, 7 या 10 रत्ती का मध्यमा अंगुली में शनिवार को श्रवण नक्षत्र में पंचधातु की अंगूठी में धारण करना चाहिए।* राहु के लिए 6 रत्ती का गोमेद उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में बुधवार या शनिवार को धारण करना चाहिए। इसे पंचधातु में तथा मध्यमा अंगुली में पहनना चाहिए।* केतु के लिए 6 रत्ती का लहसुनिया गुर पुष्य योग में गुरुवार के दिन सूर्योदय से पूर्व धारण करना चाहिए। इसे भी पंचधातु में तथा मध्यमा अंगुली में पहनना चाहिए।