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Last Updated : शुक्रवार, 18 नवंबर 2022 (16:51 IST)

मथुरा का पेड़ा, आगरा का पेठा और कानपुर के बुकनू को भी मिलेगा जीआई टैग

मथुरा का पेड़ा, आगरा का पेठा और कानपुर के बुकनू को भी मिलेगा जीआई टैग - Mathura's Peda, Agra's Petha and Kanpur's Buknu will also get 'GI Tag'
लखनऊ। एक जिला, एक उत्पाद जैसी महत्वाकांक्षी योजना को सफलतापूर्वक आगे बढ़ा रही उत्तरप्रदेश सरकार अब अलग-अलग जिलों के खास खाद्य उत्पादों को भी अलग पहचान दिलाने के लिए प्रयास कर रही है। मथुरा का पेड़ा हो, आगरा का पेठा, फतेहपुर सीकरी की नान खटाई उत्तरप्रदेश सरकार की ओर से 'जीआई टैग' दिलाने के लिए आवेदन किया जा रहा है।
 
'जीआई टैग' यानी भौगोलिक संकेतक ऐसे कृषि, प्राकृतिक या निर्मित उत्पादों की गुणवत्ता और विशिष्टता का आश्वासन देता है, जो एक विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र में तैयार किए जाते हैं और जिसके कारण इसमें अद्वितीय विशेषताओं और गुणों का समावेश होता है। एक विज्ञप्ति के मुताबिक कृषि विपणन एवं कृषि विदेश व्यापार विभाग इस दिशा में प्रयास कर रहा है।
 
गौरतलब है कि उत्तरप्रदेश के चौसा आम, वाराणसी, जौनपुर और बलिया के बनारसी पान (पत्ता), जौनपुर की इमरती जैसे कृषि एवं प्रसंस्कृत उत्पादों का आवेदन पहले ही किया जा चुका है। इनकी पंजीयन प्रक्रिया अंतिम चरण में है। उत्तरप्रदेश के कुल 36 उत्पाद ऐसे हैं जिन्हें 'जीआई टैग' मिल चुका है। इसमें 6 उत्पाद कृषि से जुड़े हैं, वहीं भारत के कुल 420 उत्पाद 'जीआई टैग' के तहत पंजीकृत हैं जिसमें से 128 उत्पाद कृषि से संबंधित हैं।
 
कृषि विभाग में अपर मुख्य सचिव देवेश चतुर्वेदी ने बताया कि अभी उत्तरप्रदेश के जो 6 उत्पाद 'जीआई टैग' में पंजीकृत हैं, उनमें इलाहाबादी सुर्खा अमरूद, मलिहाबादी दशहरी आम, गोरखपुर-बस्ती एवं देवीपाटन मंडल का काला नमक चावल, पश्चिमी उप्र का बासमती, बागपत का रतौल आम और महोबा का देसावरी पान शामिल हैं।
 
बयान के मुताबिक ऐसे करीब 15 कृषि एवं प्रसंस्कृत उत्पाद हैं जिनके भौगोलिक संकेतक हेतु पंजीयन की प्रक्रिया लंबित है। इनमें बनारस का लंगड़ा आम, बुंदेलखंड का कठिया गेहूं, प्रतापगढ़ आंवला, बनारस लाल पेड़ा, बनारस लाल भरवा मिर्च, यूपी का गौरजीत आम, चिरईगांव करौंदा आफ वाराणसी, पश्चिम उप्र का चौसा आम, पूर्वांचल का आदम चीनी चावल, बनारसी पान (पत्ता), बनारस ठंडई, जौनपुर की इमरती, मुजफ्फरनगर गुड़, बनारस तिरंगी बरफी और रामनगर भांटा शामिल है।
 
वहीं 'जीआई टैगिंग' के लिए जिन संभावित कृषि एवं प्रसंस्कृत उत्पादों का जिक्र किया गया है, उनमें मलवां का पेड़ा, मथुरा का पेड़ा, फतेहपुर सीकरी की नान खटाई, आगरा का पेठा, अलीगढ़ की चमचम मिठाई, कानपुर नगर का सत्तू और बुकनू, प्रतापगढ़ी मुरब्बा, मैगलगंज का रसगुल्ला, संडीला के लड्डू व बलरामपुर के तिन्नी चावल प्रमुख हैं।
 
इसके अलावा गोरखपुर का पनियाला फल, देशी मूंगफली, गुड़-शकर, हाथरस का गुलाब और गुलाब के उत्पाद, बिठूर का जामुन, फर्रुखाबाद का हाथी सिंगार (सब्जी), चुनार का जीरा-32 चावल, बाराबंकी का यकूटी आम, अंबेडकरनगर का हरा मिर्चा, गोंडा का मक्का, सोनभद्र का सॉवा कोदों, बुलंदशहर का खटरिया गेहूं, जौनपुरी मक्का, कानपुरी लाल जुवार, बुंदेलखंड का देशी अरहर भी शामिल है।
 
इस सूची में लखनऊ की रेवड़ी, सफेदा आम, सीतापुर की मूंगफली, बलिया का साथी चावल (बोरो लाल व बोरो काला), सहारनपुर का देशी तिल, जौनपुरी मूली और खुर्जा की खुरचन जैसे उत्पाद भी हैं। सरकार के प्रयासों से जल्द ही इन उत्पादों जीआई टैग नामांकन का आवेदन किया जाएगा।
 
बयान के मुताबिक जीआई टैग किसी क्षेत्र में पाए जाने वाले कृषि उत्पाद को कानूनी संरक्षण प्रदान करता है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में जीआई टैग को एक ट्रेडमार्क के रूप में देखा जाता है। इससे निर्यात को बढ़ावा मिलता है, साथ ही स्थानीय आमदनी भी बढ़ती है तथा विशिष्ट कृषि उत्पादों को पहचानकर उनका भारत के साथ ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में निर्यात और प्रचार-प्रसार करने में आसानी होती है।(भाषा)
 
Edited by: Ravindra Gupta
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