शुक्रवार, 26 अप्रैल 2024
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Written By अरविन्द शुक्ला

कुत्ता काटे तो कुकरैल नाले में नहाओ

मान्यता है कि यहाँ नहाने से कुत्ते का जहर उतर जाता है...

कुत्ता काटे तो कुकरैल नाले में नहाओ -
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सड़क चलते कोई पागल कुत्ता काट ले या फिर दुलार करते समय टॉमी के दाँत शरीर में गड़ जाएँ तो आप क्या करेंगे। कुछ लोग इस स्थति में कुकरैल नाले के गन्दे पानी में नहाते हैं... इन लोगों का मानना है कि कुकरैल नाले में नहाने के बाद कुत्ते के काटने से शरीर में फैलने वाले जहर से बचा जा सकता है

रविवार और मंगलवार के दिन नाले पर स्नान करने के लिए दूर-दूर से गाँव, गिराँव के साथ-साथ राजधानी के लब्ध प्रतिष्ठित लोग भी आते हैं। वजह सिर्फ एक, इन सभी को कुत्ते ने काटा है और वे कुत्ते के जहर से निजा‍त पाना चाहते हैं।
इसे आस्था कहें या अन्धविश्वास किन्तु राजधानी लखनऊ में कुत्ता काटने पर कुकरैल नाले में नहाने का प्रचलन पीढि़यों पुराना है। आस्था के इस केन्द्र को देखने यह संवाददाता चल पड़ता है। कुकरैल नाला राजधानी के बीचों-बीच लखनऊ-फैजाबाद रोड पर स्थित है। प्रत्येक रविवार और मंगलवार के दिन इस नाले पर स्नान करने के लिए दूर-दूर से गाँव, गिराँव के साथ-साथ राजधानी के लब्ध प्रतिष्ठित लोग भी आते हैं।

वजह सिर्फ एक, इन सभी को कुत्ते ने काटा है और वे कुत्ते के जहर से निजा‍त पाना चाहते हैं। नाले के आस-पास रहने वाले लोगों का कहना है कि यहाँ कई आईएएस अधिकारी भी कुत्ते के काटने के बाद नाले में नहा चुके हैं। लोगों की मान्यता है कि कुकरैल के नाले में नहाने से उन्हें कुत्ते के जहर से मुक्ति मिलेगी।

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जब मैं वहाँ पहुँचा तो देखा कि मौके पर एक गन्दा नाला बह रहा है। नाले के एक तरफ भूमाफियाओं ने अवैध कब्जाकर झोपड़ी और पक्के मकान बना रखे हैं तो दूसरी तरफ कुकरैल का तटबाँध बना है। यह कुकरैल नाला राजधानी से लगभग 20-30 किमी दूर बक्शी का तालाब के आगे से अस्ति गाँव से निकलकर भैंसाकुण्ड के गोमती बैराज में जाकर मिलता है। फैजाबाद रोड पर बने पुल के नीचे कुकरैल नाले में ही नहाने से कुत्ते के जहर से निजात की मान्यता है।

बन्धे की तरफ सुबह से ही कुत्ते काटने से पीडि़त मरीज और उनके परिजनों के आने का ताँता लग जाता है। वहीं बनी पुलिया पर नाले में नहाकर आए पीडित का झाड़फूँक कर तथा सत्तू, गुड़ से फूँक कर इलाज किया जाता है। पुलिया पर झाड़फूँक के लिए रविवार और मंगलवार को संजय जोशी, नोन्दर जोशी और नूरजहाँ मौजूद रहते हैं

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झाड़फूँक करने वाले संजय जोशी का कहना है कि यह उनका पुश्तैनी पेशा है और कुत्ते का जहर फूँकने में उसकी अब तक चार पीढियाँ गुजर चुकी हैं। संजय जोशी राजधानी के मनकामेश्वर मंदिर के निकट जोशी टोला के निवासी हैं। वे चार पीढी पुराना लोहे का एक पंजा दिखाते हैं जिससे पीडित के जख्म पर रखकर झाड़फूँक की जाती है और मंत्र पढा जाता है। मंत्र के बारे में पूछने पर संजय जोशी उसे बताने से साफ मना कर देते हैं और कहते हैं कि वे मंत्र को बता नहीं सकते। बस इतना कहते हैं कि वे भैरो का मंत्र जाप करते हैं।

रविवार और मंगलवार के दिन इस नाले पर सुबह से ही पीडि़तों का ताँता लग जाता है। भोर से ही पाँच वर्षीय विशाल अपने पिता प्रदीप कुम्हार, गाँव मानपुर लाल, अस्ति, लखनऊ के साथ कुकरैल नाला नहाने आता है। विशाल के पिता को पूरा विश्वास है कि रविवार और मंगलवार को कुकरैल नाले में नहाने के बाद उनके बेटे को कुत्ता काटने की सुई लगवाने की कोई आवश्यकता नहीं।
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हम विशाल से उसकी आपबीती सुन ही रहे थे कि इसी बीच कुत्ते के काटने से पीडि़त मो. शहीद उम्र 11 वर्ष अपने पिता मो. अब्दुल रहमान निवासी रजनी खण्ड सेक्टर-8 शारदानगर रायबरेली रोड लखनऊ से नाले में नहाने को आते हैं। मो. अब्दुल रहमान ने वेबदुनिया को बताया कि उन्हें भी 9 साल पहले कुत्ते ने काटा था और उन्होंने सुई नहीं लगवाई बल्कि कुकरैल नाले में स्नान किया। बस यही कारण है कि उन्हें आज तक रैबीज नहीं हुआ है।

इन्हीं लोगों की तरह अंकुर भी अपने पिता महिबुल्लापुर निवासी मुन्नालाल गुप्ता के साथ कुकरैल नाला नहाने आया था। अंकुर ने भी कुत्ते के काटने के बाद सुई (रैबीज का टीका) नहीं लगवाई क्योंकि अंकुर के पिता को भरोसा है कि कुकरैल नाले में नहाने के बाद अंकुर को कुछ भी नहीं होगा। अंकुर के पिता बताते हैं कि उनके भाई कन्हैयालाल को तीस साल पहले कुत्ते ने काटा था उन्होंने भी कुकरैल में स्नान किया था, जिसका आज तक कोई बुरा प्रभाव नहीं हुआ।

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प्रचलित मान्यत

प्रातःकाल भ्रमण पर निकले पडोस के ही शक्तिनगर मोहल्ले के मकान नं. -एस-148 निवासी और हाईकोर्ट लखनऊ खण्डपीठ से डिप्टी रजिस्ट्रार के पद से सेवानिवृत्त हुए सी.एन. सिंह ने बताया कि कुकरैल नाले के विषय में मान्यता है कि अफगानिस्तान से एक सौदागर अपनी कुतिया लेकर यहाँ व्यापार करने आया था। यहाँ आते-आते उनका धन समाप्त हो गया। उन्होंने यहाँ के जमींदार से पैसा माँगा और बदले में अपनी कुतिया को गिरवी रख दिया और कहा कि पैसा लौटाकर कुतिया ले जाऊँगा। दिन गुजरते रहे, सौदागर नहीं आया। इसी बीच जमींदार के यहाँ चोरी हो गई। चोर माल लेकर भाग गए।

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कुतिया देख रही थी। संयोग से चोरों ने माल एक कुएँ में डाल दिया। कुतिया ने जमींदार को इशारे से कुएँ के पास ले जाकर उसके चोरी हुए माल की बरामदगी करा दी। जमींदार ने प्रसन्न होकर कुतिया को मुक्त कर दिया। अचानक सौदागर लौट आया और उसने जमींदार से कुतिया माँगी, जो वहाँ नहीं थी। निराश होकर वह वापस जा ही रहा था कि रास्ते में कहीं वही कुतिया उसे मिल गई तो नाराज होकर उसने कहा कि तूने बेवफाई की, तू कुएँ में जाकर मर जा। कुतिया ने मालिक का कहना माना और कुएँ में कूद कर मर गई। कहा जाता है कि कुतिया के कुएँ में गिरने के बाद से कुएँ के पानी में उफान आ गया और वहीं से नाला निकला। सौदागर पश्चाताप के आँसू बहा रहा था जब उसने मृत कुतिया से बात की तो उसने कहा कि किसी कुत्ते के काटने पर जो इस पानी से नहाएगा उसे कुत्ते का जहर नहीं चढ़ेगा।


वैज्ञानिक दृष्टिकोण-

राजधानी के डॉक्टर हेरम्ब अग्निहोत्री का कहना है कि उन्होंने कुकरैल नाले की मान्यता के बारे में सुना जरूर है किन्तु इस तरह के इलाज का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं, क्योंकि कुत्ते के काटने से 'रैबीज' नामक बीमारी वाइरस के कारण हो जाती है। यह वाइरस तंत्रिका तंत्र के माध्यम से रीढ़ की हड्डियों से होता हुआ मस्तिष्क में पहुँचकर उसे अपना केन्द्र बना लेता है।

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उन्होंने बताया कि कभी-कभी तो रैबीज के लक्षण एक माह के अन्दर दिखने लगते हैं और कई बार तो 10 साल बाद भी इसके लक्षण प्रकट हो जाते हैं। डॉक्टर अग्निहोत्री ने कहा कि चूँकि एन्टी रैबीज इंजेक्शन महँगे होते हैं और गरीब इसका बोझ नहीं उठा पाते, इसलिए वैकल्पिक उपाय खोजते हैं

किन्तु अब यह सुई सभी सरकारी अस्पतालों में सस्ती दरों पर उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि डॉक्टर भी कुत्ते के काटने पर यही सलाह देते हैं कि पीडि़त मरीज को फौरन नहला दिया जाए लेकिन गंदा नाला... हम ऐसी सलाह कभी नहीं दे सकते... डॉक्टर अग्निहोत्री ने आशंका व्यक्त की कि हो सकता है कि गन्दे नाले में कोई टाक्सिन हो, जिससे रैबीज वाइरस मर जाता हो किन्तु इसके बारे में कोई आधारपूर्वक राय वे नहीं दे सकते।