स्पीड थ्रिल्स बट किल्स
युवा अलर्ट
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विपुल रेगे बाइक पर बैठकर हवा से बातें करना हर पीढ़ी में यूथ का पसंदीदा एडवेंचर रहा है। आज स्पीड का रोमांच पहले से कई गुना बढ़ चुका है। सुपरबाइक ट्रेंड ने युवाओं में दूसरों से आगे निकलने का जो नशा पैदा किया है, वह बेहद खतरनाक है। हमारे आसपास तेजी से निकलते ये ट्रैफिक कटर नहीं जानते कि मौत भी उनसे आँखें मिलाने के लिए उतनी ही तेज गति से पीछे आ रही है। आज के युवा का यह अंक ऐसे ही ट्रैफिक कटर्स को सही राह पर लाने की एक कोशिश है। पूर्व क्रिकेटर मोहम्मद अजहरूद्दीन के 19 साल के बेटे अयाजुद्दीन ने बाइक एक्सीडेंट के बाद छह दिन मौत से संघर्ष किया और आखिरकार हार गए। खुद अजहर ने 1000 सीसी सुपरबाइक उनको जन्मदिन पर गिफ्ट की थी। स्पीड के जुनून ने 150-250 सीसी की हदें चीरकर 1000-1800 सीसी की रफ्तार पकड़ ली है। जब शहर 150 सीसी के दम से परेशान है तो सोचिए कि सुपरबाइक ट्रेंड आ जाने के बाद क्या होगा। इस वक्त इंदौर में लगभग 40 सुपरबाइक फर्राटें भर रही हैं। आँकड़ों के अनुसार हर साल 70 प्रतिशत दुर्घटनाएँ इसी तेज रफ्तार जुनून की वजह से होती हैं। इससे पहले कि हमारा शहर किसी बाइक रेस ट्रेक में तब्दील हो जाए, अभिभावकों और प्रशासन को कुछ कड़े कदम उठाने होंगे। युवाओं को बताना होगा कि स्पीड थ्रिल्स, बट किल्स। आज के युवा अलर्ट में हम बता रहे हैं कि क्यों सुपरबाइक का ट्रेंड हमारे शहर के लिए बेहद खतरनाक है। देश में हर साल बाइक से होने वाली दुर्घटनाएँ बढ़ती जा रही हैं। तेज रफ्तार के जुनून ने अजहर के बेटे के अलावा कई और मशहूर शख्सियतों की जिंदगी में हमेशा के लिए मातम ला दिया। गजल गायक जगजीत सिंह के बेटे विवेक सिंह भी कई साल पहले ऐसी ही दुर्घटना का शिकार हुए थे। ये उदाहरण इसलिए दिए जा रहे हैं, क्योंकि सुपरबाइक खरीदना पैसे वालों के ही बस की बात है और अयाज की मौत उनके लिए एक चेतावनी है। सुपरबाइक के साथ-साथ 150-250 सीसी की बाइक चलाने के लिए भी अच्छे नियंत्रण की जरूरत होती है। यह बिलकुल घोड़ा साधने जैसा काम है। बाइक कोई भी जानलेवा नहीं होती, जानलेवा होता है उसे चलाने का अंदाज। लर्निंग लाइसेंस के लिए 16 और मुख्य लाइसेंस के लिए उम्र 18 होना जरूरी है, किंतु हमारे शहर में ये नियम तोड़े जा रहे हैं। युवाओं को सोचना होगा कि यह लोहे का घोड़ा करतब दिखाने के लिए नहीं, बल्कि अपनी मंजिल तक पहुँचने के लिए है। वे अपनी जान से यूँ ही खिलवाड़ नहीं कर सकते, उनकी जान पर परिवार का भी पूरा हक बनता है। क्या होती है सुपरबाइक
कोई भी सुपरबाइक किसी नार्मल बाइक से कई गुना पावर की होती है। इनमें फोर स्ट्रोक इंजन का प्रयोग होता है। यह 850 से 1200 सीसी तक का होता है। यह कुछ सेकंड में ही 200 किमी प्रति घंटे की स्पीड पकड़ लेती है। भारत में हार्ले डेविडसन, सुजुकी, यामाहा और कावासाकी कंपनी की सुपरबाइक्स अवेलेबल हैं। विश्व की पहली सुपरबाइक 1970 में बनाई गई थी। इसे चलाने के लिए विशेष प्रशिक्षण की जरूरत होती है। नशे का नतीजा इंदौर में 2009 में एक निजी कॉलेज में प्रोफेसर की नौकरी पाने और नए साल के जश्न की खुशी में युवा आशीष गोयल पार्टी मनाकर लौट रहे थे कि बीच रास्ते में ही बाइक बेकाबू हुई और अनहोनी घट गई। 25 जनवरी 2010 को अन्नपूर्णा रिंग रोड, जारोलिया मार्केट चौराहे पर रात 10.30 पर बर्थडे पार्टी से मदहोश होकर लौट रहे तीन लड़के एक अन्य बाइक सवार युवक से जा भिड़े। दूसरा युवक घटनास्थल पर ही मारा गया। विशाल मालवीय (21 साल) खालसा कॉलेज में बीकॉम प्रथम वर्ष का छात्र था। माँ से कहकर गया था 15 मिनट में आता हूँ, लेकिन उसके ये 15 मिनट कभी पूरे नहीं हुए। मनोवैज्ञानिक मयंक अजमेरा ने बताया कि गाड़ी चलाते समय नियंत्रण खो देने की स्थिति को पैनिक कहा जाता है। इस स्थिति में चालक केवल खुद को बचाने के बारे में ही सोचता है। ऐसे में कई बार बाइकर दूसरों की जान भी ले बैठता है।ये देते हैं जूनुन को हवा
अपकमिंग फिल्म मौसम में शाहिद कपूर का एक सीन है, जिसमें वे कार से ट्रेन का पीछा कर रहे हैं और रेलवे क्रॉसिंग पर बिलकुल ट्रेन के सामने से गुजरते हैं। फिल्म बोल बच्चन की शूटिंग के दौरान आमेर में फिल्म स्टार अजय देवगन स्कूली बच्चों को बाइक स्टंट दिखाते हैं। जॉन अब्राहम अपनी सुपरबाइक के लिए चर्चा में रहते हैं। युवाओं के तेज रफ्तार जुनून को हवा देने में हमारे बॉलीवुड स्टार्स का खासा योगदान रहा है। युवाओं को अपने विवेक से काम लेने की जरूरत है। सुपरबाइकर्स! ध्यान दें शहर के इंदौर रेसिंग क्लब के सदस्यों ने मिलकर सुपरबाइकर्स के लिए कुछ टिप्स दिए हैं, जिन पर अमल करना बेहद जरूरी है। कंट्रोल 1000-1200
सीसी की बाइक चलाते समय सुपरबाइकर को खुद के साथ दूसरों का ख्याल रखना होता है। सुपरस्पीड रेसिंग ट्रैक पर ही आजमाएँ। सुपरबाइक जरा से इशारे पर 150-200 किमी/घंटा की स्पीड पकड़ लेती हैं। ऐसे में बाइक को अचानक रोकना खतरनाक होता है। इसे मोड़ते समय ज्यादा कंट्रोल की जरूरत होती है। एसेसरीज सुपरबाइक चलाते समय इन बाइक्स के लिए बना हेलमेट ही पहनना चाहिए। हेलमेट की फिटिंग एकदम सही होना चाहिए और जरा भी डैमेज होने पर इसे बदल देना चाहिए। लंबी राइड हो या छोटी, ग्लव्स जरूर पहनें। इससे न सिर्फ बाइक पर आपकी पकड़ अच्छी रहती है, बल्कि एक्सीडेंट की स्थिति में हथेलियाँ भी सेफ रहती हैं। सेफ राइडिंग इन बाइक्स को चलाने के लिए कई कंपनियाँ सेफ्टी गियर तैयार करती हैं। इसमें सीने, हाथ और पीठ को बचाने वाली जैकेट के अलावा कोहनियों, कंधों और घुटनों को बचाने के लिए खास फोम और प्लास्टिक पैड होते हैं। इसके अलावा खासतौर पर बनाए गए जूते भी पहनने जरूरी हैं। सेफ्टी गियर पहनना वाकई एक अच्छे राइडर की पहचान है।क्या कहते हैं एक्सपर्ट इंदौर रेसिंग क्लब के संस्थापक सोना ने बताया कि कोई भी सीधे 1000 सीसी की बाइक चलाने की कोशिश करेगा तो उसे कंट्रोलिंग मुश्किल होगी। अगर पहले से आप 150-250 सीसी की बाइक्स चला रहे हैं तो सुपरबाइक चलाते वक्त यह कॉन्फिडेंस काम आता है। इंदौर में सुपरबाइक नहीं चलाई जा सकती, यहाँ तो पल्सर चलाना भी आसान नहीं। सुपरबाइक के लिए नियम बदलें बाइकर रिहान खान (छोटु) ने कहा कि भारत में 95 पर्सेंट से ज्यादा लोगों के पास 150 या कम सीसी के इंजन वाली बाइक्स होती हैं। एक सुपरबाइक को कंट्रोल करने के लिए प्रेक्टिस के साथ-साथ मैच्योरिटी की भी जरूरत होती है। ऐसे में सुपरबाइक्स के लाइसेंस के लिए उम्र सीमा भी 18 वर्ष न रखकर 23-24 साल रखी जाना चाहिए।