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मकर संक्रांति का महापर्व 2015 में 15 तारीख को

मकर संक्रांति का महापर्व 2015 में 15 तारीख को - makar sankranti 2015
हाथी पर खुशियां और समृद्धि लेकर आएगी मकर संक्रांति
 

 
नववर्ष 2015 में मकर संक्रांति हाथी पर सवार होकर आएगी। पशु जाति की मकर संक्रांति, गोरोचन का लेप लगाकर लाल रंग के वस्त्र और बिल्व पुष्प की माला धारण कर आएगी। हाथ में धनुष लेकर लोहे के बर्तन में दुग्ध पान करती हुई बैठी हुई स्थिति में प्रौढ़ा अवस्था में रहेगी।
 
सूर्य 14 जनवरी 2015 की मध्यरात्रि 1:30 बजे मकर राशि में प्रवेश करेगा। वर्ष 2015 के जनवरी माह में 15 तारीख को विशेष महासंयोग बन रहा है। मकर संक्रांति का महापर्व इस बार 2015 में 15 तारीख को ही मनेगा।
 
विशेष बात यह कि 15 तारीख को 15 वां नक्षत्र स्वाति और 15 मुहुर्त तिथि होगी। यही नहीं इस दिन पांचवां वार गुरुवार व दशमी तिथि का योग भी 15 होगा। इस बार तिथि काल और सूर्य-पृथ्वी की गति के कारण इस बार एक बार फिर मकर संक्रांति का पर्व 15 तारीख को मनेगा।
 
सूर्य यूं तो 14/15 जनवरी की मध्यरात्रि 1:30 बजे मकर राशि में प्रवेश कर जाएगा। निर्णय सिंधु में संक्रांति काल से पहले के 6 घंटे और बाद 12 घंटे पुण्यकाल के लिए वर्णित हैं।
 
चूंकि संक्रांति काल रात्रिकाल में है, इसलिए 14 जनवरी का कोई महत्व नहीं रहेगा,विशेष पुण्य काल 15 जनवरी को दोपहर 1:30 तक रहेगा एवं सामान्य पुण्यकाल सूर्यास्त तक रहेगा। उदय काल में संक्रांति का पुण्यकाल श्रेष्ठ माना गया है। इसी दिन दान-पुण्य का महत्व माना गया है। इसलिए 15 को मकर संक्रांति मनाई जाएगी।
 
सूर्य सिद्धान्त में पृथ्वी की गति प्रतिवर्ष 50 विकला (5 विकला =2 मिनट) पीछे रह जाती है, वहीं सूर्य संक्रमण आगे बढ़ता जाता है। हालांकि अधिवर्ष (लीप ईयर) में ये दोनों वापस उसी स्थिति में आ जाते हैं। इस बीच प्रत्येक चैथे वर्ष में सूर्य संक्रमण में 22 से 24 मिनट का अंतर आ जाता है।
 
यह अंतर बढ़ते-बढ़ते 70 से 80 वर्ष में एक दिन हो जाता है। इस कारण मकर संक्रांति का पावन पर्व वर्ष 2080 से लगातार 15 जनवरी को ही मनाया जाने लगेगा। 
 
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हर दो साल के अंतराल में बदलता है क्रम
 
साल 2016 में भी मकर संक्रांति 15 को ही मनेगी। फिर मकर संक्रांति मनाए जाने का ये क्रम हर दो साल के अंतराल में बदलता रहेगा। लीप ईयर वर्ष आने के कारण मकर संक्रांति वर्ष 2017 व 2018 में वापस 14 को ही मनेगी। साल 19 व 20 को 15 को मनेगी। ये क्रम 2030 तक चलेगा। मकर संक्रांति का अंतर पृथ्वी की अयन गति से होता है।
 
शताब्दी अनुसार मकर संक्रांति मनाए जाने का क्रम
 
    16 व 17 वीं शताब्दी में 9 व 10 जनवरी
 
    17 व 18वीं शताब्दी में 11 व 12 को
 
    18 व 19वीं शताब्दी में 13 व 14 जनवरी को
 
    19 व 20 वीं शताब्दी में 14 व 15 को
 
    21 व 22वीं शताब्दी में 14, 15 और 16 जनवरी तक मनाई जाने लगेगी।