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Written By BBC Hindi

कोयल के सुर जितने मीठे, व्यवहार उतना कटु

कोयल के सुर जितने मीठे, व्यवहार उतना कटु -
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इस पक्षी की आवाज बेहद सुरीली होती है, लेकिन इनके व्यवहार में इतनी मिठास नहीं भरी। ऐसा दावा है कैंब्रिज विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों का।

कैंब्रिज विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने पाया है कि कोयल के अदभुत पंख उसे दूसरे पक्षियों को खुद से दूर रखने में मदद करते हैं, और इसी का फायदा उठाकर कोयल दूसरे पक्षियों के घोसलों पर कब्जा करने में कामयाब रहती है।

वैज्ञानिकों द्वारा किए गए इस शोध में कहा गया है कि कोयल की प्रजाति ने खुद को इस तरह से विकसित किया है कि वे 'स्पैरो हॉक' की तरह दिखें, ताकि दूसरे पक्षियों को डराने में आसानी हो।

वैज्ञानिकों का कहना है कि कोयल एक परजीवी प्रजाति की पक्षी है, जो अपने अंडे दूसरे पक्षियों के घोसले में देती है और उसे वहीं छोड़ देती है।

वैज्ञानिकों का मानना है कि अपने भयभीत करने वाले व्यवहार की वजह से वे ये सुनिश्चित कर पाती हैं कि दूसरे पक्षी उनके अंडों को कोई नुक़सान न पहुँचाए।

दरअसल कोयल और 'स्पैरॉ हॉक' के पेट की सतह पर एक जैसे दिखने वाले पंख होते हैं। वैज्ञानिक ये पता लगाना चाहते थे कि कोयल के पंख 'स्पैरॉ हॉक' की तरह कैसे विकसित हुए।

ये पता लगाने के लिए उन्होंने एक नकली कोयल और स्पैरॉ हॉक को गाने वाली चिड़िया के घोसले के पास रख दिए। वैज्ञानिकों ने पाया कि गाने वाली चिड़िया उन दोनों कठपुतलियों से डर कर दूर रही।