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Written By WD

हर युग में रूप बदलते हैं भगवान श्री गणेश

Vinayak | हर युग में रूप बदलते हैं भगवान श्री गणेश
शास्त्रों और पुराणों में सिंह, मयूर और मूषक को गणेश जी का वाहन बताया गया है।

गणेश पुराण के क्रीडाखण्ड (1) - में उल्लेख है कि सतयुग में गणेशजी का वाहन सिंह है। वे दस भुजाओं वाले, तेजस्वरूप तथा सबको वर देने वाले हैं और उनका नाम विनायक है।

त्रेता युग में उनका वाहन मयूर है, वर्णन श्वेत है तथा तीनों लोकों में वे मयूरेश्वर-नाम से विख्यात हैं और छ: भुजाओं वाले हैं।

द्वापर युग में उनका वर्ण लाल है। वे चार भुजाओं वाले और मूषक वाहन वाले हैं तथा गजानन नाम से प्रसिद्ध हैं।

कलयुग में उनका धूम्रवर्ण है। वे घोड़े पर आरूढ़ रहते हैं, उनके दो हाथ है तथा उनका नाम धूम्रकेतु है।

मोदक प्रिय श्रीगणेश जी विद्या-बुद्धि और समस्त सिद्धियों के दाता हैं तथा थोड़ी उपासना से प्रसन्न हो जाते हैं।

उनके जप का मंत्र ॐ गं गणपतये नम: है।