भगवान श्रीकृष्ण के अनमोल सितारे
क्या कहती है कान्हा की जन्मकुंडली?
Lord Krishna's starsचंद्र की कलाओं ने भगवान श्रीकृष्ण को सोलह कलाओं का स्वामी बनाया। कृष्ण जन्म के समय सारे ग्रह अपनी उच्च कक्षा में अवस्थित थे। वृषभ लग्न में भगवान का जन्म हुआ। उस समय वृषभ राशि का चंद्रमा संचारित था। वृषभ चंद्र की उच्च राशि मानी जाती है। जन्म के समय रोहिणी नक्षत्र था। वृषभ का चंद्रमा तथा रोहिणी नक्षत्र के योग ने भगवान श्रीकृष्ण को भगवान विष्णु का संपूर्ण अवतार बनाया।भगवान कृष्ण की कुंडली के 12 भावों पर दृष्टि डालें तो देखेंगे कि श्रीकृष्ण से बड़ा अवतार सृष्टि में नहीं हुआ।
भगवान की कुंडली के द्वितीय भाव में मिथुन राशि आती है। जिसका स्वामी बुध है। इसके प्रभाव ने श्रीकृष्ण को वाणी कौशल, नीतिवान, गूढ़ अर्थों का जानकार बनाया। तृतीय स्थान पराक्रम व प्रतिष्ठा का होता है। चूंकि तृतीय चंद्रमा वृषभ राशि में उच्च होकर लग्न में बैठा है। इस दृष्टि से भगवान श्रीकृष्ण चिर पराक्रमी, सर्वोच्च प्रतिष्ठावान, कूटनीति के जानकार, शब्दों को नीतिगत स्वरूप देने वाले तथा भाव-भंगिमा से परिस्थितियों को जानने वाले हुए।