सैल्यूलर जेल - काला पानी
अंडमान निकोबार द्वीप समूह पर बनी सैल्यूलर जेल काला पानी के नाम से विख्यात है। अंग्रेजों द्वारा बनाई गई इस जेल में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को सजा के बतौर रखा जाता था। भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान बटुकेश्वर दत्त और वीर सावरकर जैसे अनेक सेनानियों ने यहाँ सजा काटी है। आज यह जगह राष्ट्रीय स्मारक बन चुकी है, जहाँ पर्यटक इसे देखने आते हैं।
सैल्यूलर जेल भारत के इतिहास का एक काला अध्याय है। स्वतंत्रता संग्राम के शुरुआत में अंग्रेजों ने भारतीय सेनानियों पर बहुत कहर ढाया। हजारों लोगों को फाँसी पर लटकाया गया, पेड़ों पर बाँधकर फाँसी दी गई और तोपों के मुँह पर बाँधकर उन्हें उड़ाया गया। कइयों को देश निकाला की सजा देकर यहाँ लाया जाता था और उन्हें उनके देश और परिवार से दूर रखा जाता था। सबसे पहले 200 विद्रोहियों को जेलर डेविड बेरी और मेजर जेम्स पैटीसन वॉकर की सुरक्षा में यहाँ लाया गया। उसके बाद 733 विद्रोहियों को कराची से लाया गया। भारत और बर्मा से भी यहाँ सेनानियों को सजा के बतौर लाया गया था।
सुदूर द्वीप होने की वजह से यह विद्रोहियों को सजा देने के लिए अनुकूल जगह समझी जाती थी। उन्हें सिर्फ समाज से अलग करने के लिए यहाँ नहीं लाया जाता था, बल्कि उनसे जेल का निर्माण, भवन निर्माण, बंदरगाह निर्माण आदि के काम में भी लगाया जाता था। यहाँ आने वाले कैदी ब्रिटिश शासकों के घरों का निर्माण भी करते थे। 19वीं शताब्दी में जब स्वतंत्रता संग्राम ने जोर पकड़ा, तब यहाँ कैदियों की संख्या भी बढ़ती गई।