शीश कटाए गुरु मिले फिर भी सस्ता जान, जानिए गुरु दीक्षा के 8 प्रकार...
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गुरु पूर्णिमा हर वर्ष आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को मनाई जाती है, इस वर्ष 27 जुलाई 2018, शुक्रवार को मनाई जाएगी। गुरु पूर्णिमा व्यास पूजा के नाम से भी जाना जाता है।
वैसे तो किसी भी तरह का ज्ञान देने वाला गुरु कहलाता है, लेकिन तंत्र-मंत्र-अध्यात्म का ज्ञान देने वाले सद्गुरु कहलाते हैं जिनकी प्राप्ति पिछले जन्मों के कर्मों से ही होती है। दीक्षा प्राप्ति जीवन की आधारशिला है। इससे मनुष्य को दिव्यता तथा चैतन्यता प्राप्त होती है तथा वह अपने जीवन के सर्वोच्च शिखर पर पहुंच सकता है। दीक्षा आत्मसंस्कार करती है। दीक्षा से शिष्य सर्वदोषों से मुक्ति प्राप्त कर सकता है।
इसीलिए कहा गया है-
'शीश कटाए गुरु मिले फिर भी सस्ता जान।'
गुरु का महत्व यूं बतलाया गया है-
'गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वरा:
गुरुर्साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नम:।'
दीक्षा के 8 प्रकार मुख्य रूप से हैं-
1. समय दीक्षा- साधना पथ की ओर अग्रसर करना, विचार शुद्ध करना इसमें आता है।
2. ज्ञान दीक्षा- इसमें विचारों की शुद्धि की जाती है।
3. मार्ग दीक्षा- इसमें बीज मंत्र दिया जाता है।
4. शाम्भवी दीक्षा- गुरु, शिष्य की रक्षा का भार स्वयं ले लेते हैं जिससे साधना में अवरोध न हो।
5. चक्र जागरण दीक्षा- मूलाधार चक्र जागृत किया जाता है।
6. विद्या दीक्षा- इसमें शिष्य को विशेष ज्ञान तथा सिद्धियां प्रदान की जाती हैं।
7. शिष्याभिषेक दीक्षा- इसमें तत्व, भोग, शांति निवृत्ति की पूर्णता कराई जाती है।
8. पूर्णाभिषेक दीक्षा- इसमें गुरु अपनी सभी शक्तियां शिष्य को प्रदान करते हैं, जैसे स्वामी रामकृष्ण परमहंस ने स्वामी विवेकानंद को दी थीं।