कैसे पहचानें सरस्वती के प्रतीक को...
वसंत पंचमी के अवसर पर...
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रजनीश बाजपेई उपनिषदों में कहा जाता है कि जगत का ज्ञान एक त्रिवेणी है। यहां दो ही दिखाई पड़ते हैं- जानने वाला है और जानी जाने वाली वस्तु। इन दोनों के बीच का जो संबंध है वह है ज्ञान, जो अदृश्य है। इसकी ही प्रतीक हैं वीणा-पुस्तक धारिणी मां सरस्वती। जो शुभ्र हैं, निर्मल हैं, सहज हैं, धवल हैं, शांति और नीरवता की प्रतिमूर्ति हैं। वसंत पंचमी पर ज्ञान की इस देवी को प्रणाम! इस दिन को भारत के महर्षियों ने मां सरस्वती को प्रसन्न करने का सबसे अच्छा अवसर घोषित किया है। जीवन जगत पर शोध के लिए इस देश का कोई सानी नहीं। यहां प्रतीकों की वैज्ञानिकता पर अवश्य संदेह किया जा सकता है। पर जिसने ये प्रतीक दिए थे, उनकी वृहद दृष्टि व ज्ञान के आगे आज भी नत होने को जी चाहता है। यह बात जरूर है कि ये प्रतीक गलत हाथों में पड़े और अंधविश्वासों की समानांतर धारा भी चल पड़ी। लेकिन कई बार ऐसे विश्वास किसी के प्रति गहरे समर्पण के कारण भी पनप जाते हैं।