जान बचाते चूहे
चूहा बोलते ही अक्सर याद आते हैं अनाज के फटे बोरे, कुतरे कागज या कपड़े। या फिर गायब रूई, धागे, चिंदी। लेकिन यही चूहे अफ्रीका में लोगों की जान बचा रहे हैं। कैसे देखें तस्वीरों में। हीरो चूहे : बारूदी सुरंगों का पता लगाने के लिए अब कुत्तों को नहीं, चूहों को ट्रेनिंग दी जा रही है। बेल्जियम के एनजीओ एपीओपीओ तंजानिया के मोरोगोरो में चूहों को प्रशिक्षण दे रहा है। वे कुत्तों की तुलना में बारूदी सुरंगों का तेजी से पता लगाते हैं और इतने हल्के होते हैं कि उनके वजन से इनमें विस्फोट नहीं होता।
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ट्रेनिंग जरूरी : साल 2000 से एपीओपीओ तंजानिया की सोकोइन कृषि विश्वविद्यालय में बड़े चूहों को प्रशिक्षण दे रहा है। 2006 में पहली बार मोजांबिक में चूहों ने बारूदी सुरंगों का पता लगा रहे हैं। मैदान पर जाने से पहले चूहों को टेस्ट पास करना पड़ता है और सुरंगों का पता लगाने के अंतरराष्ट्रीय मानकों पर भी खरा उतरना पड़ता है। अगले पन्ने पर, नियम के साथ सीख...
नियम के साथ : चूहों को सीखना होता है कि वे व्यवस्थित तरीके से एक इलाके की तलाशी लें। इसके लिए उन्हें एक तरह की लगाम से बांधा जाता है। सबसे पहले चूहों को धातु के बक्से में टीएनटी सूंघना सिखाया जाता है।
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धरती के नीचे : इसके बाद खुले खेतों में इन बड़े चूहों को ट्रेनिंग दी जाती है, जहां सच में बारूदी सुरंगे हैं। अगर चूहे को टीएनटी मिलता है तो वह जमीन कुरेदता है। चूहों की ट्रेनिंग में सालाना करीब पौने तीन रुपए खर्च होते हैं।
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