श्रीलंका होगा बीपीओ का नया गढ़
नई दिल्ली, भारतीय विशेषज्ञों का मानना है कि निकट भविष्य में श्रीलंका में आउटसोर्सिंग व्यवसाय की अपार संभावनाएँ हैं। हाल ही में तमिल टाइगर्स के खात्मे के बाद श्रीलंका अब अपनी युद्ध ग्रस्त अर्थव्यवस्था को वापस पटरी पर लाने की कोशिश में है और भारत के लिए अपने बीपीओ उद्योग को श्रीलंका में फैलाने का यह अच्छा मौका साबित हो सकता है। भारत की कई बड़ी कंपनियाँ पहले से श्रीलंका में हैं। भारत की बड़ी आउटसार्सिंग कंपनी जेनपेक्ट जल्दी ही अपना व्यवसाय श्रीलंका में शुरू करने वाली है। श्रीलंका को बीपीओ डेस्टिनेशन बनाने के लिए विश्व भर की कंपनियाँ हाथ पैर मार रही है क्योंकि आउटसोंर्सिंग आज तेजी से बढ़ता हुआ क्षेत्र है। चीन और मिस्र जैसे देश श्रीलंका को कर में राहत और बिना किराए के घर जैसे प्रलोभन दे रहे हैं। श्रीलंका की सेवाएँ वित्त और अकाउंट्स बैक ऑफिस वर्क में ली जा सकती है क्योंकि यहाँ प्रतिभा और भाषा पर पकड़ है जो रोजगार को आकर्षित कर सकती है।पिछले दो सालों में डब्ल्यू एन एस ग्लोबल सर्विसेस, क्वाट्रो बीपीओ सॉल्यूशंस, आरआर डोनेल्ले, एचएसबीसी और अवीवा ने श्रीलंका में व्यवसाय शुरू किया है। क्वाट्रो के कोलंबो में 300 कर्मचारी हैं।बीपीओ के इस नए गढ़ में कंपनियों को पैर जमाने के लिए कम से कम 10 लाख स्क्वेयर फीट की जमीन और कम से कम 10,000 कर्मचारियों की जरूरत होगी।