श्री गणेश, अपने हर रूप में देते हैं संदेश
गणेश चतुर्थी विशेष
गणेश शिवजी और पार्वती के पुत्र हैं। उनका वाहन मूषक है। गणों के स्वामी होने के कारण उनका एक नाम गणपति भी है। ज्योतिष में इनको केतु का देवता माना जाता है,और जो भी संसार के साधन हैं,उनके स्वामी श्री गणेशजी हैं। हाथी जैसा सिर होने के कारण उन्हें गजानन भी कहते हैं। हिन्दू शास्त्रों के अनुसार किसी भी कार्य के पहले गणेशजी पूजनीय है। इसलिए इन्हें आदिपूज्य भी कहते है। आइए जानते हैं बड़े ही मनमोहक से दिखने वाले गणेश जी के भव्य और दिव्य स्वरूप के विषय में-
गणपति आदिदेव हैं जिन्होंने हर युग में अलग अवतार लिया। उनकी शारीरिक संरचना में भी विशिष्ट व गहरा अर्थ निहित है। शिवमानस पूजा में श्री गणेश को प्रणव यानी 'ॐ' कहा गया है। इस एकाक्षर ब्रह्म में ऊपर वाला भाग गणेश का मस्तक,नीचे का भाग उदर, चंद्रबिंदु लड्डू और मात्रा सूंड है।