एनआरआई उपलब्धियाँ 2007 : एक नजर
वर्ष 2007 में न केवल भारतवासियों ने, बल्कि प्रवासी भारतीयों ने भी पूरे विश्व में सफलता का परचम लहराया। चाहे राजनीति का क्षेत्र हो या व्यापार का, हर क्षेत्र में आसमान की बुलंदियों तक अपनी योग्यता साबित की। जिस पर पूरा विश्व गर्व कर रहा है। ऐसे ही कुछ प्रवासी भारतीयों की उपलब्धियाँ- सुनीता विलियम्स - 19 सितंबर 1965 को ओहियो में जन्मीं सुनीता विलियम्स कल्पना चावला के बाद अंतरिक्ष में जाने वाली भारतीय मूल की दूसरी महिला हैं। स्पेस शटल मिशन एसटीएस-116 में 14 साथियों के साथ 10 दिसंबर 2006 को उड़ान भरी और 22 जून 2007 को सकुशल वापस लौटीं। इस मिशन के दौरान सुनीता ने तीन बार स्पेस का भ्रमण किया, 195 दिनों तक अंतरिक्ष में बिताए। |
वर्ष 2007 में न केवल भारतवासियों ने, बल्कि प्रवासी भारतीयों ने भी पूरे विश्व में सफलता का परचम लहराया। हर क्षेत्र में आसमान की बुलंदियों तक अपनी योग्यता साबित की। जिस पर पूरा विश्व गर्व कर रहा है। |
|
|
बॉबी जिंदल- अमरीका के लुसियाना से गर्वनर का चुनाव जीतने वाले बॉबी जिंदल भारतीय मूल के पहले व्यक्ति हैं। अमरीका के राजनीति में यह पहली बार है कि कोई अमरीकी भारतीय ने गर्वनर का चुनाव जीता हो। 20 अक्टूबर 2007 को गर्वनर पद के लिए मनोनीत हुए बॉबी 14 जनवरी 2008 को शपथ ग्रहण करेंगे।
लक्ष्मी मित्तल - राजस्थान के चुरु में जन्में लक्ष्मी मित्तल दुनिया के 100 प्रभावशाली लोगों मे गिने जाते हैं। लंदन के किंगस्टॉन में जा बसे लक्ष्मी मित्तल को फोर्ब्स ने विश्व के अमीरों की सूची में पाँचवें पायदान पर रखा था। इन्होंने दुनिया की सबसे बड़ी स्टील कंपनी आर्सेलर को खरीद लिया और यह कंपनी अब आर्सेलर मित्तल हो गई है। यह इनकी सबसे बड़ी उपलब्धि मानी गई। सी.के. प्रहृलाद - भारतीय मूल के मैनेजमेंट गुरु सी.के.प्रह्लाद को दुनिया का सबसे प्रभावशाली मैनेजमेंट थिंकर चुना गया है। इस दौड़ में उन्होंने बिल गेट्स, एलेन ग्रीनस्पैन और रिचर्ड ब्रैनसन जैसे प्रसिद्ध मैनेजरों को भी पछाड़ दिया। प्रहृलाद भारतीय मूल के पहले ऐसे व्यक्ति हैं, जिन्होंने टॉप 50 की सूची में अपना स्थान बनाया है। पिछले साल सनटॉप द्वारा तैयार की गई सूची में प्रहृलाद का स्थान तीसरा था। इन्हें पूरी दुनिया कॉरपोरेट नीति के विशेषज्ञ रूप में जानती है। विक्रम पंडित- विक्रम पंडित को सिटीग्रुप का सीईओ बनाया गया है। इनका जन्म महाराष्ट्र के नागपुर में हुआ था। इन्होंने 16 साल की उम्र में ही भारत छोड़ दिया था और इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए कोलंबिया विश्वविद्यालय चले गए थे। ये 1994 से 2000 तक मोरगन स्टेंले में कार्यरत थे। 11 दिसंबर 2007 को विक्रम पंडित सीटीग्रुप के सीईओ के लिए नामित हुए थे।