गुरुवार, 26 दिसंबर 2024
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Written By अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'

जानिए, 10 चमत्कारिक प्लसीबो...

जानिए, 10 चमत्कारिक प्लसीबो... - Placebo
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प्लसीबो (placebo) का हिंदी में अर्थ होता है- प्रायोगिक औषधि या कूटभेषज। इसे आप छद्म गोलियां मान सकते हैं। हालांकि हम यहां धार्मिक प्लसीबो की बात कर रहे हैं, जो एक प्राथमिक उपचार की तरह भी हो सकता है और स्थाई इलाज की तरह भी। यह जादुई उपाय और जादुई सोच की तरह कार्य करता है। इसे आप अंधविश्वास भी मान सकते हैं, लेकिन यदि आपने इस पर विश्वास किया तो यह आप पर असर भी करेगा। कहते हैं कि ''जैसी सोच वैसा भविष्य।''

देश-दुनिया के अंधविश्वास या प्लसीबो, जानिए

जादू एक झूठ है लेकिन वह सत्य की तरह आभासित होता है और सत्य भी हो सकता है। इसके बारे में आप कुछ कह नहीं सकते। कुछ जादूगर ऐसे होते हैं जिनके जादू को विज्ञान भी सिद्ध नहीं कर पाया, वो आज भी रहस्य बना हुआ है। इसी तरह प्लसीबो भी है।

चमत्कार या किसी आस्था के बल पर किसी व्यक्ति का जीवन बदल जाए, उसका रोग ठीक हो जाए, उसके संकट दूर हो जाए या अचानक वह धनवान बन जाए तो यह प्लसीबो है। ऐसा कैसे हो गया यह समझ से परे है और इसे लोग अंधविश्वास भी मानते हैं। आओ जानते हैं ऐसे दस प्लसीबो जो आपका जीवन बदल सकते हैं और नहीं भी...

 

अगले पन्ने पर, पहला प्लसीबो....


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गंडा-ताबीज : किसी की बुरी नजर से बचने, भूत-प्रेत या मन के भय को दूर करने या किसी भी तरह के संकट से बचने के लिए गंडा-ताबीज का उपयोग किया जाता है। यदि आपके मन में विश्वास है कि यह गंडा-ताबीज मेरा भला करेगा तो निश्चित ही आपको डर से मुक्ति मिल जाएगी।

गंडा-ताबीज के दिशा-निर्देश

मान्यता अनुसार अच्छे, शुभ और असरदायक गंडे-ताबीज का उल्लेख अथर्ववेद में मिलता है। नाड़ा बांधना या गले में ताबीज पहनने से सभी तरह की बाधाओं से बचा जा सकता है, लेकिन इन गंडे-ता‍बीजों की पवित्रता का विशेष ध्यान रखना पड़ता है अन्यथा ये आपको नुकसान पहुंचाने वाले सिद्ध होते हैं। जो लोग इन्हें पहनकर शराब आदि का नशा करते हैं या किसी अपवित्र स्थान पर जाते हैं उनका जीवन कष्टमय हो जाता है।

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रुद्राक्ष : रुद्राक्ष को शिव के आंसुओं से निर्मित माना गया है। इसे पहनने के बाद पवित्रता का विशेष ध्यान रखता पड़ता है। रुद्राक्ष कई मुखी होते हैं। हर मुखी के अलग-अलग प्रभाव होते हैं। धार्मिक ग्रंथानुसार 21 मुख तक के रुद्राक्ष होने के प्रमाण हैं, परंतु वर्तमान में 14 मुखी के पश्चात सभी रुद्राक्ष अप्राप्य हैं।

जानें रुद्राक्ष के रहस्य, नियम और फल...

सभी रुद्राक्ष का फल


रुद्राक्ष एक अमूल्य मोती है जिसे धारण करके या जिसका उपयोग करके व्यक्ति अमोघ फलों को प्राप्त करता है। रुद्राक्ष की पहचान के लिए रुद्राक्ष को कुछ घंटे के लिए पानी में उबालें यदि रुद्राक्ष का रंग न निकले या उस पर किसी प्रकार का कोई असर न हो, तो वह असली होगा। एक अन्य उपयोग द्वारा रुद्राक्ष के मनके को तांबे के दो सिक्कों के बीच में रखा जाए, तो थोड़ा सा हिल जाता है, क्योंकि रुद्राक्ष में चुंबकत्व होता है जिसकी वजह से ऐसा होता है।

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भभूति : धूने की राख से बनने वाली भभूति को ऊदी भी कहते हैं। मान्यता है कि किसी सिद्ध बाबा या स्थान से प्राप्त की गई भभूति को लगाने से संकट दूर रहते हैं और व्यक्ति को हर कार्य में सफलता मिलती है। ऊदी में शिरडी के साईं बाबा के स्थान की ऊदी को सबसे चमत्कारिक माना जाता है।

इसे विभूति भी कहते हैं। इसे व्यक्ति अपने मस्तक पर लगाता है और थोड़ी सी जीभ पर रखता है। मान्यता अनुसार भभूति हर रोग, शोक, संकट और बाधा से दूर करने वाली होती है। यह जीवन में शांति और सुख देने वाली होती है।

प्राचीनकाल में यज्ञ में हर तरह की औषधियां डाली जाती थीं जिसके चलते यज्ञ की विभूति को पवि‍त्र और रोगों को दूर करने वाली माना जाता था। लोग इसे अपने मस्तक पर लगाते थे और कुछ मात्र में इसे ग्रहण भी करते थे, लेकिन आजकल तो कंडे की राख से ही भभूति तैयार कर ली जाती है।

मध्‍यकाल में शैवपंथ के सिद्ध योगी, बाबा, अवधूत आदि संतजन लोगों को भभूति देकर उनकी हर इच्छा की पूर्ति करते थे। शिरडी के सांईं बाबा के अलावा मध्यकाल में गुरु मत्स्येंद्र नाथ और गुरु गोरक्षनाथ लोगों को विभूति देकर उनके संकट दूर करते थे।

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नींबू और मिर्च : दुकानों के दरवाजों पर नींबू और हरी मिर्च का एक धागे में बांधकर लटकाया जाता है। इसे नजरबट्‍टू कहते हैं। माना जाता है कि इससे किसी भी प्रकार की नजर-बाधा और जादू-टोने से बचा जा सकता है। हालांकि आयुर्वेद में नींबू को एक चमत्कारिक दवाई माना जाता है।

बुरी नजर से बचाता है यह छोटा-सा उपाय...


मान्यता अनुसार बुरी नजर लगने के बाद व्यक्ति का चलता व्यवसाय बंद हो जाता है, घर में बरकत समाप्त हो जाती है। इसके चलते जहां पैसों की तंगी आ जाती है, वहीं स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां भी उत्पन्न हो सकती हैं।

इससे बचने के लिए दुकानों और घरों के बाहर नींबू-मिर्च टांग दी जाती है। ऐसा करने से जब बुरी नजर वाला व्यक्ति इसे देखता है तो नींबू का खट्टा और मिर्च का तीखा स्वाद बुरी नजर वाले व्यक्ति की एकाग्रता को भंग कर देता है। यह बुरी नजर से बचने का उपाय है।

माना जाता है कि नींबू का पेड़ होता है, वहां किसी भी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा सक्रिय नहीं हो पाती है। नींबू के वृक्ष के आसपास का वातावरण सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर रहता है। इसके साथ वास्तु के अनुसार नींबू का पेड़ घर के कई वास्तुदोष भी दूर करता है।

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पवित्र जल : जल को हिंदू धर्म में पवित्र करने वाला माना गया है। जल की पवित्रता के बारे में वेद और पुराणों में विस्तार से उल्लेख मिलता है। यह माना जाता है कि गंगा में स्नान करने से पाप धुल जाते हैं और मन निर्मल हो जाता है। गंगा नदी के जल को सबसे पवित्र जल माना जाता है। इसके जल को प्रत्येक हिंदू अपने घर में रखता है। गंगा नदी दुनिया की एकमात्र नदी है जिसका जल कभी सड़ता नहीं है।

पवित्र जल छिड़ककर कर लोगों को पवित्र किए जाने की परंपरा भी है। आचमन करते वक्त भी पवित्र जल का महत्व माना गया है। मूलत: इससे कुंठित मन को निर्मल बनाने में सहायता मिलती है। मन के निर्मल होने को ही पापों का धुलना माना गया है।

वेद, पुराण, रामायण महाभारत सब धार्मिक ग्रंथों में गंगा की महिमा का वर्णन है। करीब सवा सौ साल पहले आगरा में तैनात ब्रिटिश डॉक्टर एमई हॉकिन ने वैज्ञानिक परीक्षण से सिद्ध किया था कि हैजे का बैक्टीरिया गंगा के पानी में डालने पर कुछ ही देर में मर गया।

दिलचस्प ये है कि इस समय भी वैज्ञानिक पाते हैं कि गंगा में बैक्टीरिया को मारने की क्षमता है। लखनऊ के नेशनल बॉटैनिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (एनबीआरआई) के निदेशक डॉक्टर चंद्रशेखर नौटियाल ने एक अनुसंधान में प्रमाणित किया है कि गंगा के पानी में बीमारी पैदा करने वाले ई कोलाई बैक्टीरिया को मारने की क्षमता बरकरार है।

वैज्ञानिक कहते हैं कि गंगा के पानी में बैक्टीरिया को खाने वाले बैक्टीरियोफ़ाज वायरस होते हैं। ये वायरस बैक्टीरिया की तादाद बढ़ते ही सक्रिय होते हैं और बैक्टीरिया को मारने के बाद फिर छिप जाते हैं। शायद इसीलिए हमारे ऋषियों ने गंगा को पवित्र नदी माना होगा।

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झाड़-फूंक : झाड़-फूंक कर लोगों का भूत भगाने या कोई बीमारी का इलाज करने, नजर उतारने या सांप के काटे का जहर उतारने का कार्य ओझा लोग करते थे। यह कार्य हर धर्म में किसी न किसी रूप में आज भी पाया जाता है।

पारंपरिक समाजों में ऐसे व्यक्ति को ओझा कहा जाता है। कुछ ऐसे दिमागी विकार होते हैं, जो डॉक्टरों से दूर नहीं होते हैं। ऐसे में लोग पहले ओझाओं का सहारा लेते थे। ओझा की क्रिया द्वारा दिमाग पर गहरा असर होता था और व्यक्ति के मन में यह विश्वास हो जाता था कि अब तो मेरा रोग और शोक ‍दूर हो जाएगा। यह विश्वास ही व्यक्ति को ठीक कर देता था।

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अंगूठी-रत्न : दुनियाभर में अंगूठी पहनने का प्रचलन है। ज्यादातर लोग राशि अनुसार अंगूठी पहनते हैं। इन लोगों का विश्वास है कि इससे हमारे बुरे दिन मिट जाएंगे और अच्छे दिन शुरू हो जाएंगे। बहुत से लोग अंगूठी पहने की परंपरा को रत्न विज्ञान कहते हैं।

जानिए रत्नों का विज्ञान


क्या व्यक्ति के जीवन पर रत्न या अंगूठी प्रभाव डालते हैं? उन्नति, धन एवं यश-कीर्ति के लिए लोग अंगूठी पहनते हैं। इसी के चलते विविध मोल और अनमोल रत्नों का व्यापार पूरे विश्व में फैला हुआ है।

प्राचीनकाल और मध्यकाल की शुरुआत में लोग इसे आभूषण के रूप में ही पहनते थे लेकिन आजकल ये ग्रह-नक्षत्रों को सुधारने की वस्तु बन गए हैं। ग्रह-नक्षत्रों की अनुकूलता और उन्हें शांत करने के लिए लोग अंगूठी रत्न के अलावा यंत्र और माला को भी धारण करते हैं। अंगूठी एक आभूषण है जिसे अंगुली में पहना जाता है।

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जादू-टोना, यंत्र-मंत्र-तंत्र : कई लोग अपने संकट को दूर करने और जीवन में धन, संपत्ति, सफलता, नौकरी, स्त्री और प्रसिद्ध पाने के लिए किसी यंत्र, मंत्र या तंत्र का सहारा लेते हैं। ये कितने सही हैं यह तो शोध का विषय है, लेकिन लोग इन पर विश्वास करते हैं।

जानिए, क्या होते हैं- तंत्र, मंत्र और यंत्र...

तंत्र, मंत्र और यंत्र के पीछे भागते युवा


मंत्र की शक्ति के बारे में हर धर्म के ग्रंथों में लिखा हुआ है। हिंदू गायत्री मंत्र, महामृत्युंजय मंत्र और बजरंग बली के मंत्रों के अलावा अथर्ववेद में उल्लेखित मंत्रों को सिद्ध और शक्तिशाली मानते हैं। इसके अलावा साबर मंत्रों की महिमा का वर्णन ‍भी मिलता है।

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कर्मकांड : बहुत से धर्मों में ऐसे कर्मकांड हैं जिसका पालन करना धार्मिक कृत्य माना जाता है। इनका पालन करने से व्यक्ति के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि तो मिलती है साथ ही उससे जन्नत या स्वर्ग का रास्ता साफ हो जाता है।

पूजा-पाठ और कर्मकांडों की लंबी लिस्ट है। कर्मकांड को कुछ विद्वान धर्म का हिस्सा नहीं मानते तो कुछ लोग इसे अंधविश्वास मानते हैं। जो लोग कर्मकांड को मानते हैं उनके अनुसार इससे धर्म और समाज की व्यवस्था बनी रहती है। सभ्य समाज के लिए कर्मकांड जरूरी है।

अब सवाल उठता है कि कौन से कार्य कर्मकांड हैं और कौन से कार्य अंधविश्वास? खैर जो भी हो धार्मिक कर्मकांड करने से लोगों को मन में शांति मिलती है।

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ज्योतिषी : क्या ज्योतिषी या लाल किताब के उपाय से व्यक्ति का भाग्य बदल सकता है? आजकल ज्योतिषी और लाल किताब का प्रचलन बढ़ गया है। लोग भारतीय ज्योतिष के अलावा अब पाश्चात्य और चीनी ज्योतिष में भी विश्वास करने लगे हैं। इसके अलावा टैरो कार्ड और न जाने कौन-कौन-सी ज्योतिषी विद्या प्रचलन में आ गई है।

ज्योतिष पर संपूर्ण जानकारी...

अंगूठा शास्त्र, राशियां, कुंडलिनी, लाल किताब आदि असंख्‍य तरह की ज्योतिषी धारणा के चलते लाखों ज्योतिषी पैदा हो गए हैं और सभी ज्योतिषी लोगों का भविष्य सुधारने और बताने का व्यापार कर रहे हैं। यह विद्या कितनी वैज्ञानिक है इस पर तो अभी शोध होना बाकी है।