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भैरव अष्टमी पर ऐसे करें पूजन, जपें ये विशेष मंत्र...

भैरव अष्टमी पर ऐसे करें पूजन, जपें ये विशेष मंत्र... - Kalbhairav Jayanti 2017
शनि का प्रकोप एकमात्र भैरव की आराधना से ही शांत होता है। पुराणों के अनुसार भैरव अष्‍टमी का दिन भैरव और शनि को प्रसन्न करने और भैरवजी की पूजा के लिए अति उत्तम माना गया है। वैसे उनकी आराधना का दिन रविवार और मंगलवार नियुक्त है। भैरव आराधना से पूर्व जान लेना चाहिए कि कुत्ते को कभी दुत्कारे नहीं बल्कि उसे भरपेट भोजन कराएं। जुआ, सट्टा, शराब, ब्याजखोरी, अनैतिक कृत्य आदि आदतों से दूर रहें। दांत और आंत साफ रखें। पवित्र होकर ही सात्विक आराधना करें। अपवि‍त्रता वर्जित है।

मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी काल भैरवाष्टमी के रूप में मनाई जाती है। 10 और 11 नवंबर को काल भैरव अष्टमी है। इस दिन भैरव के हर रूप की आराधना की जाती है। इस दिन भैरवनाथ को चने-चिरौंजी, पेड़े, काली उड़द और उड़द से बने मिष्‍ठान्न इमरती, दही बड़े, दूध और मेवा का भोग लगाना लाभकारी है इससे भैरव प्रसन्न होते है।

हिंदू देवताओं में भैरव का बहुत ही महत्व है। ऐसा भी कहा जाता है कि भैरव शब्द के तीन अक्षरों में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों की शक्ति समाहित है। भैरव शिव के गण और पार्वती के अनुचर माने जाते हैं। काल भैरवाष्टमी के दिन मंदिर जाकर भैरवजी के दर्शन करने से पूर्ण फल की प्राप्ति होती है।

उनकी प्रिय वस्तुओं में काले तिल, उड़द, नींबू, नारियल, अकौआ के पुष्प, कड़वा तेल, सुगंधित धूप, पुए, मदिरा, कड़वे तेल से बने पकवान दान किए जा सकते हैं। उन्हें जलेबी एवं तले पापड़ या उड़द के पकौड़े का भोग लगाने से जीवन के हर संकट दूर होकर मनुष्य का सुखमय जीवन व्यतीत होता है।

कालभैरव के पूजन-अर्चन से सभी प्रकार के अनिष्टों का निवारण होता है तथा रोग, शोक, दुखः, दरिद्रता से मुक्ति मिलती है। कालभैरव के पूजन में उनकी प्रिय वस्तुएं अर्पित कर आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है। भैरवजी के दर्शन-पूजन से सकंट व शत्रु बाधा का निवारण होता है। दसों दिशाओं के नकारात्मक प्रभावों से मुक्ति मिलती है तथा पुत्र की प्राप्ति होती है। इस दिन भैरवजी के वाहन श्वान को गुड़ खिलाने का विशेष महत्व है। इस दिन निम्न मंत्रों को जाप करना फलदायी है। 
 
भैरव आराधना के विशेष मंत्र
 
- 'ॐ कालभैरवाय नम:।'
 
- ' ॐ भयहरणं च भैरव:।'
 
 
- 'ॐ भ्रां कालभैरवाय फट्‍।'

- 'ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरू कुरू बटुकाय ह्रीं।'
 
- 'ॐ हं षं नं गं कं सं खं महाकाल भैरवाय नम:।'
 
उक्त समस्त मंत्र चमत्कारिक रूप से सिद्धि प्रदान करते हैं। इनका प्रयोग अति शुद्धता से करना चाहिए। कालभैरव भगवान महादेव का अत्यंत ही रौद्र, भयाक्रांत, वीभत्स, विकराल प्रचंड स्वरूप है।

जिंदगी में हर तरह के संकटों से मुक्ति के लिए भैरव आराधना का बहुत महत्व है। खास तौर पर काल भैरवाष्टमी के दिन भैरव के मंत्रों का प्रयोग कर व्यापार-व्यवसाय, शत्रु पक्ष से आने वाली परेशानियां, विघ्न, बाधाएं, कोर्ट कचहरी तथा निराशा आदि से मुक्ति पाई जा सकती है। 
 
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