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Written By WD

उतार चढ़ाव से भरा रहा हॉकी का सफर

उतार चढ़ाव से भरा रहा हॉकी का सफर -
भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने भले ही 2007 में अपने अभियान को एशिया कप की सफलता के साथ अंजाम तक पहुँचाया हो लेकिन आठ बार ओलिंपिक चैम्पियन होने के बावजूद बीजिंग में अगले साल होने वाले खेल महाकुंभ के लिए अब तक क्वालीफाई न कर पाना उसके लिए सबसे बड़ी चिंता बनी हुई है।

अगर एशिया कप की सफलता को छोड़ दें तो भारतीय पुरुष और महिला हॉकी टीमें 2007 में कोई बड़ा टूर्नामेंट जीतने में नाकाम रहने के साथ साथ ओलिंपिक के लिए क्वालीफाई करने की दौड़ में भी नहीं टिक सकीं।

भारत के लिए इस साल स्वर्णिम क्षण 2010 पुरुष हाकी विश्व कप की मेजबानी मिलना रहा। अंतरराष्ट्रीय हाकी महासंघ ने भारतीय हाकी की खोई प्रतिष्ठा लौटाने के लिए अपने कार्यक्रम प्रमोशन इंडियन हार्कीं के तहत विश्व कप की मेजबानी दिल्ली को सौंपी।

इसी कार्यक्रम के तहत ऑस्ट्रेलियाई दिग्गज रिक चार्ल्सवर्थ को भारतीय हॉकी का तकनीकी सलाहकार भी नियुक्त किया गया।लचर प्रदर्शन का ही नतीजा रहा कि भारतीय हॉकी खिलाड़ी और कोच राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों की दौड़ में भी पिछड़े गए।

एशिया कप में 14 गोल करके भारत को खिताब दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले स्टार लेफ्ट विंगर प्रभजोतसिंह को अंतरराष्ट्रीय हॉकी महासंघ ने वर्ष के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी के पुरस्कार के लिए नामित किया लेकिन ऑस्ट्रेलिया के जेमी ड्वेयर ने खिताब की दौड़ में उन्हें पछाड़ दिया। महिला वर्ग में भारत की किसी खिलाड़ी को नामांकन तक नसीब नहीं हुआ।


इस साल कोई भी हॉकी खिलाड़ी खेलों का सर्वोच्च सम्मान राजीव गाँधी खेलरत्न की दौड़ में नहीं था, जबकि अर्जुन पुरस्कार पाने का गौरव भी सिर्फ महिला खिलाड़ी ज्योति सुनीता कुल्लू को ही मिला। कोचों को दिए जाने वाले द्रोणाचार्य पुरस्कार में भी भारतीय हॉकी को कोई स्थान नहीं मिला। वीरेंदर सिंह को जरूर लाइटाइम अचीवमेंट और हॉकी को बढ़ावा देने के लिए ध्यानचंद पुरस्कार से नवाजा गया।

भारतीय हॉकी के आकाओं के तुगलकी फरमान भी इस साल छाए रहे। एशिया कप हॉकी के दौरान खिलाड़ियों को प्रत्येक गोल के लिए इनाम लेकिन गोल खाने पर जुर्माने की भारतीय हॉकी महासंघ के अध्यक्ष केपीएस की घोषणा की चौतरफा आलोचना हुई।

प्रतिष्ठित प्रीमियर हॉकी लीग का सेहरा इस बार शेर ए जालंधर के सिर बंधा जिसने तीन मैचों के फाइनल में उड़ीसा स्टीलर्स को हराकर खिताब अपने नाम किया। अनुभवी खिलाड़ी धनराज पिल्ले की अनेदखी से भी पूर्व खिलाड़ी नाराज रहे तो चार्ल्सवर्थ को तकनीकी सलाहकार बनाना भी कइयों को रास नहीं आया।

भारतीय पुरुष टीम नये कोच जोकिम कारवाल्हो के निर्देशन में 5 से 13 मई तक मलेशिया के इपोह में आठ देशों के 16वें सुल्तान अजलन शाह हॉकी टूर्नामेंट में खेलने उतरी और तीसरे स्थान पर रही। भारत ने सेमीफाइनल में मेजबान मलेशिया के हाथों 2-1 से शिकस्त खाने के बाद कांस्य पदक के लिए हुए मुकाबले में दक्षिण कोरिया को 1-0 से हराया।

भारत इसके बाद 23 जून से एक जुलाई तक बेल्जियम के बूम में आयोजित छह देशों के बीडीओ चैम्पियन्स चैलेंज में उतरा। इस टूर्नामेंट के विजेता को प्रतिष्ठित चैम्पियन्स ट्रॉफी में खेलने का मौका मिलना था, लेकिन भारत को यहां एक बार फिर पेनल्टी कॉर्नर को गोल में तब्दील न कर पाने की अपनी पुरानी कमजोरी का खामियाजा भुगतना पड़ा।

वह एक अहम मुकाबले में अर्जेन्टीना के खिलाफ मिले 11 पेनल्टी कॉर्नर में से एक को भी में तब्दील करने में नाकाम रहा और उसे 2-1 से हार का सामना करना पड़ा जिसके चलते वह फाइनल में पहुँचने से चूक गया। आठ बार के ओलिंपिक चैम्पियन ने हालाँकि इंग्लैंड को 4-3 से हराकर कांस्य पदक अपने नाम किया।

सीनियर की तरह अंडर 21 टीम भी प्रभावित करने में असफल रही और जर्मनी के मोनशेंग्लाबाख में खेले गये आठ देशों के टूर्नामेंट में चौथे स्थान पर रही। भारत ने हालाँकि साल के अपने अंतिम टूर्नामेंट में प्रशंसकों को जश्न मनाने का मौका दिया। अपनी मेजबानी में हुए सातवें बीएसएनएल एशिया कप में गत विजेता ने गोलों की झड़ी लगाते हुए अपने खिताब की बखूबी रक्षा की।

ज्ञारह देशों के इस टूर्नामेंट में भारत ने लगातार सात मैच जीतकर खिताब अपने नाम किया। इस टूर्नामेंट में मेजबान टीम ने एशिया की नंबर एक टीम दक्षिण कोरिया को दो बार मात दी जबकि उसने श्रीलंका को 20-0 के रिकॉर्ड अंतर से हराया। भारत ने एशिया कप में 57 गोल किए जबकि सिर्फ पाँच गोल खाये। उसने फाइनल में कोरिया को 7-2 से हराया।

महिला टीम की शुरूआत हालाँकि निराशाजनक रही और वह जापान के खिलाफ टेनरी में आयोजित चार अंतरराष्ट्रीय हॉकी टेस्ट मैचों की श्रृंखला में जीत का स्वाद भी नहीं चख सकी। इटली में हुए चार देशों के टूर्नामेंट में भी भारत को निराशा ही हाथ लगी।

हांगकांग में एक से नौ सितंबर तक आयोजित छठे एशिया कप में टीम को चौथे स्थान से ही संतोष करना पड़ा। भारत ने नौ देशों के इस टूर्नामेंट में थाईलैंड और सिंगापुर को 16-0 के समान अंतर से हराकर शानदार शुरुआत की लेकिन इसके बाद लगातार तीन बार के कारण वह चौथा स्थान ही हासिल कर सकी।

भारतीय टीम ने दिल्ली के शिवाजी स्टेडियम में खेले गए चार देशों के लाल बहादुर शास्त्री महिला हॉकी टूर्नामेंट के फाइनल में अजरबेजान को 1-0 से हराकर इस साल एकमात्र खिताबी जीत का स्वाद चखा। भारतीय पुरुष और महिला हॉकी टीमों के सामने इस समय सबसे बड़ी चुनौती ओलिंपिक के लिए क्वालीफाई करना है।

पुरुष हॉकी टीम मार्च में चिली के सैंटिएगो में ओलिंपिक क्वालीफायर टूर्नामेंट में खेलेगी जबकि महिला टीम को अप्रैल में रूस के कजान में ओलिंपिक क्वालीफायर में खेलना है।