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Written By WD

गुड़गाँव का शीतला माता मंदिर

Sheetala Mata Temple of Gudgava | गुड़गाँव का शीतला माता मंदिर
- बलराज दायमा

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नवरात्रि के इन पावन दिनों में गुड़गाँव स्थित शीतला माता के मंदिर में भक्तों की भीड़ काफी बढ़ जाती है। देश के सभी प्रदेशों से श्रद्धालु यहाँ मन्नत माँगने आते हैं। गुड़गाँव का शीतला माता मंदिर देश भर के श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बना हुआ है।

यहाँ साल में दो बार एक-एक माह का मेला लगता है। इसके अलावा नवरात्रि में शीतला माता के दर्शन के लिए कई प्रदेशों से लाखों की तादाद में श्रद्धालु गुड़गाँव पहुँचते हैं। शीतला माता मंदिर की कहानी महाभारत काल से जुड़ी हुई है।

महाभारत के समय में भारतवंशियों के कुल गुरु कृपाचार्य की पत्नी शीतला देवी (गुरु माँ) के नाम से गुरु द्रोण की नगरी गुड़गाँव में शीतला माता की पूजा होती है। लगभग 500 सालों से यह मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है। यहाँ पर देश के कोने-कोने से लोग पूजा-पाठ के लिए आते हैं।

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लोगों की मान्यता है कि यहाँ पूजा करने से शरीर पर निकलने वाले दाने, जिन्हें स्थानीय बोलचाल में (माता) कहते हैं, नहीं निकलते। इसके अलावा नवजात के बालों का प्रथम मुंडन भी यहाँ पर ही होता है।

यही कारण है कि हर साल एक माह तक चलने वाले मेले में मुंडन का ठेका 60 लाख से अधिक में छूटता है। जिला प्रशासन की तरफ से यहाँ पर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए खान-पान व सुरक्षा के विशेष बंदोबस्त किए जाते हैं।

प्रशासन ने मेले की सुरक्षा व सुविधाओं के लिए अलग शीतला माता श्राइन बोर्ड का गठन किया हुआ है जिसकी देख-रेख में मेले के सभी कार्य होते हैं। यहाँ आने वाले श्रद्धालुओं में सबसे अधिक तादाद उत्तर प्रदेश, राजस्थान व हरियाणा के लोगों की होती है।

इसके अलावा देश के सभी प्रदेशों से श्रद्धालु यहाँ पर मन्नतें माँगने आते हैं। नवरात्रों में शीतला माता मन्दिर का नजारा कुछ अलग होता है। इन दिनों यहाँ पर दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं में कई प्रदेशों से लोग आते हैं। खासकर पश्चिम उत्तर प्रदेश के लोग सबसे अधिक शीतला माता को मानते हैं।

शहर के बीचोबीच स्थित शीतला माता मंदिर पर जाने के लिए श्रद्धालुओं को अधिक परेशानी का सामना भी नहीं करना पड़ता। मुख्य बस स्टैंड व रेलवे स्टेशन के बीचों-बीच स्थित होने की वजह से श्रद्धालु आसानी से मंदिर परिसर तक पहुँच सकते हैं। इसके अलावा अपने वाहनों से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए मेले परिसर में पार्किंग आदि की विशेष व्यवस्था की गई है।