शीतकालीन मौसम के लिए सब्जियों की उन्नत किस्में
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मणिशंकर उपाध्याय शीतकाल में अनेक प्रकार की स्वास्थ्यप्रद व स्वादिष्ट सब्जियाँ उगाई जाती हैं। इनमें कंद वाली, फल वाली, पत्ती वाली सभी प्रकार की सब्जियाँ सम्मिलित हैं। कुछ वर्षों में कृषि के विभिन्न क्षेत्रों में हुए अनुसंधान और पौध प्रजनन के फलस्वरूप सब्जियों की अधिक उपज व स्वाद वाली किस्में विकसित की गई हैं। ये सब्जियाँ पोषक तत्वों, जल की प्रति इकाई, स्थानीय किस्मों की अपेक्षा अधिक उपज देती है। संभालकर रखें थैली : जो थैली या पैकिंग हो उस पर भी किस्म का नाम, उसके पैकिंग की तारीख, मात्रा या वजन, अंकुरण प्रतिशत आदि स्पष्ट रूप से अंकित हों। इन रसीदों व थैली या पैकिंग को फसल का उत्पादन प्राप्त होने तक संभालकर रखें। प्रमुख शीतकालीन सब्जियाँ : प्याज : पूसा रतनार, कल्यानपुर लाल, अर्ली, ग्रेनो, नाशिक लाल, अर्का प्रगति, अर्का कल्याण, अर्का निकेतन, एग्रीफाउंड रेड, एग्रीफाउंड व्हाइट और पंजाब सिलेक्शन। लहसुन : जामनगर टी-1510, सिलेक्शन-18 इटालियन, थावरी नाशिक। मैथी : पूसा कसूरी, पूसा अर्ली बंचिंग, मैथी लेम सिलेक्शन। शलजम :परपिल टाप, व्हाइट ग्लोब, रेड ग्लोब, पूसा चंद्रिमा, स्नोबाल। पालक : पूसा ज्योति, ऑल ग्रीन, कल्यानपुर स्मूद। गाजर : पूसा केसर, कल्यानपुर येलो, अमेरिकन ब्यूटी, पूसा मेधाली, देशी लाल, देशी लाली, अर्ली नान्टीन, इम्प्रूव्ड लांग। मूली : कल्यानपुर टाइप-1 जापानी सफेद, पूसा रश्मि, पूसा हिमानी, जौनपुर व्हाइट, रेपिड रेड, पंजाब सफेद, जापानी लाल, पूसा केतकी, अर्का निशांत, स्कारलेट ग्लोब। हरी मटर : आर्केल, बोनविले, पंत उपहार, जवाहर मटर पी-1, जीसी 141, अर्ली दिसंबर। टमाटर : कल्यानपुर टाइप-1, टाइप-1, पंत टाइप-3, एस-12, पंजाब छुआरा, पूसा रूबी, अविनाश, अर्का सौरभ, अर्का विकास, एचएस_102। पत्ता गोभी : पूसा ड्रम हेड, गोल्डन एकर, प्राइड ऑफ इंडिया- ये सभी अगेती किस्में हैं।लेट ड्रम हेड और कोपनहेगन देर तक उगाई जा सकने वाली किस्में हैं। कब लगाएँ सब्जियाँ : इन सब्जियों की अगेती किस्मों को अक्टूबर से नवंबर, मध्यम समय वाली किस्मों को नवंबर के दूसरे से दिसंबर के दूसरे सप्ताह तक और देर से पकने वाली किस्मों को दिसंबर के दूसरे सप्ताह से जनवरी के प्रथम सप्ताह तक लगाया जा सकता है। ध्यान रखें : शीतकालीन सब्जियों की उन्नत किस्में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अंतर्गत विभिन्न अनुसंधान केंद्रों द्वारा विकसित की गई हैं। इन किस्मों के बीज कंद आदि कृषि विवि, कृषि महाविद्यालयों, अनुसंधान केंद्रों या निजी विक्रेताओं से प्राप्त किए जा सकते हैं। इन्हें खरीदते समय रसीद जिस पर उस संस्था का नाम पता छपा हो, अवश्य प्राप्त करें। साथ ही उसमें फसल का नाम किस्म का नाम, उसकी मात्रा, बिक्री की दर, कुल कीमत का इंद्राज कर बेचने वाले के हस्ताक्षर किए गए हों।