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Written By ND

बेहतर भारत-बेहतर दुनिया

एक सफल उद्यमी की बेचैनियाँ

Book review- NR Narayan Murthy | बेहतर भारत-बेहतर दुनिया
प्रदीप कुमार
ND
पेंगुइन बुक्स पिछले कुछ समय में अँगरेजी की चर्चित पुस्तकों का हिंदी अनुवाद अपने सहयोगी प्रकाशन संस्था यात्रा बुक्स के साथ मिलकर कर रहा है जो निश्चित तौर पर हिंदी के पाठकों के लिए स्तरीय रचनाएँ मुहैया कराने वाला कदम है। इसी कड़ी में पेंइगुन बुक्स ने विश्व प्रसिद्ध सॉफ्टवेयर कंपनी इन्फोसिस टेक्नोलॉजी के निर्माता एन. आर. नारायण मूर्ति के व्याख्यानों के संग्रह 'ए बेटर इंडिया-ए बेटर वर्ल्ड' का अनुवाद 'बेहतर भारत, बेहतर दुनिया' शीर्षक से प्रकाशित किया है।

पुस्तक में दस खंड में 38 वक्तव्य हैं। इन वक्तव्यों को पढ़ने के दौरान नारायण मूर्ति और इन्फोसिस की कामयाबी और उसके अब तक के सफर को समझने का मजबूत आधार बनता चलता है। नारायण मूर्ति कहते हैं कि नए भारत की कहानी सिर्फ अमीरों के आरामदेह ड्रांइगरूमों में ही नहीं बल्कि गरीब, आशावान, और नागरिक अधिकारों से वंचितों की बस्तियों में भी लिखी जाएगी। जो लोग इस बात को समझेंगे और जल्दी ही इस दिशा में कार्य करेंगे, वे देश का स्थान बेहतर बनाएँगे।

नारायण मूर्ति जैसे सफल उद्यमी के दिल-दिमाग को भारत की गरीबी, बेकारी और नागरिक सुविधाओं की कमी बेचैन करती है। यह बेचैनी किस कदर है, इसे नारायण मूर्ति के शब्दों में ही देखना बेहतर होगा-'जब हमारे नेता और अधिकारी लुटियन की दिल्ली और राज्य की राजधानियों में बड़े-बड़े बंगलों में रहते हैं, हमारे कारपोरेट लीडर मैंशन, जहाजों पर पैसा लुटाते और हमारे शहरी युवा अपने स्पोर्ट्स शूज पर फिदा होते हैं तो फिर क्यों 30 करोड़ से ज्यादा भारतीय मात्र 545 रुपए महीने पर गुजारा करते हैं जिसमें किसी तरह दो वक्त की रोटी जुट पाती हैं और इसके बाद शिक्षा, कपड़ों, घर और दवाओं के लिए बिलकुल नहीं या नाममात्र का पैसा बच पाता है?'

नारायण मूर्ति मानते हैं कि इस देश की ज्यादातर समस्या गरीबी से है। इसके लिए नौकरी उपलब्ध कराना सबसे बेहतर विकल्प है। यही सोच है जिसने नारायण मूर्ति को इन्फोसिस बनाने के लिए प्रेरित किया। 2002 तक नारायण मूर्ति अपनी कंपनी को शिखर पर पहुँचाने के लिए दिन-रात जुटे रहे। 2002 में देश के तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम और तत्कालीन सांसद मनमोहन सिंह ने नारायण मूर्ति को युवाओं से ज्यादा से ज्यादा बात करने के लिए प्रेरित किया और उसके बाद ही नारायण मूर्ति ने दुनिया भर की संस्थानों में वक्तव्य देने के लिए निमंत्रण स्वीकार करने शुरू किए।

इन वक्तव्यों में भारत और विश्व के भविष्य से जुड़े मुद्दों को उठाया गया है। वैश्वीकरण, लीडरशिप, असमानता, कारपोरेट गवर्नेंस और मूल्यों जैसे महत्वपूर्ण मसलों को अपने वक्तव्य में शामिल किया है। वे लिखते हैं, 'बहुत लोग दुखी होते हैं कि आज के युवाओं में कोई मूल्य नहीं है, वे अनुशासनहीन हैं और मेहनत में विश्वास नहीं करते। मैं उनसे सहमत नहीं हूँ। ज्यादातर युवा, जिनसे मैं मिलता हूँ, उससे बेहतर हैं जैसा कि मैं उनकी उम्र में था।'

नारायण मूर्ति यह बताने में सफल रहे हैं कि हमारी चुनौतियाँ हैं कि हम अपनी कमियों और सीमाओं को यथारूप पहचानें। वे अपने सभी वक्तव्यों में न केवल समस्याओं की ओर ध्यान दिलाते हैं बल्कि उनका हल भी बताते हैं। इन्फोसिस अपने यहाँ काम करने वालों को बस तीन बातों की गांरटी देता है- हर लेन-देन में उनका सम्मान बना रहेगा। ईमानदार और नैतिकता के साथ काम करने के चलते कभी शर्म से सिर न झुकाना पड़ेगा और किसी भी अन्य वातावरण से तीन गुना ज्यादा सीखने का मौका मिलेगा।

इस भरोसे के साथ ही इन्फोसिस 55 हजार से ज्यादा लोगों को उच्च आय की नौकरी देने वाली संस्था है। पढ़ने के दौरान पूरे संकलन में दिलचस्पी बनी रहती है क्योंकि नारायण मूर्ति अपने व्यावसायिक सोच-समझ के साथ वह नजरिया भी रखते हैं जो अपने आस-पास को बेहतर बनाने में यकीन रखते हैं। अनुवाद भी बेहतर है, लिहाजा पुस्तक पठनीय बन पड़ी है।

पुस्तक : बेहतर भारत‍-बेहतर दुनिया
लेखक : एन. नारायण मूर्ति
प्रकाशक : पेंगुइन बुक्स-यात्रा बुक्स
मूल्य : 199 रुपए