क्यों और कितने प्रकार के होते हैं पितृ दोष...
ज्योतिष के अनुसार पूर्व जन्म के कर्मों के फलस्वरूप, वर्तमान समय में कुंडली में वर्णित ग्रह दिशा प्रदान करते हैं। यदि कर्म अच्छे होते हैं तो अगले जन्म में ग्रह सकारात्मक परिणाम देते हैं। शास्त्रों में लिखा है कि इसी क्रम में पितृदोष का भी निर्माण होता है। यदि कोई इस जन्म में पिता की हत्या, पिता का अपमान, बड़े बुजुर्गों का अपमान आदि करते हैं, तो अगले जन्म में निश्चित तौर पर उसकी कुंडली में ‘पितृदोष आ जाता है। कहा जाता है कि पितृदोष वाले जातक से पूर्वज दुखी रहते हैं।'