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Written By भाषा

इतिहास बदलने उतरेगी टीम इंडिया

India South Africa Test match preview | इतिहास बदलने उतरेगी टीम इंडिया
पूर्व दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेटर गैरी किर्स्टन की कोचिंग में लगातार अपनी विजय पताका लहरा रही टीम इंडिया के खिलाड़ी यहाँ गुरुवार को जब मेजबान टीम के खिलाफ तीन टेस्ट मैचों की सिरीज का आगाज करने उतरेंगे तो उनका एकमात्र मकसद अफ्रीकी सरजमीं पर अपना इतिहास बदल डालने का होगा।

PTI
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टेस्ट सिरीज शुरू होने से पहले के माइंडगेम में दक्षिण अफ्रीकी कोच कोरी वॉन जिल ने भारत को इतिहास का आईना दिखाने की कोशिश की तो जोश से लबालब कप्तान महेंद्रसिंह धोनी ने उन्हीं के अंदाज में पलटवार करते हुए कहा कि उनकी टीम वर्तमान में जीती है और यह सच है कि इस समय भारत दुनिया में नंबर एक टेस्ट टीम है।

इतना जरूर है कि अपनी जमीन पर कीवी टेस्ट पास करने वाले भारत के लिए प्रोटीज किले में सेंधमारी आसान नहीं होगी। अरसे बाद उसे उछाल भरी तेज पिचों पर खेलना होगा और अपनी पुरानी कमजोरी शार्ट बॉल से भी जूझना होगा। धोनी दावा कर चुके हैं कि उनकी टीम के पास शार्ट बॉल का तोड़ भी है और मनोवैज्ञानिक मजबूती का जोर भी। उनके सामने बड़ी चुनौती अपने दावे को मैदान में सच साबित करने की होगी।

हालाँकि अफ्रीकी मैदानों का रिकॉर्ड बुक भले ही भारत के खिलाफ जाता हो लेकिन दोनों देशों के बीच हुए अब तक सभी मैचों को देखें तो शीर्ष दो बल्लेबाज और शीर्ष दो गेंदबाज भारत के ही हैं। इस समय लगातार जीत के कारण टीम का मनोबल ऊँचा है और इसलिए अगर वह रिकॉर्ड में सुधार करे तो बड़ी बात नहीं होगी।

कर्स्टन की कोचिंग में भारत ने अब तक खेले 28 में से 14 टेस्ट मैचों में जीत दर्ज की है। वे दक्षिण अफ्रीका की पिचों और अन्य हालात से भली भांति वाकिफ हैं। ऐसे में उनके सामने चुनौती होगी कि अपने अनुभव में पिरोकर टीम इंडिया को अफ्रीकी धरती पर कामयाबी की ओर ले जाएँ।

भारत ने इस मैदान पर अब तक कोई टेस्ट नहीं खेला है, लेकिन गैरी यहाँ सात टेस्ट खेल चुके हैं। वे मौजूदा दक्षिण अफ्रीकी टीम के हरफनमौला जैक्स कैलिस और धुरंधर बल्लेबाज मार्क बाउचर के साथ यहाँ बल्लेबाजी कर चुके हैं। इसलिए उम्मीद की जानी चाहिए कि वे इस मैदान के मिजाज और इन बल्लेबाजों की बारीकियों के बारे में अपने अनुभव बाँटकर वे भारत की राह ज्यादा आसान करेंगे।

टीम इंडिया को यहाँ 2001 में टेस्ट खेलना था लेकिन इससे पहले के मैच में छह भारतीय खिलाड़ियों के अलग अलग मामलों में दोषी पाए जाने के कारण टेस्ट रद्द कर दिया गया था। लगभग नौ वर्ष बाद इस मैदान पर भारत के लिए टेस्ट मैच तय किया गया है।

2001 के सेंचुरियन टेस्ट रद्द होने के कारण खेलने से वंचित मास्टर-ब्लास्टर सचिन तेंडुलकर, वेरी वेरी स्पेशल वीवीएस लक्ष्मण और विस्फोटक ओपनर वीरेंद्र सहवाग हाल में बेहतरीन फॉर्म में हैं। इनके अलावा विदेशी पिचों के उस्ताद राहुल द्रविड़, विशेषज्ञ स्पिनर हरभजनसिंह और तेज गेंदबाज जहीर खान भी तब टीम में शामिल थे। इन खिलाड़ियों के सामने चुनौती होगी कि मैदान पर जीत दर्ज करने वाली दूसरी विदेशी टीम बनकर वे 2001 का मलाल दूर करें।

नए खिलाड़ियों की बात करें तो अपनी कप्तानी में न्यूजीलैंड के खिलाफ घरेलू सिरीज में ऐतिहासिक क्लीन स्वीप कर यहाँ पहुँचे धुरंधर ओपनर गौतम गंभीर का भी हौसला सातवें आसमान पर है। गंभीर को छोड़कर भारत के सभी सीनियर बल्लेबाज इस मैदान पर वनडे में अच्छा प्रदर्शन कर चुके हैं और अब टेस्ट में खुद को साबित करने के लिए तैयार हैं। हाल के प्रदर्शन को देखते हुए गंभीर से भी टीम और कप्तान को ढेरों उम्मीदें होंगी।

इस वर्ष मास्टर-ब्लास्टर का बल्ला हर मैदान पर बोला है। कप्तान धोनी ने कहा है कि वे केवल सचिन पर दबाव नहीं छोड़ना चाहेंगे बल्कि पूरी टीम जीत के लिए जान लड़ाएगी। ऐसा होता है तो भारत को ज्यादा मुश्किल नहीं आएगी। टीम के दिग्गज बल्लेबाजों को अपने गेंदबाजों से भरोसेमंद साथ की जरूरत तो होगी ही।

गेंदबाजी में पेस अटैक के अगुआ जहीर खान की ऊब-डूब वाली फिटनेस के कारण बहुत बड़ा दारोमदार केरल एक्सप्रेस शांतकुमारन श्रीसंत पर होगा, जिन्होंने 2006 में वांडरर्स में अपनी घातक गेंदबाजी की बदौलत चौथे ही दिन भारत को 123 रनों से जीत दिलाई थी। उस टेस्ट में श्रीसंत ने आठ विकेट झटके थे और पहली पारी में तो मेजबान टीम को मात्र 84 रनों पर ढेर कर दिया था। उम्मीद है यह अनुभव उनके और टीम इंडिया के काम आएगा।

जहीर की फिटनेस पर टीम की चिंताएँ बढ़ी जरूर हैं। उन्होंने यहाँ सोमवार को अभ्यास सत्र में पूरे दिन हिस्सा नहीं लिया था। अभ्यास सत्र के दौरान जहीर ने ज्यादातर समय टीम के फीजियो पॉल चैपमैन के साथ फिटनेस अभ्यास में जुटे रहे जबकि शेष खिलाड़ियों ने नेट प्रैक्टिस की।

अगर जहीर नहीं खेल पाते हैं तो उमेश यादव या जयदेव उनादकात में से एक को अंतिम एकादश में चुनना होगा। ऐसे में गेंदबाजी के दौरान भारत को अतिरिक्त सतर्कता बरतनी होगी। इसके अलावा ईशांत शर्मा पर भी बहुत कुछ निर्भर करेगा। उनकी रफ्तार भरी गेंदों को सही लाइन पर बने रहने की जरूरत है।

स्पिन की कमान दिग्गज ऑफ स्पिनर हरभजनसिंह के हाथों होगी। उन्हें एकमात्र फुलटाइम स्पिनर प्रज्ञान ओझा का साथ मिल पाएगा। इस कारण सहवाग और सुरेश रैना जैसे पार्ट टाइम गेंदबाजों की भूमिका भी महत्वपूर्ण हो जाएगी।

इन सबके साथ ही टीम इंडिया को अपनी क्षेत्ररक्षण पर भी मेहनत की जरूरत है। दक्षिण अफ्रीकी खिलाड़ी दुनिया के सबसे चुस्त फील्डर माने जाते हैं। इसलिए भारत के लिए जरूरी हो जाता है कि क्षेत्ररक्षण में उन्हें बराबरी की टक्कर दे सकें और ज्यादा रन बचा सकें। वरना एक तरफ भारत की रन संख्या कम होगी तो दूसरी तरफ लचर फील्डिंग मेजबानों का काम आसान करेगी।

यहाँ जीत करने की स्थिति में भारत न सिर्फ अपना इतिहास बदलेगा, बल्कि दक्षिण अफ्रीका के क्रिकेट इतिहास में भी नया अध्याय जोड़ेगा। वह इंग्लैंड के बाद केवल दूसरा देश बन सकता है जिसने सेंचुरियन के मैदान पर दक्षिण अफ्रीका हराया हो।

घरेलू विकेट की बादशाह दक्षिण अफ्रीकी टीम ने यहाँ हुए 14 टेस्ट में 11 टेस्ट अपने नाम किए हैं, जबकि तीन ड्रॉ रहे हैं और केवल एक में उसे हार का सामना करना पड़ा है। इंग्लैंड ने 2000 में मेजबान टीम को यहाँ दो विकेट से हराया था।

यह मैदान दक्षिण अफ्रीका के हरफनमौला जैक्स कैलिस के लिए बेहद भाग्यशाली है। वे यहाँ अब तक खेले गए 15 में से 14 मैचों में दक्षिण अफ्रीकी टीम के साथ रहे हैं और इस दौरान उन्होंने 21 पारियों में 1035 रन ठोंककर मैदान पर सर्वाधिक रन बनाने का रिकॉर्ड अपने नाम किया है।

इतना ही नहीं कैलिस इन मैचों में 25.58 की औसत से 29 विकेट लेकर दूसरे सबसे सफल गेंदबाज भी रहे हैं। इस लिहाज से भारत के सामने बड़ी चुनौती सेंचुरियन के इस शेर पर पार पाने की होगी।

सेंचुरियन में कैलिस के अलावा मार्क बाउचर, एश्वेल प्रिंस, एबी डिविलियर्स, अमला और कप्तान ग्रीम स्मिथ का बल्ला भी खूब चला है। निश्चित रूप से ये खिलाड़ी टीम इंडिया की राह में रोड़ा अटकाते रहेंगे। हालाँकि इस मैदान पर गेंदबाजी में दबदबा रखने वाले मखाया एनतिनी, एलन डोनॉल्ड और शान पोलाक जैसे दिग्गज संन्यास ले चुके हैं लेकिन कैलिस और स्टेन की जोड़ी अब भी मौजूद है। (वार्ता)