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कब है शनि अमावस्या ? जानें तिथि, महत्व और 8 शुभ उपाय

कब है शनि अमावस्या ? जानें तिथि, महत्व और 8 शुभ उपाय - Shani Amavasya 2022 Date, Tithi n Upay
Shani Amavasya 2022: धार्मिक शास्त्रों में वर्षभर में आने वाली सभी अमावस्या तिथियों का विशेष महत्व माना गया है। इस वर्ष वैशाख मास में पड़ने वाली शनि अमावस्या 30 अप्रैल 2022 को मनाई जा रही है। इस बार वैशाख माह की अमावस्या तिथि 29 अप्रैल को देर रात 12.57 मिनट से प्रारंभ हो रही है और यह तिथि 30 अप्रैल 2022 की देर रात 01.57 मिनट पर समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार शनिवार, 30 अप्रैल को शनिचरी अमावस्या (Shanichari Amavasya) मनाई जाएगी। 
 
महत्व : ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि अमावस्या के दिन भगवान शनि देव का दिन पड़ने के कारण ही इसे शनिचरी अमावस्या कहा जाता है। इस दिन पितृ तर्पण, पितृ कर्मकांड, नदी-सरोवर स्नान तथा अपने सामर्थ्य के अनुसार दान करना बेहद शुभ एवं पुण्य फलदायी माना जाता है। 
 
इस दिन शनि देव का पूजन करके शनि पीड़ा से मुक्ति की कामना भी की जाती है। शनि की अनुकूलता से व्यक्ति को चल रही शनि की साढ़ेसाती, शनि ढैय्या और कुंडली में मौजूद शनि दोष का प्रभाव समाप्त होकर सभी कार्यों में आने वाली समस्त बाधाएं समाप्त होती हैं। इतना ही नहीं जहां व्यापारी वर्ग को तरक्की मिलती है, वहीं नौकरीपेशा जातकों को पदोन्नति भी मिलती है।
 
ज्योतिष की मानें तो अमावस्या के दिन अगर शनिवार आ जाए तो इसका काफी महत्व बढ़ जाता है। इस बार 30 अप्रैल को सूर्य ग्रहण तथा स्नान दान श्राद्ध अमावस्या होने से भी इस दिन बेहद विशेष संयोग है। मान्‍यता के अनुसार ग्रहण के दिन गंगा, यमुना आदि नदियों पर स्‍नान एवं दान करने से ईश कृपा की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही शनि अमावस्या के दिन कुछ खास उपाय (Shani Amavasya upay) करने से जीवन के समस्त कष्ट दूर होकर शनि की अनुकूलता तथा प्रबल धन प्राप्ति के योग भी बनते हैं।


यहां पढ़ें 8 खास उपाय- 
 
1. शनिचरी अमावस्या (Shani Amavasya) के शनि और हनुमान जी का पूजन करने का विशेष महत्व है। शनि पूजा के लिए सबसे विशेष समय रात्रि या गोधूलि अर्थात शाम का समय होता है। अत: इस दिन शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए आप यह कार्य कर सकते सकते हैं।
 
2. जो व्यक्ति बीमारी से ग्रसित हैं या जिन्हें बार-बार वाहन दुर्घटना का सामना करना पड़ रहा हैं, तो उन्हें शनि शांति की पूजा करनी चाहिए, इससे रोग और दुर्घटना से निजात मिलेगी।
 
 
3. शनि अमावस्या के दिन भगवान शनि देव का पूजन-अर्चन करने से वैवाहिक जीवन में आ रही परेशानियां समाप्त होती हैं। 
 
4. जिन जातकों पर शनि की साढ़ेसाती अथवा शनि का ढैय्या चल रहा है, उन्हें शनि अमावस्या के दिन शनि की विशेष आराधना करनी चाहिए।
 
5. इस दिन शनि के बीज मंत्रों तथा शनि की वस्‍तुओं का दान करना चाहिए। लोहा, उड़द दाल, तेल, पुराने वस्त्र, जूते-चप्पल आदि का दान तथा तली हुई खाने-पीने की चीजों का दान- जैसे समोसा, कचोरी, भजिए आदि का दान निर्धनों को करना उचित रहेगा।

 
6. जिन जातकों को कड़ी मेहनत के बाद भी मनोवांछित फल प्राप्त नहीं हो रहे हैं, उन्हें हर शनिवार अपने शरीर तेल की मालिश करनी चाहिए। इससे स्वास्थ्य लाभ के साथ-साथ रुके हुए काम भी बनने लगते हैं।
 
7. शनि की शांति एवं शुभता पाने के लिए शनि अष्टक, शनि चालीसा, शनि स्तवराज और शनि स्तोत्र का पाठ करें।
 
8. इस दिन शिव जी तथा हनुमान जी के पूजन के साथ-साथ बजरंग बाण, हनुमान चालीसा और संकटमोचन हनुमानाष्टक का पाठ करने से भी शनि देव प्रसन्न होका वरदान देते हैं।


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