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Written By WD

लव-मंत्र : बनी रहे रिश्तों की नाजुक डोर

- अरून्धति सिरपुरकर

Love in Hindi | लव-मंत्र : बनी रहे रिश्तों की नाजुक डोर
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परिवार वस्तुतः एक ऐसा स्थल है जिसमें हम विकास, आत्मोत्थान, विश्राम करते हैं। एक ऐसा स्थल जहां से हम नित नए होकर सकारात्मक जीवन के लिए ऊर्जा से भरपूर होकर निकलते हैं। बहुत सारे परिवारों के कुछ महत्वपूर्ण गुणों का उल्लेख हर बार किया गया है, जो किसी परिवार को अटूट और सुदृढ़ बनाते हैं।

ये गुण इस प्रकार हैं- प्रतिबद्धता किसी भी परिवार की सफलता के लिए समय, ऊर्जा एवं स्नेह का निवेश निर्णायक होता है, जिसे दूसरे शब्दों में प्रतिबद्धता कहा जाता है। सबसे पहले आता है परिवार। परिवार के सदस्य एक-दूसरे के कल्याण और सुख के प्रति समर्पित होते हैं, वे परिवार के स्थायित्व की उपेक्षा करते हैं।

अटूट परिवारों के लिए, प्रतिबद्धता और यौन संबंधों की एकनिष्ठता एक-दूसरे में ऐसे गुंथे हैं कि विवाहेत्तर यौन संबंध को विवाह के लिए सब से बड़ा खतरा माना जाता है। 'ऐसे किसी भी संबंध से आपके जीवनसंगी के आत्मगौरव को भयंकर ठेस पहुंचती है।' काम की व्यस्तता भी परिवार की प्रतिबद्धता को क्षीण करती है। साथ बीता समय सुखी परिवार का आधार क्या है?

धन, संपत्ति, शानदार बंगला और अन्य विलासिता की वस्तुएं, नहीं। सुखी परिवार का आधार है साथ-साथ उठना-बैठना और साथ-साथ सबकुछ करना। अटूट परिवारों के सदस्यों में सहमति होती है। बहुत सारा समय साथ-साथ बिताते हैं। अटूट परिवारों को अहसास है कि जो समय वे साथ-साथ बिताते हैं वह अच्छा होना चाहिए और पर्याप्त भी। केवल कुछ मिनट साथ बिताकर भी गुणात्मक अंतरंगता स्थापित हो सकती है।

संवाद :- सराहना दूसरों की सराहना पाने की अनुभूति सबसे प्राथमिक मानवीय आवश्यकताओं में से एक है। एक-दूसरे की सराहना प्रत्येक के जीवन को बदल देती है। एक-दूसरे के दोष निकालना नकारात्मकता उत्पन्न करती है। संवाद मनोवैज्ञानिक जानते हैं कि स्वस्थ एवं सहज संवाद से परस्पर अपनेपन की भावना पनपने में मदद मिलती हैं। कुंठाएं तथा तनाव स्थिर हो जाते हैं।

अच्छे संवाद का अर्थ है गलतफहमियों को दूर करना। परिवार में आपसी बातचीत से भी महत्वपूर्ण प्रकरणों, भावनाओं और मूल्यों का पता चलता है। संवाद से सभी समस्याओं का समाधान निकाला जा सकता है।

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आत्मीयता :- आत्मीयता परिवार के सदस्यों में अंतःकरण में स्थित एक ऐसे कल्याण केंद्र के रूप में कार्य करती है, जो दूसरों के लिए प्रेम और सहभागिता को प्रोत्साहित करता है। दूसरों की आत्मीयता अपने आप को आसपास के लोगों के प्रति चिंता या किसी नैतिक संहिता से जुड़ाव के रूप में व्यक्त करती है।

परिवार के मूल्य हैं- जैसे ईमानदारी, उत्तरदायित्व और सहिष्णुता आदि इनका भी नित्य-प्रतिदिन व्यावहारिक जीवन में पालन किया जाना आवश्यक होता है, जो परिवार को मजबूत बनाते हैं।

संकट से संघर्ष :- अटूट परिवारों में जीवन की अपरिहार्य चुनौतियों के उठ खड़े होने पर उनसे जूझने और उन पर काबू पाने की क्षमता होती है। संकट से निबटने के लिए ऐसे परिवार एकजुट होकर खड़े होकर लड़ते हैं और संकट से उबरते हैं।

वस्तुतः अटूट परिवार एक ऐसा स्थल है, जिसमें परिवार के समस्त सदस्य अपना विकास तथा आत्मोत्थान के लिए प्रवेश करते हैं जहाँ से वे सकारात्मक जीवन के लिए भरपूर ऊर्जा प्राप्त करते हैं। हर कठिनाई का सामूहिक रूप से मुकाबला कर उस पर विजय प्राप्त कर दुगुने उत्साह के साथ उठ खड़े होते हैं।