प्यार को वरदान बनाएँ अभिशाप नहीं
विशाल मिश्रा प्यार हो गया है, करें उसे निभाएँ भी। अपने प्यार से कोई समझौता नहीं करना चाहते, न करें लेकिन उसके साथ-साथ अपने करियर पर भी पूरा-पूरा ध्यान दें। प्यार कर लिया, उसी लड़की या लड़के से शादी भी कर ली लेकिन करियर बर्बाद हो गया तो क्या काम का रहा वह प्यार। यदि यही प्यार आपके करियर में रोड़ा बन गया तो अभिशाप है और सहायक बना तो वरदान सिद्ध होगा। इसलिए अपने प्यार को वरदान बनाएँ, अभिशाप नहीं।वेलेंटाइन डे के दिन राज ने श्वेता के समक्ष अपने प्यार का इजहार किया। श्वेता ने बोला सचमुच मुझसे प्यार करते हो तो राज का कहना था अपनी जान से ज्यादा। श्वेता बोली अपने पैरों पर खड़े होकर दिखा दो तो मैं जरूर तुम्हें मिलूँगी वरना एक ख्वाब समझकर मुझे भूल जाना।राज के समझ में नहीं आ रहा था कि इस बात पर उसे आश्चर्य हो, खुशी हो या मान ले कि उसका दिल टूट गया है। जब श्वेता की सहेलियों को इस बात का पता चला और उससे जानना चाहा कि राज को ऐसा कहने का मतलब क्या है? तब उसने बताया 'चाहती तो मैं भी राज को हूँ लेकिन इसके साथ-साथ हमें अपनी पढ़ाई पर भी पूरा-पूरा ध्यान देना है। अपने माता-पिता के सपनों को पूरा करना है।' कहीं इस प्यार के चक्कर में पड़कर हम अपने लक्ष्य से भटक गए तो किस मुँह से किसी को बता पाएँगे कि हमने प्यार किया। इसलिए पहले करियर जरूरी है। श्वेता की सहेलियों को भी उसके फैसले पर बड़ा गर्व हुआ। |
आज उन दोनों को अपने प्यार पर नाज है और उनका प्यार दूसरों के लिए भी उदाहरण बना कि दोनों ने प्यार को अपने करियर में बाधा नहीं बनने दिया और प्यार को वरदान बनाया। |
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राज की चाहत सच्ची थी। उसने बहुत अच्छे नंबरों के साथ अपनी एमसीए की डिग्री ली और हैदराबाद की एक बड़ी आईटी कंपनी में उसे जॉब मिला। वहीं श्वेता को भी अच्छी रैंक मिली। श्वेता के माता-पिता ने उसकी शादी की बात शुरू करने के लिए जब उसकी राय चाही तब उसने अपने प्यार का इजहार कर दिया और राज के बारे में बताया।समय आने पर श्वेता के माता-पिता ने मिलकर दोनों की शादी तय कर दी और राजी-खुशी जीवन बिताने लगे। सही किया ना दोस्तो राज और श्वेता ने। दोनों को एक-दूसरे का प्यार भी मिला और सफल वैवाहिक जीवन भी वे जीने लगे।आज उन दोनों को अपने प्यार पर नाज है और उनका प्यार दूसरों के लिए भी उदाहरण बना कि दोनों ने प्यार को अपने करियर में बाधा नहीं बनने दिया और प्यार को वरदान बनाया।