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दादी माँ
दादी माँ मेरी प्यारी प्यारी मुझको कहती राजकुमारी अच्छी-अच्छी बातें कहती मैं रूठूँ तो मुझे मनाती नए-नए पकवान खिलाती फल खिलाती,दूध पिलाती रंग-बिरंग ड्रेस दिलाती मंदिर व पार्क ले जाती मम्मी के गुस्से से बचाती अपनी गोद में मुझे सुलाती घोड़ा हाथी बनके घुमाती नित नई कहानी सुनाती खेल-खेल में मुझे पढ़ाती भले-बुरे का भेद बताती ऐसी मेरी प्यारी दादी -
कु. शालू निचलानी, इंदौर