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Written By DW
Last Modified: मंगलवार, 26 अगस्त 2014 (17:07 IST)

वाइल्डलीक्स की नजर घंटालों पर

वाइल्डलीक्स की नजर घंटालों पर -
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अफ्रीका में कई शिकारियों को पकड़ने के बावजूद अवैध शिकार नहीं रुक रहा। असल में इस धंधे के पीछे असली कर्ता धर्ता तो कई बड़े सरकारी अधिकारी हैं। वाइल्डलीक्स नाम की वेबसाइट अब ऐसे लोगों का भांडा फोड़ने की कोशिश कर रही है।

वाइल्डलीक्स के संस्थापक आंद्रेया क्रोस्टा का कहना है कि वेबसाइट अवैध शिकार में शामिल प्रभावशाली लोगों को बेनकाब करेगी। अफ्रीकी महाद्वीप में बड़े पैमाने पर हाथी और गैंडों का शिकार हो रहा है। रेंजरों की तमाम कोशिशों के बावजूद कई शिकारी बच निकलने में कामयाब हो जाते हैं।

क्रोस्टा कहते हैं, "एजेंसियां जंगल में काम कर रहे शिकारियों को दबोचती हैं लेकिन हम छोटे मोटे शिकारियों या तस्करों के पीछे नहीं दौड़ते। हम उनके ऊपर बैठे लोगों तक जा रहा हैं, जिनमें भ्रष्ट सरकारी अधिकारी भी हैं।" उनका कहना है कि छोटे मोटे शिकारी या तस्कर जेल आते जाते रहेंगे लेकिन इससे शिकार बंद नहीं होगा। वन्य जीवों को बचाने के लिए रैकेट चलाने वाली बड़ी मछलियों को बाहर निकालना होगा।

वेबसाइट का जिक्र करते हुए क्रोस्टा कहते हैं, "हमारे पास एक बहुत ही दिलचस्प लीक है। केन्या सरकार से जुड़े एक बहुत ही ताकतवर इंसान का, जो हाथी दांत की तस्करी के पीछे है। इस तरह के लोगों तक आप सीधे नहीं पहुंच सकते। वे बहुत ही प्रभावशाली हैं। ऐसे में आपको बाहरी मदद की जरूरत पड़ती है। फिलहाल हम ज्यादा सबूत जुटाने की कोशिश कर रहे हैं।"

अफ्रीका में गूंजती बंदूकें : अफ्रीकी महाद्वीप में बीते कुछ सालों में शिकारियों की बंदूक खूब गूंज रही है। चीन के बाजार में हाथी दांत और गैंडे के सींग की मांग बहुत ज्यादा बढ़ी हैं। इसके अलावा हड्डियों का भी दवाओं के लिए इस्तेमाल हो रहा है। चीन में यह चीजें वैभव का प्रतीक बन चुकी हैं।

अफ्रीका में इस वक्त तंजानिया तस्करों का गढ़ बना हुआ है। एशिया में जब्त किए गए हाथी दांत की खेप का एक तिहाई हिस्सा तंजानिया से भेजा गया। क्रोस्टा ने 2011 में डेढ़ साल तक अपने खर्च पर एक जांच की। इसमें पता चला कि सोमालिया का आतंकवादी संगठन शबाब हाथी दांत की तस्करी से हथियार खरीद रहा है।

अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क : जांच के दौरान क्रोस्टा को यह भी पता चला कि कई देशों के बड़े सरकारी अधिकारी तस्करी से जुड़े हैं। उनके खिलाफ शिकायत करने का कोई फायदा नहीं। सबूत जुटाने के लिए क्रोस्टा ने फरवरी में वाइल्डलीक्स नाम की वेबसाइट बनाई।
अब तक वेबसाइट को 45 जानकारियां मिल चुकी हैं, जिनमें से 28 पुख्ता हैं। गुप्त तरीके से मिले इन संदेशों से पता चला कि कैसे सुमात्रा में बाघों का शिकार हो रहा है। पूर्वी रूस और मेक्सिको में भी शिकारी काफी सक्रिय हैं। तस्करी के माल को अमेरिका पहुंचने के तरीके भी सामने आए हैं।

वाइल्डलीक्स ने कुछ जानकारियां अलग अलग देशों के प्रशासन को दी हैं। कई जानकारियां अलग अलग देशों में वन्य जीव संरक्षण से जुड़े प्रमुख लोगों के साथ बांटी गई हैं। कोई भी व्यक्ति वाइल्डलीक्स तक जानकारी पहुंचा सकता है। सूचना देने वाले की पहचान पूरी तरह गोपनीय रखी जाती है।

वन्य जीव संरक्षण से जुड़े लोगों को उम्मीद है कि वाइल्डलीक्स के जरिए दशकों से चली आ रही समस्या का पुख्ता हल निकल सकेगा। तस्करी के कारोबार पर नजर रखने वाली संस्था ट्रैफिक के रिचर्ड थोमस के मुताबिक इस कोशिश के नतीजे धीरे-धीरे सामने आएंगे, "वन्य जीव अपराध क्षेत्र के भीतर एकदम नए तरह की पहल है। अगर उपयोगी सूचना मिलती रही और कदम उठाने वाली एजेंसियों तक पहुंचती रही तो समय के साथ इसकी उपयोगिता सामने आएगी।"

ओएसजे/आईबी (एएफपी)