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Written By मयंक मिश्रा

विंबलडन में बारिश : क्या करें, क्या न करें?

विंबलडन में बारिश : क्या करें, क्या न करें? - Rain in Wimbledon
अगर पर यह फैसला तब लेना पड़े, जब मैच चल रहा हो तो दिक्कतें और बढ़ जाती हैं, क्योंकि ऐसे समय में अगर फैसला लेने में थोड़ी भी देरी हुई और इतने समय में कोर्ट अगर ज्यादा गीला हो गया तो इसका मतलब खिलाड़ियों के फिसलने और चोट खाने का खतरा ज्यादा होना है। इस साल यहां कई खिलाड़ी इन फैसलों में देरी से नाराज भी दिखाई दिए जिसमें फ्रांस के सिमोन ने तो दिमित्रोव से मैच के दौरान इसको लेकर अंपायर को कोर्ट केस की धमकी भी दे दी थी, साथ ही क्रिओस और वर्डास्को भी इसी वजह से अपने मैचों में काफी गुस्से में थे।
 
इसके अलावा सेंटर कोर्ट पर एक बार अगर छत को बंद कर दिया तो वो मैच पूरा बंद छत में ही खेलना पड़ता है फिर भले ही बाहर कितनी भी धूप क्यों न निकली हो। बंद छत के नीचे घास से निकलने वाली नमी उड़ती नहीं है और यह भी फिसलन पैदा करती है और इस वजह से जोकोविच और डेल पोत्रो इस साल सेंटर कोर्ट पर बंद छत के नीचे खेलने से काफी परेशान और गुस्से में दिखाई दिए। 
 
फ्रेंच ओपन में इस साल हुई बारिश के समय वहां के दर्शकों ने काफी नाराजगी जाहिर की थी, क्योंकि 2 जून के दिन जब बारिश के चलते खेल रोका गया तब तक उस दिन 2 घंटे और 1 मिनट का खेल हो चुका था और इसका मतलब यह था कि वहां के नियमों के अनुसार आयोजकों को टिकट के पैसे वापस नहीं करना थे, क्योंकि नियम ये कहते हैं कि 2 घंटों से कम खेल होने पर ही पैसे वापस देने हैं और इसलिए वहां के आयोजकों पर जान-बूझकर खेल को बारिश में भी जारी रखने के आरोप लगे थे। 
 
विंबलडन में 29 जून के दिन ज्यादा देर खेल नहीं होने के चलते दर्शकों को उनके पैसे वापस किए गए थे, मगर क्या सिर्फ पैसे वापस कर देने से उस दर्शक की टिकट खरीदने के लिए की गई मेहनत और उस दिन मैच देखने के उत्साह की भरपाई की जा सकती है? शायद नहीं। 
 
अगर सुविधाओं का दुरुपयोग नहीं होता तो शायद नियम भी नहीं होते और शायद ऐसे में मैच न देख पाने का मलाल व थोड़े ज्यादा पैसे वापस मिलना थोड़ी सांत्वना जरूर देते, मगर आज रविवार को जो मैच होंगे अगर वे नहीं हो पाते हैं तो दर्शकों को नुकसान उठाने की चेतावनी पहले ही दी जा चुकी है, क्योंकि आज के खरीदे गए टिकटों पर कुछ भी रिफंड नहीं मिलने वाला है।
 
वैसे तो इन सभी फैसलों को लेने के लिए पहले से तय नियम जरूर होंगे, मगर जैसे-जैसे खेल बदल रहा है, वैसे-वैसे खिलाड़ी और उनकी जरूरतें भी बदल रही हैं और जब इतने खिलाड़ी यहां अपनी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं तो इन नियमों पर भी सभी तरह से सोचने की जरूरत का समय शायद आ गया है। 
 
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